MP: आखिर उमा ने क्यों लिखा शिव को पत्र? लिखा तो फिर सार्वजनिक क्यों किया?

MP: आखिर उमा ने क्यों लिखा शिव को पत्र? लिखा तो फिर सार्वजनिक क्यों किया?


उमा भारती ने शिवराज को खुला पत्र लिखा है. (फाइल फोटो)

उमा ने यह भी लिखा कि कोई गलतफहमी ना हो, इसलिए पत्र को सार्वजनिक कर रही हूं. इस अभियान को सरकार के खिलाफ या संगठन की लाइन से हटकर चलाने से बचने के लिए उमा भारती ने गांधीजी के अभियान का भी पत्र में उल्लेख किया है.


  • News18Hindi

  • Last Updated:
    February 5, 2021, 10:02 AM IST

भोपाल. पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने शिवराज सिंह चौहान को लिखे पत्र में कहा है कि शराबखोरी से गरीबों की जिंदगी तबाह हो रही है. उन्होंने यह भी लिखा कि कोई गलतफहमी ना हो, इसलिए पत्र को सार्वजनिक कर रही हूं. इस अभियान को सरकार के खिलाफ या संगठन की लाइन से हटकर चलाने से बचने के लिए उमा भारती ने गांधीजी के अभियान का भी पत्र में उल्लेख किया है.

उन्होंने लिखा-गांधी जी की की कल्पना में आजाद भारत में शराबबंदी भी थी. लेकिन, इस देश में अभी तक जो प्रयास हुए हैं, वह सरकारी या राजनीतिक की बजाय सामाजिक रूप से ज्यादा सफल हुए हैं. उन्होंने पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री से कहा है कि 8 मार्च को एक बार फिर अभियान को लेकर विचार विमर्श होगा. इस संबंध में आपसे (शिवराज) के साथ भी बात करते रहेंगे.

इस तरह मंशा साफ की उमा ने

शिवराज को पत्र लिखने से पहले उमा भारती ने सोशल मीडिया पर इस अभियान को लेकर अपनी मंशा साफ कर दी थी. उन्होंने लिखा था- नशा करने के बाद ही रेप की घटनाएं बढ़ रही हैं, इसलिए नशा और शराबबंदी होनी चाहिए. ऐसा निर्णय लेने के लिए राजनैतिक साहस की जरूरत होती है. मध्य प्रदेश में शराबबंदी को लेकर अभियान चलाया जाएगा.ये आरोप लगाकर सरकार को घेरा था उमा ने

हाल ही में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा द्वारा नई शराब दुकानें खोलने की पैरवी करने पर उमा भारती ने कहा था- थोड़े से राजस्व का लालच और माफिया का दबाव शराबबंदी नहीं होने देता. देखा जाए तो सरकारी व्यवस्था ही लोगों को शराब पिलाने का प्रबंध करती है. जैसे, मां जिसकी जिम्मेदारी अपने बालक का पोषण करते हुए उसकी रक्षा करने की होती है. वही मां अगर बच्चे को जहर पिला दे, तो सरकारी तंत्र द्वारा शराब की दुकानें खोलना ऐसे ही है.








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