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इंदौर15 मिनट पहले
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हुकमचंद पॉलीक्लिनिक पर सबसे पहले नर्स को लगाया गया टीका।
- एमवायएच, हुकमचंद पॉलीक्लिनिक, हातोद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और राजश्री अपोलो में ड्राय रन
कोविड-19 वैक्सीन की तैयारियों को परखने के लिए शुक्रवार को जिले के चार अस्पतालों में ड्राय-रन किया जा रहा है। यह एक तरह की रिहर्सल है ताकि जब वैक्सीन लगाना शुरू की जाए तो किसी तरह की कोई गलती न हो। सुबह सबसे पहले बाकायदा वैक्सीन को सुरक्षा के साथ सेंटर्स पर भिजवाया गया। हुकमचंद पॉलीक्लिनिक में सबसे पहले दो नर्सों पर ड्राय रन हुआ। स्वास्थ्यकर्मी को बाएं हाथ पर सिरिंज लगाया गया। सिर्फ सूई को हाथ पर स्पर्श किया गया।

सुबह सबसे पहले आइस बॉक्स में वैक्सीन को सेंटर पर लेकर आया गया।
चार अस्पतालों में ड्राय रन
एमवायएच, हुकमचंद पॉलीक्लिनिक, हातोद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और राजश्री अपोलो अस्पताल में सुबह 9 से 11 बजे तक ड्राय-रन किया जा रहा है। गुरुवार को पूरा दिन स्टाफ की ड्यूटी, सामान पहुंचाने और सुरक्षाकर्मी तैनात करने में लग गया था। मॉक ड्रिल के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पूर्णिमा गडरिया ने सभी विभागों और अस्पताल के अधिकारियों से बात की। प्रत्येक सत्र में एक सुपरवाइजर व एक चिकित्सा अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी गई है अभी सिर्फ ड्राय-रन किया जा रहा है, इसलिए सेंटर पर डॉक्टर उपलब्ध रहेंगे, लेकिन जब नियमित वैक्सीनेशन शुरू होगा तब पांच बूथों पर एक डॉक्टर की ड्यूटी रहेगी।

टीकाकरण की प्रक्रिया में 4 से 5 मिनट लगे।
ऐसो है वैक्सीनेशन का पूरा शेड्यूल
- ड्राय-रन के तहत अल्टरनेट वैक्सीन डिलीवरी (एवीडी) के माध्यम से वैक्सीन सुबह साढ़े 8 केंद्रों पर पहुंची। वैक्सीन आइस बॉक्स में मौजूद रही।
- सुबह 9 से 11 बजे तक टीकाकरण सत्र।
- 25-25 लाभार्थियों को एसएमएस से सूचना दी गई है। यह लाभार्थी स्वास्थ्यकर्मी है, जिन्होंने वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है। इन्हें बाकायदा वैक्सीन से होने वाले साइड-इफेक्ट्स के बारे में बताया गया। इसके बाद वैक्सीन लगना शुरू हुआ।
- वैक्सीन में किसी प्रकार की कोई दवा नहीं थी। इसीलिए इसे ड्राय-रन कहा गया। बाएं हाथ पर सूई को सिर्फ टच किया गया।
- 30 मिनट तक उन्हें निगरानी में वहीं बैठाया गया। इसके बाद घर रवाना किया गया। साइड इफेक्ट की स्थिति में एक डॉक्टर भी मौजूद रहे।
वैक्सीनेशन की प्रक्रिया के लिए चार रूम
वेटिंग रूम : जिन्हें वैक्सीन लगनी थी, उन्हें यहां बिठाया गया।
वैक्सीनेशन रूम : इस कक्ष में टीका लगाया गया।
ऑब्जर्वेशन रूम : टीका लगाने के बाद इसी कक्ष में 30 मिनट तक निगरानी में में रखे जा रहे।
इमरजेंसी रूम : किसी भी तरह का साइड इफैक्ट होने की स्थिति में यहां इलाज किया जाएगा।

हुकुमचंद अस्पताल में भी हुआ ड्राय रन।