खड़े कर दिए हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, सांसपारेल्स ग्रीनलैंड्स (एसजी) ने सीरीज के लिये गहरे रंग की बॉल तैयार की. इसका सीम भी उभरा हुआ बनाया गया. लेकिन अब कहा जा रहा है कि गेंदबाजों को गेंद की कमी लग रही है. बता दें कि गेंद में ये बदलाव कप्तान कोहली और खिलाड़ियों के कहने पर किए गए. लेकिन अब उन्होंने ही इस पर सवाल खड़े कर दिए हैं. विराट कोहली का कहना है कि एसजी बॉल का स्तर ऐसा नहीं था, जो पहले हुआ करता था. बॉल 60 ओवर के बाद खराब हो रही थी और टेस्ट में ऐसा नहीं होना चाहिए.
विराट की इच्छा, भारत में भी ड्यूक बॉल का इस्तेमाल हो
एसजी बॉल भारत में मैचों की पहचान है. लेकिन विराट कोहली अब ड्यूक बॉल की वकालत करते हैं. 2018 में उन्होंने पहली बार इस मांग को किया था. अब चेन्नई टेस्ट के बाद उन्होंने एक बार फिर से देश में ड्यूक बॉल के इस्तेमाल पर जोर दिया है. कोहली ने कहा है कि पहले टेस्ट में वो एसजी बॉल की क्वालिटी से खुश नहीं हैं. यहां तक कि गेंदबाजों ने गेंद को बदलने की मांग की, लेकिन अंपायरों ने इसे नहीं माना.
क्या फर्क है तीनों बॉल में
एसजी बॉल भारत में मैचों के दौरान इस्तेमाल होती है. वहीं ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में कूकाबुरा बॉल से मैच खेले जाते हैं. इंग्लैंड में ड्यूक बॉल चलती है. कूकाबुरा बॉल और एसजी में एक बुनियादी फर्क होता है इसके बनने से. एसजी बॉल हैंडमेड होती हैं, वहीं कूकाबुरा मशीन से बनाई जाती है. इसलिए एसजी बॉल सबसे पहले अपना आकार खोती हैं.ड्यूक बॉल जहां तेज गेंदबाजों को मदद करती है, तो एसजी भारत के मिजाज के हिसाब से स्पिन बॉलर्स के लिए फायदेमेंद होती है.
विराट कोहली चाहते हैं कि पूरी दुनिया ड्यूक बॉल से टेस्ट खेले
2018 में विराट कोहली ने कहा कि वह चाहते हैं कि पूरी दुनिया के देश टेस्ट मैच ड्यूक बॉल से खेलें. कोहली के अनुसार, ड्यूक बॉल मैच में किसी भी वक्त बॉलर्स को गेम में ला सकती है. इसकी सीम काफी सख्त होती है. अभी आईसीसी ने बॉल को लेकर कोई एक नियम नहीं बनाया है.