रमेश के बारे में ऐसा कुछ नहीं है, जो उन्हें परंपरागत ग्राउंड्समैन बनाता हो. आमतौर पर अधिकांश क्यूरेटर पिच मेकिंग की कला सीखते हैं और अपने अनुभव से उसे निखारते हैं. रमेश इसके विपरीत टैक्सटाइल मैन्यूफैक्चरिंग सिटी तिरुपुर से हैं और अपना कपड़े का बिजनेस चलाते हैं. अपने कॉलेज के दिनों में वह एक सफल एथलीट रहे हैं. रमेश ने 110 मीटर बाधा दौड़ में तमिलनाडु का प्रतिनिधित्व किया और राज्य की रिले टीमों का हिस्सा रहे. यहां तक कि उन्होंने 1996 में राष्ट्रीय चैंपियनशिप में दो पदक जीते. उनकी पत्नी मालारविजी गिरी चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं.
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रमेश ने एमबीए किया है. उन्होंने तिरुपुर स्कूल ऑफ क्रिकेट की भी शुरुआत की है. ईएसपीएन क्रिकइंफो को दिए इंटरव्यू में रमेश ने कहा, ”मुझे टीएनसीए से कॉल आईस जिसमें कहा गया था कि बीसीसीआई मुझे पिच मेकर के रूप में जोड़ना चाहती है. मैं इस कला को पेशेवर ढंग से सीखना चाहता था. मैं खेलों की दुनिया के लिए कुछ करना चाहता था. मैं अपनी स्पोर्ट्स अकादमी और उसमें सक्रिय 80 बच्चों के लिए कुछ करना चाहता था.” लगभग एक दशक पहले रमेश ने युवा खिलाड़ियों को अच्छे खिलाड़ियों के रूप में विकसित करने में मदद करने के लिए तिरुपुर स्कूल ऑफ क्रिकेट की शुरुआत की थी.यह कोर्स बिहार के पूर्व क्रिकेटर दलजीत सिंह के दिमाग की उपज है, मोहाली में एक जाने-माने हेड ग्राउंडमैन थे. वह 2019 में बीसीसीआई के मैदान और पिच समिति के प्रमुख के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे. रमेश ने कोयंबटूर, त्रिरुपुर और सलेम में अंडर 16, अंडर 19 और अंडर 23 के बीसीसीआई टूर्नामेंट्स के लिए पिच बनानी शुरू की थी. 2019 में टीएनसीए चाहती थी कि वह आईपीएल के दौरान चेपॉक पिच का चार्ज लें, लेकिन बिजनेस की व्यस्तता ने उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी.
इंग्लिश लुक के साथ तैयार है चेपॉक की पिच
परंपरागत रूप से चेपॉक पिच बाल्ड लुक लिए है, लेकिन इस बार यह हरी नजर आएगी. रमेश ने कहा कि यह यह इंग्लिश लुक वाला एक सामान्य चेपॉक पिच होगा. यह तीनों विभागों के लिए काम करेगा. यहां बल्ले और गेंद के बीच एक गहरी प्रतियोगिता होगी. पहले दिन, तेज गेंदबाजों के लिए कुछ होगा. दूसरे और तीसरे दिन बल्लेबाजों का पक्ष लेंगे. चौथे दिन स्पिनरों का समर्थन करेगी. टीएनसीए ने यहां कुछ अभ्यास मैच आयोजित किए हैं. जनवरी के पहले पखवाड़े में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के कुछ मैच यहां खेले गए थे. रमेश ने बताया, यहां कोई ओपन स्पॉट नहीं है. आउटफील्ड सॉफ्ट बेड है और पूरी तरह हरा है. चेपॉक पर 8 पिचें हैं.”
उन्होंने कहा, ”मैं चटर्जी के साथ चार पिचों पर काम कर रहा हूं. दो-दो पिचें पहले और दूसरे टेस्ट के लिए होंगी. ग्राउंड्समैन दो अलग-अलग तरह की पिचों के लिए काम कर रहे हैं. इनकी मिट्टी की प्रोफाइल अलग होगी. एक में शुद्ध लाल मिट्टी होगी, लेकिन इसका चरित्र अलग होगा. खासतौर पर वानखेड़े स्टेडियम की लाल मिट्टी से अलग. वानखेड़े में पिच बाउंस लेती है. दूसरी तरफ चेन्नई में लाल मिट्टी एक बार रोल करने के बाद फ्लैट हो जाएगी. यह एक कारण है कि पहले दिन यह हरी दिखाई पड़ेगी.”
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उन्होंने आगे बताया, ”दूसरी पिच का प्रोफाइल मिला-जुला होगा. इसका बेस स्थानीय लाल मिट्टी का होगा. इसके तीन इंच ऊपर काला क्ले होगा.” चटर्जी की गाइडेंस में रमेश पिच मेकिंग की बारीकियों को समझ रहे हैं. उन्होंने कहा, ”मेरा सपना था कि एक दिन टेस्ट पिच बनाऊं. मुझे उम्मीद नहीं थी कि यह दिन आएगा, लेकिन ऐसा हो रहा है और मैं टेस्ट मैच के लिए पिच बना रहा हूं.” रमेश नर्वस नहीं हैं. उनहोंने कहा, ”नहीं मैं नर्वस नहीं हूं. पहले और दूसरे दिन के बीच केवल तीन दिन का फर्क है, लेकिन मैं सहज हूं. मैं दोनों पिचों के लिए एक साथ काम कर रहा हूं. मेरे पास योजना है और एक सिस्टम है, शेड्यूल है. मैं नर्वस नहीं हूं. यह मेरा पहला अनुबंध है. आखिर मैं टेस्ट पिच बना रहा हूं.”