संजय ठाकरे हत्याकांड: गवाहों के पलटने पर भाई ने कहा – पैसे से कुछ भी किया जा सकता है, भाई ने मुझे खुद कॉल कर कहा था मेरी जान को खतरा है

संजय ठाकरे हत्याकांड: गवाहों के पलटने पर भाई ने कहा – पैसे से कुछ भी किया जा सकता है, भाई ने मुझे खुद कॉल कर कहा था मेरी जान को खतरा है


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इंदौर25 मिनट पहले

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संजय ठाकरे मर्डर केस के मामले में आईजी से मिला ठाकरे का परिवार।

नौ साल पहले हुए संजय ठाकरे हत्याकांड के 10 में से नौ आरोपियों को सोमवार को जिला व सत्र न्यायालय ने बरी कर दिया था। गोली मारकर संजय की हत्या हुई यह तो माना गया, लेकिन दोषी किसी को भी नहीं माना था। एक आरोपी हत्या के बाद से फरार है। मामले में न्याय मांगने शुक्रवार को ठाकरे का परिवार आईजी योगेश देशमुख और डीआईजी हरिनारायण चारी मिश्रा से मिला। भाई ने कोर्ट में गवाहों के पलट जाने को लेकर कहा कि आज पैसे से कुछ भी किया जा सकता है। मेरे भाई ने उस रात खुद कॉल कर कहा था कि मुझे धमकाया जा रहा है, मेरी जान को खतरा है।

भाई विनोद ठाकरे ने आरोप लगाते हुए कहा कि संजय 2010 में रहवासी संघ अध्यक्ष बना था। संजय ने यहां पर अवैध निर्माण के खिलाफ आवाज उठाई। वहां, जिस तरीके से अवैध नक्शे पास हो रहे थे, उसका विरोध करते हुए संजय ने लोकायुक्त में भी शिकायत की थी। इसके बाद सरपंच पर कार्रवाई हुई थी। सरपंच पर जांच हुई और गिरफ्तारी भी हुई। इसके बाद संजय ने मामले में एक याचिका भी दायर की थी, जिसका फैसला उनके पक्ष में ही आया था। सरपंच पति अवैध निर्माण के साथ गलत नक्शे भी पास करवाते थे। सरपंच पति ने इसी मामले को लेकर दुश्मनी पाल ली और हत्या का षड़यंत्र रचा।

9 साल पहले संजय ठाकरे की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

9 साल पहले संजय ठाकरे की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

भाई बोला- उस रात संजय का फोन मेरे पास आया था
उनका कहना है कि हत्या वाली रात संजय का फोन मेरे पास आया था, उन्होंने कहा था कि सरपंच पति उन्हें धमका रहा है। रात सवा 8 बजे मेरे पास फोन आया था और पौने 10 बजे के करीब मेरे भाई की हत्या हो गई थी। मैंने इसकी जानकारी खुद पुलिस को दी थी। मेरे भाई ने एसपी, कलेक्टर और थाने में एक आवेदन देकर जान के खतरे के बारे में बताया था। चश्मदीदों के पलटने पर कहा कि आज क्या चल रहा है, सबको पता है। सबकुछ पैसे से बिक जाता है। संजय की बेटी श्रेया ने कहा कि मैं सिर्फ इतना चाहती हूं कि 9 साल हो गए इस मामले को, मेरे पिता को न्याय मिलना चाहिए। वहीं, तनिष्का ने कहा कि हमें अभी न्याय का इंतजार है। हमें बस न्याय चाहिए।

आईजी बोले – केस की काॅपी मिलने के बाद कुछ कह पाएंगे
मामले में आईजी देशमुख ने कहा कि ठाकरे के परिवार ने कुछ शंकाएं जाहिर की है। उनका कहना है कि उन्होंने कुछ आवदेन दिए थे, जिस पर ठीक से कार्रवाई नहीं हुई। कोर्ट ने केस की काॅपी मिलने के बाद ही आगे कुछ कहा जा सकता है। आईजी ने संजय की बेटियों से भी बात की। उन्होंने अपने बारे में बताते हुए आईजी से कहा कि हमें न्याय चाहिए।

ठाकरे की बेटियों ने आईजी से न्याय की मांग की।

ठाकरे की बेटियों ने आईजी से न्याय की मांग की।

कोर्ट में पलट गए थे गवाह
पुलिस ने सरपंच पति किशोर पटेल सहित 10 लोगों को आरोपी बनाया था। 26 गवाहों की फौज खड़ी की थी, लेकिन इनमें प्रत्यक्षदर्शी गवाह केवल दो ही थे। इनमें संजय का दोस्त योगेंद्र सिंह जादौन और रिश्तेदार कैलाश पाटील शामिल थे। इन दोनों ने पुलिस को तो बयान दिए थे कि किशोर, कमलेश, बलविंदर इस हत्याकांड में शामिल हैं। हमारे सामने ही गोली चलाई गई थी, लेकिन जब इन दोनों को पुलिस ने कोर्ट में पेश किया तो यह बयान से पलट गए। कोर्ट में बयान दिया कि हमारे सामने गोली नहीं मारी, न ही हमने घटना को देखा है। पुलिस की बताई कहानी का समर्थन ही नहीं किया। पुलिस जांच और चालान में भी कई खामियां थीं, जिसकी वजह से पुुलिस कोर्ट में आरोप सिद्ध नहीं कर पाई।

कोर्ट ने फैसले में कहा… पुलिस जांच में कई कमियां, हत्या के आरोप साबित नहीं होते
कोर्ट ने फैसले में कहा कि पुलिस ने किशोर की संजय से दुश्मनी होने, उसे धमकाने के आरोप में हत्या किए जाने के आरोप लगाए हैं, लेकिन यह साबित नहीं होते हैं। संजय की बहन और जीजा के छह साल बाद आरोपियों को पहचानने, बॉम्बे हॉस्पिटल के पास खड़े होकर षड़यंत्र रचने के बयान पर भी विश्वास नहीं किया जा सकता। पुलिस ने जब्ती और पंच गवाह भी परिवार के लोगों को बनाया है। इस आधार पर आरोपियों को दोषी नहीं माना जा सकता। पुलिस की जांच में कई कमियां हैं, इसलिए आदेश की प्रति आईजी को भेजी जाती है, ताकि वह आगे की कार्रवाई कर सकें। एक जवान आदमी ने कम उम्र में अपनी जान गंवाई है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को भी आदेश की प्रति भेजी जाती है। वे पीड़ित परिवार की नियमानुसार सहायता करें।

घटनाक्रम; 1 अप्रैल 2011 की रात घर लौटते समय मारी थी गोली
1 अप्रैल 2011 की रात को संजय ठाकरे महालक्ष्मी नगर से होते हुए एलआईजी स्थित घर लौट रहे थे। रात को उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस ने किशोर पटेल, कमलेश, सोनू, राहुल, राजकुमार, कमल, वीरेंद्र, राहुल माइकल, विनय और बलविंदर समेत दस लोगों को आरोपी बनाया था। किशोर को मास्टर माइंड, कमलेश और बलविंदर को गोली चलाने का आरोपी माना था। अन्य के खिलाफ संजय की रैकी करने, षड़यंत्र में शामिल होने की धाराएं लगाई थीं। गिरफ्तारी के बाद से ही किशोर जेल में था। उसने कई बार जमानत के लिए प्रयास किए, लेकिन सफलता नहीं मिली। बलविंदर हत्या के बाद से ही फरार है।



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