हाई कोर्ट से राहत नहीं: IAS द्वारा 8 करोड़ के मंडी टैक्स घोटाले कोई कोर्ट से राहत नहीं ,जब पेश होंगे उस दिन कोर्ट निर्णय लेगा

हाई कोर्ट से राहत नहीं: IAS द्वारा 8 करोड़ के मंडी टैक्स घोटाले कोई कोर्ट से राहत नहीं ,जब पेश होंगे उस दिन कोर्ट निर्णय लेगा



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इंदौर13 मिनट पहले

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कृषि उपज मंडी में आठ करोड़ रुपए के 19 साल पुराने टैक्स घोटाले में आईएएस अफसर ललित दाहिमा को विशेष न्यायालय के समक्ष उपस्थित होना पड़ेगा। दाहिमा ने अग्रिम जमानत के लिए हाई कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की थी, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली। हाई कोर्ट ने कहा कि जिस न्यायालय से गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ है दाहिमा वहीं जमानत आवेदन प्रस्तुत करें। कोर्ट उसी दिन जमानत पर निर्णय लेगी।

दाहिमा के खिलाफ हाल ही में विशेष न्यायालय ने गिरफ्तारी वारंट जारी करते हुए ईओडब्ल्यू एसपी से कहा है कि वे 19 फरवरी को उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करें। इस आदेश को चुनौती देते हुए दाहिमा ने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी। सोमवार को जस्टिस विवेक रूसिया के समक्ष इस पर सुनवाई हुई। ईओडब्ल्यू की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव ने पैरवी की। उन्होंने तर्क रखा कि यह मामला अग्रिम जमानत का है ही नहीं।

बार-बार समन जारी होने के बावजूद दाहिमा उपस्थित नहीं हो रहे हैं। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि वे न्यायालय की अवहेलना कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने तर्क सुनने के बाद अग्रिम जमानत याचिका इस आदेश के साथ निराकृत कर दी कि दाहिमा विशेष न्यायालय के समक्ष उपस्थित होकर नियमित जमानत के लिए आवेदन प्रस्तुत करें। कोर्ट उसी दिन इस आवेदन पर फैसला लेगी।

ऐसे किया था फर्जीवाड़ा

तत्कालीन मंडी सचिव और इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया था कि 23 फर्मों के बनाए गए लाइसेंसों में मंडी के नियमों की अनदेखी की गई और बिना मंडी शुल्क के ही लाइसेंस जारी कर दिए गए। आरोपियों ने एक-दूसरे की पहचान पेश की और संगठित रूप से साजिश रची थी। इसी के चलते लाइसेंस बनते गए। मंडी ने लाइसेंस में दर्ज पतों पर मंडी शुल्क वसूली के लिए नोटिस भेजे तो उसका कोई अस्तित्व ही नहीं था। पते ही फर्जी निकले। इससे करीब आठ करोड़ से ज्यादा का घपला हुआ।

मुख्य चालान ऐतिहासिक था

19 साल पुराने मामले में 2011 में लिपिक कानूनगो सहित 23 व्यापारिक फर्मों के खिलाफ जो चालान पेश हुआ, उसकी कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। वह ऐतिहासिक चालान करीब डेढ़ लाख पन्नों का था। मामले में व्यापारी जगदीश तिवारी, दिलीप अग्रवाल, आशीष गुप्ता, अनिल मित्तल, आनंद गुप्ता, अमित गर्ग, रवि काकाणी, मनीष गोयल, चंद्रशेखर अग्रवाल, आवेश गर्ग, हरीश गलकर, अश्विन गोयल, सौरभ मंगल, आनंदकुमार जैन, कैलाशचंद्र, मुरारीलाल अग्रवाल, संजय गर्ग, बाबूलाल अग्रवाल, श्यामसुंदर अग्रवाल, विजयकुमार अग्रवाल व सचिन मंगल आरोपी बनाए गए। इस मामले में दो व्यापारी संजय पिता मनसुखभाई मेहता व प्रदीप पिता शिवस्वरूप जैन अभी तक फरार है।



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