सम्मेलन में किसानों को नये कृषि कानून के बारे में जानकारी दी गयी.
शिवराज सिंह (CM Shivraj) ने कहा अब किसान अपनी मर्ज़ी का मालिक है.हमने मंडी टैक्स घटाया. इससे मंडी की आय घटेगी लेकिन किसान (Farmer) की बढ़ेगी.कॉंट्रैक्ट फार्मिंग में कोई बुराई नहीं है.कोई कंपनी किसान की ज़मीन छीनकर दिखाए.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा ने यहां किसानों को संबोधित करते हुए कहा-आख़िर भाजपा को ये किसान चौपाल लगाने की ज़रूरत क्यूँ पड़ी. उद्योगपति तय करता है कि उसके प्रोडक्ट की कितनी क़ीमत है.अगर उद्योगपति को अपना प्रोडक्ट की कीमत तय करने का अधिकार है तो जो फसल किसान पैदा करता है उसका दाम तय करने का अधिकार किसान को मिलना चाहिए. किसानों को उनका यही हक दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने ये नया कृषि कानून बनाया है. इसके ज़रिए किसान को आज़ादी होगी उसका अधिकार उसके पास होगा. वी डी शर्मा ने कहा तीन क़ानून बनाकर प्रधानमंत्री ने ये आज़ादी किसानों को दी है.अगर किसान को उसकी फसल की सही क़ीमत शहर में या मंडी में नहीं मिलती तो वह कहीं और जाकर बेच सकता है.
छिंदवाड़ा का ज़िक्र
छिंदवाड़ा में 10 साल पहले कॉंन्ट्रैक्ट फ़्रेमिंग शुरू होने पर शर्मा बोले एक तरफ़ कांग्रेस श्रेय भी ले रही और दूसरी तरफ़ विरोध कर रही है.कनाडा से विरोध प्रदर्शन की तस्वीर आ रही है.आख़िर कनाडा को क्या लेना देना भारत के कृषि क़ानूनों से.खलिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लग रहे हैं.आज इस किसान पंचायत से हमें PM मोदी को ताक़त देनी है.आज जो ताक़तें किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर चला रही हैं उन्हें जवाब देना होगा.उपवास नहीं पश्चाताप करो
सम्मेलन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा-कमलनाथ बोलते है कि मुख्यमंत्री घुटना टेक हैं.मैं बोलना चाहूँगा कि मैं सज्जनों के लिए फूल से ज़्यादा कोमल, माफिया के लिए बज्र से ज़्यादा कठोर हूं.नशे के कारोबारियों को नहीं छोड़ूँगा.आज कल कमलनाथ और दिग्गी राजा को किसान प्रेम जागा है.उपवास करने की बात कह रहे हैं.अरे उपवास नहीं पश्चाताप करो.जिन्होंने किसानों की प्रीमियम राशि जमा नहीं की और इतना बड़ा पाप किया.किसान क़र्जमाफ़ी के चक्कर में रेगुलर किसान डिफाल्टर हो गए.मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा ये कमलनाथ दादा ने किसानों की सूची केंद्र तक नहीं भेजी.
किसान अपनी मर्ज़ी का मालिक
शिवराज सिंह ने कहा-कोरोना कंट्रोल करने में मैं कोई कसर नहीं छोड़ूँगा.अभी थोड़ी कड़की है.18 दिसम्बर को 35 लाख किसानों के खाते में 1600 करोड़ रुपये फसल नुक़सान के डाले जाएँगे.उन्होंने कहा कोई ताकत मंडी बंद नहीं कर सकती. जिस किसान को फसल मंडी में बेचना हो बेचे, अब किसान अपनी मर्ज़ी का मालिक है.हमने मंडी टैक्स घटाया. इससे मंडी की आय घटेगी लेकिन किसान की बढ़ेगी.कॉंट्रैक्ट फार्मिंग में कोई बुराई नहीं है.कोई कंपनी किसान की ज़मीन छीनकर दिखाए.