उत्तराखंड में 7 साल बाद फिर आपदा: UP में गंगा किनारे के 27 जिलों में अलर्ट; CM योगी ने DM-SP को सतर्कता के दिए निर्देश

उत्तराखंड में 7 साल बाद फिर आपदा: UP में गंगा किनारे के 27 जिलों में अलर्ट; CM योगी ने DM-SP को सतर्कता के दिए निर्देश


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लखनऊ4 मिनट पहले

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उत्तर प्रदेश बाढ़ व सिंचाई विभाग को उत्तराखंड आपदा के मद्देनजर अलर्ट किया गया है।

  • बुलंदशहर में गंगा में बढ़ते जल स्तर की आशंका को लेकर एडवाइजरी जारी
  • गंगा के किनारों पर लोगों को नहीं जाने की दी जा रही है सलाह

उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को ग्लेशियर टूट गया। इसके चलते तपोवन बैराज, श्रीनगर डैम और ऋषिकेश डैम भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। इस हादसे में यहां काम करने वाले 150 मजदूर लापता हैं। अलकनंदा और धौलीगंगा की नदियों में उफान हो गया है। इस तबाही के बाद उत्तर प्रदेश में भी अलर्ट घोषित किया गया है। गंगा किनारे बसे यूपी के हापुड़, बुलंदशहर, बिजनौर समेत 27 जिलों में अलर्ट जारी किया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी जिलों के DM-SP को अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं।

मुख्यमंत्री बोले- पूरी स्थिति पर नजर रखी जाए
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पूरी स्थिति पर नजर रखी जाए। SDRF को अलर्ट मोड पर रखा जाए। गंगा नदी के किनारे पड़ने वाले सभी जिलों के डीएम, एसपी को पूरी तरह से सतर्क रहेंं। बदायूं, अमरोहा, बिजनौर, मेरठ, मुज्जफनगर, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, फर्रुखाबाद, कन्नौज, उन्नाव, कानपुर,फतेहपुर, वाराणसी आदि जिलों को सतत निगरानी के लिए अलर्ट किया गया है। उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने बताया कि सिंचाई विभाग को अलर्ट किया गया है।

बिजनौर में खेतों पर काम कर रहे किसानों को घर भेजा गया
वहीं, बुलंदशहर में प्रशासन ने गंगा में बढ़ते जल स्तर की आशंका को लेकर नदी किनारे लोगों नहीं जाने की सलाह दी है। बुलंदशहर के स्याना, डिबाई, अनूपशहर और नरौरा से गुजर गंगा के किनारे अनाउंसमेन्ट किया जा रहा है। हापुड़ और बिजनौर जिलों में समेत एक दर्जन जिलों नदी के किनारे इलाकों में अलर्ट किया है। बिजनौर में गंगा किनारे खेतों पर काम कर रहे किसानों को पुलिस ने घर भेज दिया है। बिजनौर जिले के करीब 15 गांवों पर बाढ़ का खतरा है। गंगा किनारे बसे गांवों में पुलिस अलर्ट रहने का अनाउंसमेंट कर रही है।

उत्तराखंड में क्या हुआ है?
दरअसल, उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को ग्लेशियर टूट गया। इसके बाद धौलीगंगा नदी में जल स्तर अचानक बढ़ गया। आपदा में 100 से 150 लोगों के मारे जाने की आशंका है। चमोली के तपोवन इलाके में हुई इस घटना से ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट को काफी नुकसान पहुंचा है। यहां काम करने वाले कई मजदूर लापता हैं। नदी के किनारे बसे कई घर पानी में बह गए हैं। आसपास के गांवों को खाली कराया जा रहा है। ऋषिगंगा के अलावा एनटीपीसी के भी एक प्रोजेक्ट को नुकसान पहुंचा है। तपोवन बैराज, श्रीनगर डैम और ऋषिकेश डैम भी क्षतिग्रस्त हुए हैं।

जून 2013 में आई आपदा में 4 हजार से ज्यादा की जान गई थी

16-17 जून 2013 को बादल फटने से रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ जिलों में भारी तबाही मची थी। इस आपदा में 4,400 से अधिक लोग मारे गए या लापता हो गए। 4,200 से ज्यादा गांवों का संपर्क टूट गया। इनमें 991 स्थानीय लोग अलग-अलग जगह पर मारे गए। 11,091 से ज्यादा मवेशी बाढ़ में बह गए या मलबे में दबकर मर गए। ग्रामीणों की 1,309 हेक्टेयर भूमि बाढ़ में बह गई। 2,141 भवनों का नामों-निशान मिट गया। 100 से ज्यादा बड़े व छोटे होटल ध्वस्त हो गए। आपदा में नौ नेशनल हाई-वे, 35 स्टेट हाई-वे और 2385 सड़कें 86 मोटर पुल, 172 बड़े और छोटे पुल बह गए या क्षतिग्रस्त हो गए थे।



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