इंस्पायर अवॉर्ड: एनआईएफ के वैज्ञानिकों ने 5 हजार 30 में से 137 बच्चों के आइडिया चुने, मिलेगा 10-10 हजार का इनाम

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सागर17 मिनट पहले

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छात्र रिक्की अहिरवार का मॉडल राष्ट्रीय स्तर पर चुना गया है।

  • 48 बच्चों के साथ छतरपुर प्रथम, 34 के चयन के साथ सागर रहा दूसरे स्थान पर

गुजरात के गांधीनगर स्थित नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एनआईएफ) के वैज्ञानिकों ने संभाग के 137 बच्चों के आइडिया का चयन किया है। अब ये विद्यार्थी अपने आइडिया के आधार पर मॉडल तैयार कर प्रदर्शित करेंगे, जो राज्य से राष्ट्रीय स्तर तक दिखाए जाएंगे। इंस्पायर अवॉर्ड योजना के तहत संभाग से इस वर्ष 5 हजार 30 बच्चों ने अपने आइडिया वेबसाइट पर अपलोड किए थे। इनमें से 137 आइडिया वैज्ञानिकों को पसंद आए। केन्द्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के माध्यम से मॉडल बनाने के लिए अब इन विद्यार्थियों को 10-10 हजार रुपए बतौर इनाम दिए जाएंगे।

छतरपुर रहा प्रथम, सागर दूसरे स्थान पर

जिला रजिस्ट्रेशन सिलेक्शन

छतरपुर 967 48

सागर 1145 34

दमोह 733 32

टीकमगढ़ 995 12

पन्ना 1059 9

निवाड़ी 131 2

कुल 5030 137

शकुरा प्रोग्राम के तहत भेजे जाते हैं जापान

जिला नोडल प्रभारी शिक्षक एनके श्रीवास्तव ने बताया, प्रतियोगिता में राज्य स्तर पर 60 मॉडल चुने जाते हैं। मॉडल तैयार करने वाले बच्चों को नेशनल में हिस्सा लेना होता है। इसके लिए वे दिल्ली जाते हैं। वहां बच्चों को तीन दिन तक राष्ट्रपति भवन में रहने का मौका मिलता है। वहां से भी जो मॉडल सिलेक्ट होते हैं, उन्हें शकुरा प्रोग्राम के तहत जापान भेजा जाता है। इनके साथ भारत से साइंटिस्ट भी जाते हैं। अन्य देशों के बच्चे भी वहां आते हैं। अच्छा मॉडल या प्रोडक्ट है, तो उसके फिर पेटेंट की प्रोसेस विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय पूरी कराता है। मॉडल तैयार करने वाले बच्चे को कंपनी से रॉयल्टी भी मिलती है। डिप्टी डायरेक्टर प्राचीश जैन ने बताया, 2019 में 5 व 2020 में सागर जिले के राहतगढ़ से एक ही विद्यार्थी रिक्की अहिरवार नेशनल के लिए चयनित हुआ है।

किसानों को हादसों से बचाने बनाया ऑटोमैटिक फूडर कंट्रोल थ्रेशर

राहतगढ़ के मानक चौक गांव के 9वीं कक्षा के छात्र रिक्की अहिरवार का मॉडल राष्ट्रीय स्तर के लिए चुना गया है। रिक्की ने बताया, उन्होंने किसानों को हादसों से व पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए ऑटोमैटिक फूडर कंट्रोल थ्रेशर बनाया है। किसान हाथ से ही अनाज का पूरा डालकर थ्रेशिंग करते हैं। इससे हादसे की संभावना रहती है। कई मामलों में किसानों के हाथ तक मशीन में फंस जाते हैं। इसके लिए उन्होंने मॉडल में हैंडिल लगाया है। उसकी मदद से किसान मशीन में अनाज का गट्ठा अंदर कर सकते हैं। साथ ही, खुले में थ्रेशिंग होने से तीन-चार किलोमीटर तक भूसी हवा में उड़ती है। इससे प्रदूषण होता है। इसके लिए पाइप जोड़ा गया है, जिससे यह भूसी सीधे ट्रॉली में जमा होगी। रिक्की ने यह मॉडल शिक्षिका कृष्णा साहू के निर्देशन में तैयार किया है।



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