टेस्ट के लिए बेस्ट है चेन्नई जैसी पिच: 22 साल BCCI के चीफ क्यूरेटर रहे दलजीत ने कहा- टेस्ट को जिंदा रखना है तो ऐसी ही पिच बनाओ

टेस्ट के लिए बेस्ट है चेन्नई जैसी पिच: 22 साल BCCI के चीफ क्यूरेटर रहे दलजीत ने कहा- टेस्ट को जिंदा रखना है तो ऐसी ही पिच बनाओ


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चेन्नई8 मिनट पहले

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इंग्लैंड ने मंगलवार को चेन्नई टेस्ट में टीम इंडिया को 227 रन से हरा दिया। टेस्ट के पांचों दिन इंग्लैंड टीम हावी रही। इस वजह से मैच के पहले दिन से चेपक की पिच चर्चा में रही। शुरुआत में इसे बेजान बताया गया, लेकिन जैसे-जैसे खेल आगे बढ़ा तो पिच की असल रंगत भी सामने आई।

इस पिच को लेकर दिग्गज पिच क्यूरेटर दलजीत सिंह ने भास्कर से बात की। दलजीत 22 साल (1997 से 2019) BCCI के चीफ क्यूरेटर रहे हैं। वे 1974-75 में रणजी ट्रॉफी के फाइनल में पहुंचने वाली बिहार टीम के कप्तान भी रह चुके हैं। पेश हैं इंटरव्यू के मुख्य अंश…

आप पहले टेस्ट की पिच को किस रूप में देखते हैं और इसे कितने अंक देंगे‌?
मेरे मुताबिक चेन्नई की पिच टेस्ट क्रिकेट के लिए परफेक्ट रही। मैं इस पिच को 100% अंक देता हूं। पिच क्यूरेटर वी रमेश कुमार ने टेस्ट को ध्यान में रखकर बेहतरीन पिच तैयार की। वे इसके लिए बधाई के पात्र हैं।

इस पिच की क्या खासियत रही?
इस पिच पर सबके लिए कुछ न कुछ था। यहां दोहरा शतक बना, एक स्पिनर ने पारी में 6 विकेट लिए। तेज गेंदबाजों को भी कामयाबी मिली। स्लिप में कैच भी पकड़े गए। हम कह सकते हैं कि इसमें सब कुछ था। पहले दिन पिच बल्लेबाजों के लिए बेहतर रही। यहां काफी रन बने। वहीं दूसरे दिन से गेंदबाजों को मदद मिलनी शुरू हो गई। पांचवे दिन उतार-चढ़ाव देखने को मिला।

दोनों टीमें दो-दो बार ऑलआउट हुई? क्या इसे अच्छा कहा जाएगा?
जी बिल्कुल। टेस्ट क्रिकेट को जिंदा रखने के लिए चेन्नई जैसी पिच ही तैयार की जानी चाहिए। इस पिच पर कभी बल्लेबाज हावी रहे, तो कभी गेंदबाज। स्पिनर्स और फास्ट बॉलर दोनों विकेट लेने में सफल हुए। दोनों टीमें दो-दो बार ऑलआउट हुई। अंतिम दिन टेस्ट का रिजल्ट भी निकला। टेस्ट में रिजल्ट आने पर ही इसके प्रति लोगों की रुचि बनी रहेगी।

टेस्ट क्रिकेट के लिए किस तरह की पिच नहीं होनी चाहिए?
टेस्ट में ऐसी पिच नहीं होनी चाहिए, जिस पर दो या तीन दिन में रिजल्ट आ जाए। ऐसी पिच भी नहीं तैयार की जानी चाहिए, जहां बिना परिणाम के ही टेस्ट समाप्त हो जाए। अगर टेस्ट को जिंदा रखना है तो विभिन्न देशों के बोर्ड को चेन्नई जैसे पिच को बढ़ावा देना होगा। टेस्ट के लिए सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर पिच तैयार करना होगा, ताकि पांचवें दिन तक इसका रिजल्ट आए और लोगों की रुचि पहले दिन से अंतिम दिन तक बनी रहे।

क्या चेन्नई में टॉस ने अहम भूमिका नहीं निभाई?
जी बिल्कुल। इस पिच पर टॉस जीतना महत्वपूर्ण था। अगर भारतीय टीम के पक्ष में टॉस जाता तो शायद परिणाम अलग भी हो सकता था। हम सभी भारतीय चाहते हैं कि इंडिया जीते। इंग्लैंड ने टॉस जीता और उसके बल्लेबाजों ने पिच का फायदा उठाया।

क्या आपको लगता है कि दूसरे टेस्ट मैच में भी हम ऐसी ही पिच देखेंगे?
किसी भी मेजबान देश की कोशिश रहती है कि वह अपने लिहाज से पिच तैयार करे। घरेलू कोच और कप्तान की सलाह पर पिच को अंतिम रूप दिया जाता है। हर देश घरेलू सीरीज में इसका फायदा उठाता है। भारत भी उठाता है, तो इसमें गलत नहीं है, लेकिन मैं फिर कहूंगा कि पहले टेस्ट में जैसी पिच थी, वह आदर्श थी।



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