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- Government Will Give Contract For Toll Collection To Private Agency After Taking Fixed Amount, Will Repair Itself
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होशंगाबाद20 घंटे पहले
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बीओटी के तहत बने टोल प्लाजा का शुल्क काटेगी सरकार : जो सड़कें पहले बीओटी के तहत बनी थीं वहां अभी भी टोल प्लाजा बने हैं। उन टोल प्लाजा का उपयोग टेंडर लेने वाली कंपनी कर सकेगी हालांकि कंपनी को इसका किराया सरकार को देना होगा। कंपनी को बने बनाए टोल प्लाजा मिलने से काम जल्दी शुरू हो पाएगा।
- प्रदेश में टोल वसूली की पहली बार ऐसी व्यवस्था, संभाग की 4 सड़कें शामिल
प्रदेश में सड़कों पर टोल वसूली का नया मॉडल लाया गया है, जिसकी मंजूरी मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में दे दी गई। 13 स्टेट हाईवे से शुरुआत होगी। इसमें होशंगाबाद संभाग की 4 सड़कें हैं। नए मॉडल के तहत एमपीआरडीसी निजी एजेंसी से निर्धारित राशि लेकर टोल वसूली का अधिकार देगी लेकिन बीओटी की तरह टोल वसूलने वाली निजी एजेंसी की जिम्मेदारी सड़क की मरम्मत की नहीं होगी। यह काम एमपीआरडीसी खुद करवाएगी।
निजी एजेंसी जो पैसा देगी, वह स्टेट हाईवे फंड में जमा होगा। मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी इस फंड से सड़कों की मरम्मत के लिए पैसा जारी करेगी। टैंडर समेत सारी प्रक्रिया पूरी करने के साथ 3 महीने में टोल वसूली चालू कर दी जाएगी। वसूली के पहले इन सभी सड़कों की मरम्मत कर दी जाएगी। शुल्क की दरें लगभग उतनी ही रहेंगी, जितनी वसूली बंद होने के पहले थी। एमपीआरडीसी अफसरों के अनुसार यह आत्मनिर्भर माॅडल है।
इससे सड़क की मरम्मत के लिए सरकार को अलग से फंड की व्यवस्था नहीं करना होगी। सड़क की टोल वसूली के अधिकार हासिल करने के लिए जो न्यूनतम राशि तय की है, वह उस सड़क के ट्रैफिक सर्वे के आधार पर है। जितना टोल टैक्स सालभर में सड़क पर वसूला गया है, लगभग उतनी ही न्यूनतम राशि रखी गई है।
यह राशि ठेका लेने वाली एजेंसी सरकार को देगी और एक साल टोल वसूली करेगी। शुरुआत में प्रदेश की 13 सड़कों से लगभग 160 कराेड़ रुपए से ज्यादा सरकार को मिलने की उम्मीद है।
प्रदेश में सड़कों पर टोल वसूली का नया मॉडल लाया गया है, जिसकी मंजूरी मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में दे दी गई। 13 स्टेट हाईवे से शुरुआत होगी। इसमें होशंगाबाद संभाग की 4 सड़कें हैं। नए मॉडल के तहत एमपीआरडीसी निजी एजेंसी से निर्धारित राशि लेकर टोल वसूली का अधिकार देगी लेकिन बीओटी की तरह टोल वसूलने वाली निजी एजेंसी की जिम्मेदारी सड़क की मरम्मत की नहीं होगी।
यह काम एमपीआरडीसी खुद करवाएगी। निजी एजेंसी जो पैसा देगी, वह स्टेट हाईवे फंड में जमा होगा। मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी इस फंड से सड़कों की मरम्मत के लिए पैसा जारी करेगी। टैंडर समेत सारी प्रक्रिया पूरी करने के साथ 3 महीने में टोल वसूली चालू कर दी जाएगी।
वसूली के पहले इन सभी सड़कों की मरम्मत कर दी जाएगी। शुल्क की दरें लगभग उतनी ही रहेंगी, जितनी वसूली बंद होने के पहले थी। एमपीआरडीसी अफसरों के अनुसार यह आत्मनिर्भर माॅडल है। इससे सड़क की मरम्मत के लिए सरकार को अलग से फंड की व्यवस्था नहीं करना होगी।
सड़क की टोल वसूली के अधिकार हासिल करने के लिए जो न्यूनतम राशि तय की है, वह उस सड़क के ट्रैफिक सर्वे के आधार पर है। जितना टोल टैक्स सालभर में सड़क पर वसूला गया है, लगभग उतनी ही न्यूनतम राशि रखी गई है। यह राशि ठेका लेने वाली एजेंसी सरकार को देगी और एक साल टोल वसूली करेगी। शुरुआत में प्रदेश की 13 सड़कों से लगभग 160 कराेड़ रुपए से ज्यादा सरकार को मिलने की उम्मीद है।
टाेल अधिनियम से निर्धारित हाेगा उपभाेक्ता शुल्क
सरकार इन सड़काे के टेंडर देकर उपभाेक्ता शुल्क वूसली का काम कंपनियाें काे देगी। कंपनी एक मुश्त राशि सरकार काे देगी। टेंडर लेने वाली कंपनी टाेल अधिनियम से तय उपभाेक्ता शुल्क की वूसली कर सकेगी। हर साल सिंतबर में उपभाेक्ता शुल्क रिवाइज हाेगा। उपभोक्ता शुल्क टोल अधिनियम के तहत तय किया जाएगा।
भाेपाल बायपास पर सफल प्रयाेग
इस तरह के मॉडल का पहली बार लाया गया है। हालांकि देश में एनएचएअाई कुछ जगह यह प्रयाेग कर चुकी है। प्रदेश में भी भाेपाल बायपास में यह प्रयाेग सफल रहा है। इसके बाद प्रदेश मेंे 13 स्टेट हाइवे की सड़काें के लिए मंजूरी दी गई है। इनमें नर्मदापुरम संभाग की 4 सड़कें शामिल हैं।
भाेपाल बायपास पर सफल प्रयाेग
इस तरह के मॉडल का पहली बार लाया गया है। हालांकि देश में एनएचएअाई कुछ जगह यह प्रयाेग कर चुकी है। प्रदेश में भी भाेपाल बायपास में यह प्रयाेग सफल रहा है। इसके बाद प्रदेश मेें 13 स्टेट हाइवे की सड़काें के लिए मंजूरी दी गई है। इनमें नर्मदापुरम संभाग की 4 सड़कें शामिल हैं।
स्टेट हाइवे फंड में जमा होगी राशि
बीओटी में देखा गया है कि निजी एजेंसी टोल तो लेती हैं लेकिन मरम्मत में आनाकानी करती हैं इसलिए मरम्मत का काम एमपीआरडीसी करेगी। निजी एजेंसी जो रािश देगी वह स्टेट हाईवे फंड में जमा होगी। यही राशि मरम्मत के लिए जारी होगी। राशि सीएस की अध्यक्षता वाली कमेटी जारी करेगी।