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अनुराग शर्मा | भोपाल2 दिन पहले
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सोलर हाईब्रिड सिस्टम
- रेलवे विंड सोलर हाईब्रिड सिस्टम से बचाएगा बिजली, प्रयोग के तौर पर भोपाल स्टेशन से शुरुआत
रेलवे द्वारा स्टेशनों की बिल्डिंग, प्लेटफॉर्म सहित अन्य ऑफिसों में बिजली बचाने के लिए सोलर हाईब्रिड सिस्टम लगाने की शुरुआत कर दी गई। भोपाल रेलवे स्टेशन पर प्रयोग के तौर पर इस तरह का सिस्टम लगाकर ट्रायल भी शुरू कर दिया गया है, जल्द यह काम करने लगेगा।
अकेले भोपाल रेलवे स्टेशन पर ही इस सिस्टम के लगने के बाद एक साल में डेढ़ लाख रुपए की बचत हो सकेगी। इस पैसे का उपयोग रेलवे द्वारा यात्री सुविधाओं के लिए होने वाले विभिन्न कार्यों के लिए किया जाएगा। डीआरएम उदय बोरवणकर का कहना है कि एनजीटी के नियमों को पूरा करते ग्रीन एनर्जी की ओर रेल मंडल में उठाया गया यह कदम है। आने वाले दिनों में अन्य स्टेशनों व रेल मंडल में इसकी शुरुआत कर दी जाएगी।
रूफ टॉप विंड टरबाइन भी लगाए हैं
हाल ही में रेल मंडल में सोलर हाईब्रिड सिस्टम लगाने की शुरुआत की गई है। कई मौकों पर पर्याप्त मात्रा में सूर्य का प्रकाश न मिलने की स्थिति सोलर सिस्टम काम नहीं कर पाता और बिजली के उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ता है। इसी समस्या से निपटने के लिए अब सोलर हाईब्रिड सिस्टम लगाया जाने लगा है। इसमें लगाए जाने वाले सोलर पैनलों के साथ ही रूफ टॉप विंड टरबाइन भी लगाए गए हैं। यह टरबाइन हवा के माध्यम से चलते रहते हैं और बिजली का उत्पादन होता है।
भोपाल स्टेशन पर लगे सिस्टम की विशेषताएं
- कुल क्षमता- 2.5 किलोवाट
- विंड से मिलने वाली बिजली- 500 वॉट
- सोलर से बिजली मिलेगी- 2 किलोवॉट
- रेलवे स्टेशन पर प्रति वर्ष बचत होगी रुपए-1.5 लाख
- 04 लाख रुपए एक सिस्टम को लगाने पर किया जाएगा खर्च
स्टार रेटेड उपकरणों का उपयोग
सोलर हाईब्रिड सिस्टम के अलावा रेल मंडल द्वारा स्टार रेटेड एलईडी, एसी, पंखों, लाइट का उपयोग भी लगातार किया जा रहा है। यदि पिछले साल का आंकड़ा देखें तो अप्रैल से अक्टूबर 2020 तक ही 30 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन कर 2.24 करोड़ की बचत की गई।
बिजली सप्लाई लगातार बनी रहेगी
रेलवे स्टेशन बिल्डिंग में यात्रियों को बिजली गुल होने के कारण समस्या न हो, इसलिए सोलर हाईब्रिड सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है। बिजली की सतत सप्लाई के लिए सोलर पैनलों को रूफ टॉप टरबाइन से इंटीग्रेड कर बिजली का उत्पादन किया जाता है। टरबाइन हवा से लगातार घूमते रहते हैं और सोलर पैनलों के माध्यम से सूर्य किरणों के प्रकाश से भी बिजली बनती रहती है। इस तरह बिजली की सतत सप्लाई जारी रहती है।