यहां से ले सकते है लग्ज़री गाड़ियां कम दाम में
ऐसे ताे कई कंपनियां हैं जाे ऑफिस, हाेटल्स व टूरिस्ट के लिए कारें लीज पर देने का काम करती है. ऐसी ही एक कंपनी है ओरिक्स इंडिया जाे कारें रेंट और लीज पर देती हैं. जब इन गाड़ियाें की लीज़ पूरी हाे जाती है ताे वह इन काराें काे दाेबारा लीज़ पर या फिर सेल करने के लिए निकाल देती है. ओरिक्स की सभी मेट्राे सिटीज़ में है. जिसका हेड ऑफिस मुंबई में है. यहां से संपर्क करके आप कंपनी द्वारा सेल की जा रही गाड़ियाें की पूरी लिस्ट ले सकते हैं. ओरिक्स जैसी बड़ी कंपनियाें के अलावा कई टूर एंड ट्रैवल्स वालों से भी ऐसी गाड़ियां कम दाम में मिल सकती है.
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कर्मशियल हाेती है पर टैक्सी नहीं
कंपनियाें में लगने वाली गाड़ियां कर्मशियल कैटेगिरी में आती है, लेकिन इन्हें टैक्सी नहीं कहते. टैक्सियाें की नंबर प्लेट पीली हाेती है जबकि इनकी ब्लैक. क्याेंकि गाड़ियां बड़े-बड़े अधिकारियाें वीवीआईपी के पास रहती हैं, इसलिए गाड़ियाँ पूरी तरह से मेंटेन रहती है. साथ ही जब भी कंपनी इन गाड़ियाें काे सेल करती है ताे बकायदा उसकी हर बड़ी से बड़ी और छाेटी से छाेटी बात भी कस्टमर काे बताई जाती है जिससे ट्रांसपेरेंसी बनी रहे.
कर्मशियल से प्राइवेट करने में कितना खर्चा
अब सवाल यही आ रहा हाेगा कि कर्मशियल कार काे लेने के बाद कितना खर्चा उसे प्राइवेट करने में आता है. ताे यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कार किस राज्य में ले जाना चाह रहे है क्याेंकि हर राज्य का अपना टैक्स हाेता है जाे कार खरीदे जाने के दाैरान उसके ऑन राेड प्राइस पर निर्भर करता है. जिसका पता आपकाे आरटीओ जाकर करना हाेगा. इसके अलावा सेकंड हैंड कार पर आजकल ग्रीन टैक्स भी लगता है. उदाहरण के ताैर पर यदि मध्य प्रदेश की बात करे ताे वहां करीब 10 प्रतिशत टैक्स देकर आप कार काे लाेकल नंबर के साथ अपने नाम पर ट्रांसफर करवा सकते हैं.