137 साल पुरानी इस लाइब्रेरी में माखनलाल चतुर्वेदी, सुभद्रा कुमारी चौहान, प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री भगवंतराव मंडलोई से लेकर माधवराव सिंधिया तक का यहां से जीवंत संपर्क रहा है. ये सभी हस्तियां यहां पर कभी ना कभी एक दौर में सदस्य रहीं. माखनलाल चतुर्वेदी ने अपनी कई कविताओं का इस माणिक वाचनालय से मंचन कर अंग्रेजों को ललकारा था. सुभद्रा कुमारी चौहान ने इस लाइब्रेरी में अपनी अमर कविता खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी…यहां एक बार एक कार्यक्रम में पढ़ी थी.