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नागदा20 घंटे पहले
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नगर पालिका परिषद् नागदा के चुनाव से पहले ही वार्डों की आरक्षण की प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई है। नागदा के ही एक सामाजिक कार्यकर्ता ने आरक्षण पर आपत्ति लेते हुए न्यायालय में याचिका दायर की थी। इसे न्यायालय ने मंजूर करते हुए शासन-प्रशासन से दो सप्ताह में जवाब तलब किया है। चंबल सागर कॉलोनी निवासी अब्दुल हमीद ने आरक्षण पर आपत्ति लेते हुए याचिका दाखिल की थी। हमीद का आरोप है कि जिला प्रशासन ने नियमों की अवहेलना कर मनमाने तरीके से आरक्षण कर दिया। वार्डों के आरक्षण के समय वार्ड क्रमांक 8 को अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित कर दिया गया, जबकि अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या वार्ड क्रमांक 27 में अधिक है। हमीद के मुताबिक वार्ड क्रमांक 8 में अनुसूचित जनजाति के 185 मतदाता है, जबकि वार्ड क्रमांक 27 में इनकी संख्या 245 है। आरक्षण प्रक्रिया के दौरान भी उन्होंने इस पर आपत्ति ली थी, लेकिन कलेक्टर द्वारा चक्रानुक्रम पद्धति से वार्ड आरक्षण करने का हवाला देते हुए उनकी आपत्ति को निरस्त कर दिया। याचिका पर मांगा था समय हमीद ने हाईकोर्ट में मप्र शासन, जिला प्रशासन और नपा परिषद् नागदा के विरुद्ध याचिका दायर की थी। संबंधितों की ओर से उनके अभिभाषक द्वारा इस मामले में समय मांगा गया। इसके बाद न्यायालय ने संबंधितों को दो सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं।
परिसीमन इसी वर्ष, इसलिए चक्रानुक्रम का सिद्धांत लागू ही नहीं होता
सामाजिक कार्यकर्ता हमीद का आरोप है कि आरक्षण के लिए जो सीटें कम हैं, उसका पहले आरक्षण होना चाहिए था, लेकिन जिला प्रशासन ने पहले अनुसूचित जनजाति के वार्डों के आरक्षण की प्रक्रिया पूरी करवाई। नगर पालिका अधिनियम 1961 के प्रावधानों के अंतर्गत मप्र नगर पालिका वार्ड आरक्षण अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग व महिला आरक्षण नियम 1994 का भी पालन वार्डों के आरक्षण में नहीं किया गया। हमीद ने बताया याचिका में यह उल्लेख भी किया गया है कि नागदा नगर पालिका के लिए परिसीमन का कार्य इसी वर्ष होने से चक्रानुक्रम का सिद्धांत लागू ही नहीं होता है। इस कारण पूरी वार्ड आरक्षण प्रक्रिया ही गलत है।