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भोपाल19 मिनट पहले
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भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने पुलिस और सरकार पर मारपीट करने के आरोप लगाए हैं। उन्होंने एक वीडियो जारी कर पुलिस की मारपीट से उन्हें आईं चोटें दिखाई हैं। अनिल यादव ने कहा कि कल रात को मुझे जोर जबरदस्ती से अकारण पुलिस द्वारा उठाया गया। पूछने पर कोई जवाब नहीं मिला कि आप क्यों मुझे ले जा रहे हैं। मुझे गुंडा-बदमाशों की तरह डीआईजी का नाम लेकर थाने ले जाया गया। रात को 12 बजे घर में मोबाइल छीन लिया गया और लड़की-महिलाओं के साथ छीना-झपटी की गई। मेरे बच्चे के साथ मारपीट की गई। हालांकि पुलिस ने अनिल यादव के आरोपों को निराधार बताया है। कहा- अगर मारपीट हुई है तो उसका सबूत दें।
अनिल यादव ने कहा कि सरकार तानाशाहीपूर्ण रवैया अपनाकर किसान आंदोलन को दबाना चाहती है। यह तानाशाही सिर्फ इसलिए है कि ऐसा मैसेज प्रदेश से ना जा पाए कि तीनों काले कानूनों का विरोध मध्यप्रदेश में भी पुरजोर तरीके से हो रहा है। राज्य सरकार द्वारा लोकतंत्र की निर्मम हत्या की जा रही है। किसान नेताओं के साथ जो भी हो रहा है, वह अपनी जगह है लेकिन उनके परिवारों के साथ भी जोर जबरदस्ती और मारपीट करना तानाशाही की हदें पार करना है।
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि इस तानाशाही को देखते हुए लगता है कि अब प्रदेश में प्रजातांत्रिक तरीके से कोई भी आवाज उठाएगा तो उसके परिवार अथवा पास पड़ोस वाले तक को शिकार होना पड़ेगा। इसी प्रकार से मेरे परिवार के मोबाइल के साथ-साथ मेरे पास पड़ोस के जितने मोबाइल चलने भी जबरदस्ती छीना गया और मारपीट की गई, इसके बाद थाने में जबरदस्ती साइन कराएं, जिसके बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है।
एसपी क्राइम गोपाल धाकड़ ने बताया कि हमने उन्हें घर से नहीं उठाया, उन्हें अरेरा हिल्स से हिरासत में लिया गया था। इसके बाद आज शाम को छोड़ दिया गया। अगर उनके साथ पुलिस ने मारपीट की है तो वह उसके सबूत दिखाएं। हम इसकी जांच कराएंगे।
नीलम पार्क में किसानों को जुटने नहीं दिया
बता दें कि दिल्ली में चल रहे किसानों के आंदोलन के समर्थन में राजधानी के नीलम पार्क आ रहे किसानों को पुलिस ने रोक दिया था। तीन किसान नेताओं को रात में ही हिरासत में ले लिया गया था। इसके बाद सुबह भोपाल आ रहे किसानों को शहर की सीमाओं पर रोक दिया गया। साथ ही, जो किसान नेता नीलम पार्क में शांतिपूर्ण सत्याग्रह करने आ रहे थे, उन्हें पहले पार्क में नहीं घुसने दिया, इसके बाद जब वो सड़क पर आ गए और नारेबाजी करने लगे, तो उन्हें हिरासत में लेकर बसों से पुरानी जेल ले जाकर बंद कर दिया गया।
छुप-छुपाकर नीलम पार्क पहुंचे कुछ किसानों ने कहा कि तीन नेताओं को सरकार ने गिरफ्तार कर लिया। मध्य प्रदेश सरकार ने जिस हिटलरशाही के तहत शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने आ रहे किसानों को रोक दिया है। शिवराज सरकार वही है, जिनके रहते हुए मंदसौर में किसानों पर गोली चलाई गई थी। किसान नेताओं ने कहा कि किसान अपनी जायज मांगें भी नहीं रख सकते हैं।