- Hindi News
- Local
- Mp
- Jabalpur
- 10 Years Ago There Were 40 Thousand Dogs In Jabalpur, 53 Thousand Sterilized, 35 Thousand Dogs Still Remaining
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
जबलपुर3 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
कठौंदा में कुत्तों की नसबंदी का केंद्र बना है। यहां रोज 15 से 20 कुत्तों की नसबंदी का दावा किया जाता है।
- नगर निगम का दावा, कुत्तों की नसबंदी की तुलना में प्रजनन की संख्या ज्यादा
- शहर में डेढ़ लाख की इंसानी आबादी पर 10 हजार कुत्तों की संख्या, इस कारण मुसीबत
कठौंदा में एक दिन पहले ही डेढ़ साल की मासूम दीपाली को आवारा कुत्तों ने नोंच डाला। इस हादसे के बाद आवारा कुत्तों की नसबंदी की पोल खोल दी। शहर में 10 साल पहले 40 हजार कुत्ते थे। नगर निगम का दावा है कि अब तक 53 हजार के लगभग कुत्तों की नसबंदी हो चुकी है।
बावजूद 35 हजार कुत्ते अभी भी शेष हैं। इस नसबंदी अभियान में नगर निगम 1.91 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। अब निगम कुत्तों की नसबंदी का लक्ष्य पूरा करने के लिए नसबंदी केंद्रों की संख्या बढ़ाने की तैयारी में है। अभी एक दिन में 15-20 कुत्तों की ही नसबंदी हो पा रही है।

इस तरह कुत्तों को पकड़ती है नगर निगम की टीम।
जानकारी के अनुसार जिले में मार्च 2011 से कुत्तों की नसबंदी का अभियान चलाया जा रहा है। तब शहर में 40 हजार के लगभग कुत्ते-कुतियां थे। उस समय नगर निगम ने दुर्ग की एनीमल फाउंडेशन को ठेका दिया था। तब निगम कुतियां की नसबंदी पर 650 और कुत्ते की नसबंदी पर 450 रुपए देती थी। वर्तमान में 13 जनवरी 2021 से ये ठेका मां बगुलामुखी साई सेवा समिति को मिला है। इससे पहले मां नर्मदा साई सेवा समिति नसबंदी का दायित्व संभाल रही थी।


कठौंदा में जगह-जगह झूंड में नजर आते हैं आवारा कुत्ते।
शहर भर से पकड़ते हैं कुत्ते, कठाैंदा में ही छोड़ देते हैं
नगर निगम एक कुतियां की नसबंदी पर 705 रुपए और कुत्ते पर 678 रुपए खर्च करती है। ठेका लेने वाली फर्म को चार दिन तक कुत्तों को रखने, नसबंदी करने, रैबिज का इंजेक्शन लगाने और उनके भोजन की व्यवस्था करनी होती है। फर्म की तरफ से 6-6 लोगों की टीम कुत्तों को पकड़ने के लिए बनाई गई है। कठौंदा में कुत्तों की नसबंदी का केंद्र बना है। शहर भर से कुत्तों को पकड़ कर यहां लाया जाता है। नियम है कि कुत्तों को उनके पकड़े गए क्षेत्र में ही छोड़ा जाए, लेकिन ऐसा होता नहीं है।
53 हजार से अधिक कुत्तों की नसबंदी
नगर नगम के सहायक स्वास्थ्य अधिकारी आरके गुप्ता के मुताबिक अब तक शहर में 53 हजार 820 के लगभग कुत्तों की नसबंदी हो चुकी हैं। इसमें मई 2020 तक 27 हजार 889 कुतियों का तो 23 हजार 931 कुत्तों का ऑपरेशन हो चुका है। मई से दिसंबर तक दो हजार के लगभग और ऑपरेशन हुआ है। वेटरनरी की तरफ से 2020 में कराए गए सर्वे में 35 हजार कुत्ते-कुतियां की संख्या ऐसी मिली थी, जिसका नसबंदी होना है। ये टारगेट पूरा करने के लिए नसबंदी केंद्र बढ़ाने की तैयारी में है।

शहर में आवारा कुत्ते मुसीबत बनते जा रहे हैं।
आवारा कुत्तों से शहर परेशान
एक तरफ नगर निगम कुत्तों की संख्या काबू में करने के लिए पानी की तरह पैसे बहा रही है। दूसरी ओर शहरवासी को इनके खौफ से कोई छुटकारा नहीं मिल पा रहा है। प्रतिदिन नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग को 40 के लगभग आवारा कुत्तों की शिकायतें मिलती हैं। इसमें पागल कुत्तों से लेकर कुत्तों के काटने तक की शिकायत शामिल है। यहां तक कि रोज आठ से 10 शिकायतें सीएम हेल्पलाइन की पहुंचती है।
कुत्तों का भी मानवाधिकार
नगर निगम के सहायक हेल्थ ऑफिसर आरके गुप्ता के मुताबिक हमारे काम पर शहर की सात से आठ NGO नजर रखती हैं। किसी कुत्ते को मार नहीं सकते। पागल होने पर ही वेटरनरी डॉक्टर की रिपोर्ट पर प्वाइजन दे सकते हैं। नसबंदी पर नजर रखने के लिए एक सुपरवाइजर की ड्यूटी लगाई जाती है। नसबंदी की पहचान के तौर पर कुत्ते का कान काटा जाता है। नसबंदी के दौरान प्रजनन अंग निकाले जाते हैं, जो वेटरनरी डॉक्टर से हर महीने सत्यापित कराना पड़ता है।

कुत्तों को इस तरह जाल में फंसा कर पकड़ा जाता है।
कुत्तों को पकड़ने में आती है दिक्कत
कुत्तों को पकड़ने में काफी परेशानी आती है। एक कुत्ते को पकड़ने में टीम को एक से दो घंटे लग जाते हैं। कुत्तों को पकड़ने वाली टीम और वाहन को देखते ही उस क्षेत्र के कुत्ते भागने लगते हैं। कई बार स्थानीय लोगों का भी विरोध झेलना पड़ता है कि निगम उनका पालतू कुत्ता पकड़ रहा है। गले में पट्टा वाले कुत्तों को ही निगम पालतू मानते हैं।
इस घटना से पूरी व्यवस्था कटघरे में
कठौंदा निवासी सुशील श्रीवास्तव की डेढ़ साल की मासूम बेटी दीपाली पर घर के सामने खेलते हुए आवारा कुत्तों का झुंड टूट पड़ा था। शुक्रवार को हुई इस हृदय विदारक घटना में मासूम लहुलूहान हो गई। उसे मेडिकल में भर्ती कराया गया। वहां उसका ऑपरेशन भी हुआ लेकिन चिकित्सक उसे बचा नहीं पाए। रविवार को उसने दम तोड़ दिया। सोमवार को मासूम का पीएम के बाद परिजन अंतिम संस्कार कर पाए। मामला तूल पकड़ा तो शहर प्रवास पर पहुंचे जिले के प्रभारी मंत्री कमल पटेल ने कहा कि जवाबदारी तय होगी। लापरवाहों पर कार्रवाई होगी।