सरकार ने 1987 में एक सकुर्लर जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि पीएचक्यू में डीआईजी रैंक तक के पुलिस अफसरों की पदस्थापना करने का अधिकार डीजीपी को रहेगा.
गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव ने डीजीपी (DGP) को इस संबंध में पत्र भी लिखा है. पत्र में उन्हें बताया गया है कि डीजीपी आईपीएस अफसरों के तबादले करने का अधिकार नहीं है.
आदेश की काॅपी मिलने पर गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव ने इसे गलत ठहराते हुए तत्काल प्रभाव से पीएचक्यू के आदेश को निरस्त कर नए सिरे से इस आदेश को गृह विभाग से जारी किया. इसके बाद गृह विभाग के एक और आईपीएस का तबादला आदेश हाथ लगा, जिसमें तरण नायक एआईजी पीएचक्यू का तबादला कमांडेंट 7वीं बटालियन एसएएफ किया गया था. इसे भी सरकार ने निरस्त किया. दूसरा आदेश 18 जनवरी 2021 को जारी किया. मामला यही नहीं थमा. गृह विभाग को एक फरवरी 2021 को जानकारी में आया कि 9 अक्टूबर 2020 को आईपीएस विवेक शर्मा को एडमिन पीएचक्यू के पद पर पदस्थ किया गया. इस आदेश को भी सरकार ने निरस्त कर नए सिरे से गृह विभाग की ओर से जारी किया गया. अब यह मामला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान तक जा पहुंचा है.
डीजीपी को लिखा पत्र
गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव ने डीजीपी को इस संबंध में पत्र भी लिखा है. पत्र में उन्हें बताया गया है कि डीजीपी आईपीएस अफसरों के तबादले करने का अधिकार नहीं है. डीजीपी सरकार को प्रस्ताव भेज सकते हैं, लेकिन उन पर सरकार निर्णय लेकर आदेश जारी करेगी. डीजीपी अपने स्तर पर सीधे तबादला आदेश जारी नहीं कर सकते.एक्सटेंशन पर है विवेक जौहरी
तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने डीजीपी विवेक जौहरी के रिटायरमेंट से 6 माह पहले मार्च 2020 में 2 साल का एक्सटेंशन दिया था. जौहरी 30 सितंबर 2020 में रिटायर होने वाले थे. इसी बीच कमलनाथ सरकार गिर गई. शिवराज सरकार आ गई. डीजीपी जौहरी मुख्यमंत्री शिवराज के भी काफी करीबी माने जाते हैं. यही वजह है कि मुख्यमंत्री ने पदभार संभालते ही गोपाल रेडडी को मुख्यसचिव के पद से तो हटा दिया, लेकिन डीजीपी जौहरी को बरकरार रखा. मुख्यमंत्री से नजदीकी होने की वजह से डीजीपी जौहरी अपने अधिकारों के बाहर जाकर आईपीएस के तबादला आदेश जारी करने से नहीं डरे. वहीं, इसे लेकर आईएएस अफसरों में खासी नाराजगी है. अपर मुख्य सचिव ने भी इस मामले में पूरी तरह से मोर्चा खोल रखा है. उनका कहना है कि सरकार के रुल्स में जिसे जो अधिकार मिले हैं उसी दायरे में अफसर को काम करना चाहिए.
क्या कहता है नियम
सरकार ने 1987 में एक सकुर्लर जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि पीएचक्यू में डीआईजी रैंक तक के पुलिस अफसरों की पदस्थापना करने का अधिकार डीजीपी को रहेगा. जबकि इससे ऊपर के पुलिस अफसरों की पदस्थापना आदेश शासन स्तर पर गृह विभाग करेगा. जबकि डीजीपी जौहरी ने आईजी रैंक के अफसरों की पदस्थापना आदेश जारी कर दिए. इसी तरह पीएचक्यू के बाहर आइपीएस अफसरों के तबादला करने का अधिकार भी डीजीपी को नहीं बल्कि सरकार को है. लेकिन डीजीपी ने एआईजी तरुण नायक की पोस्टिंग पीएचक्यू से बाहर कर दी. जबकि सरकार ने नायक को एसपी पद से हटाकर पीएचक्यू में पदस्थ किया था.