रेत माफिया के हौसले कितने बुलंद हैं और आम आदमी कितना लाचार, नाराज और डरा हुआ है, इसका ताजा उदाहरण दो दिन पहले राज्य के अशोकनगर जिले के बहादुरपुर से लगे खिरिया गांव के घाट पर देखने को मिला, जहां कैथल नदी में अवैध उत्खनन करने वालों को एक गांव वाले सुखवीर कटारिया नामक ग्रामीण ने रोकने की कोशिश की तो रेत माफिया कुलदीप सिंह ने उसे बेदम पीटा. नतीजे में गुस्साए सुखवीर ने जहर खा लिया. यह मामला आज बुधवार को तब सुर्खियों में आया, जब तहसीलदार ने रेत निकालने के लिए नदी में रखी पनडुब्बी में आग लगा दी. वहीं दूसरी ओर ओरछा में घटवाहा गांव में बेतवा नदी (Betwa River) किनारे बेलगाम रेत खुदाई की वजह से खदान धसकने से तीन मजदूरों की मौत हो गई.
हकीकत से उलट सरकारी दावे
अवैध उत्खनन पर रोक लगाने के तमाम सरकारी दावे हकीकत से एकदम उलट हैं. मध्य प्रदेश में अवैध उत्खनन का सबसे बड़ा कारोबार चंबल, नर्मदा, क्षिप्रा, बेतवा, सोन जैसी बड़ी नदियों से चलता है. यहां सक्रिय रेत माफिया का एक छत्र राज दिखता है. उदाहरण के लिए प्रदेश की चंबल नदी से रेत निकालने पर पिछले डेढ़ दशक से रोक लगी हुई है, लेकिन हर महीने अंदाजन 35 से 40 करोड़ का कारोबार होता है. क्या यह नेता, जिला, पुलिस और खनन विभाग के अफसरों की रेत माफिया से मिलीभगत के बिना संभव है?
कैसे नदी से निकली रेत हर जांच चौकी और बैरियर से पास होते हुए बेरोकटोक बाजार तक पहुंच रही है? काम के बदले रिश्वत की शक्ल में दाम अदा करने वाला रेत माफिया रास्ते में रुकावट बनने वाले हर कांटे को कानून की परवाह किए बगैर कुचल डालता है.
पुलिस, वन विभाग की टीम पर हमले
अकेले ग्वालियर-चंबल (Gwalior-Chambal) के इलाके में रेतमाफिया ने पिछले 15 दिन के भीतर चार बार पुलिस और वन विभाग टीम पर हमला बोला. दतिया में 2-3 फरवरी को रेत माफिया ने एक पुलिस जवान को गोली मार दी. इस घटना के बाद ग्वालियर के पुरानी छावनी के जलालपुर इलाके में चंबल से रेत ला रहे माफिया ने पेट्रोलिंग कर रहे टीआई सुधीर सिंह पर हमला बोल दिया. पुलिस टीम पर फायरिंग शुरू कर दी. रेत चोरों ने घिर चुके टीआई को जमकर पीटा. टीआई ने नाले में कूदकर जैसे-तैसे जान बचाई.
>>एक अन्य घटना में ग्वालियर में रेत माफिया ने पुलिस पर गोलियां चलाईं और ट्रैक्टर, डंपर से कुचलने की कोशिश की.
>>इसी महीने की 7 तारीख को रेत माफिया के गुर्गे दतिया के नजदीक ग्वालियर-झांसी हाईवे पर वन विभाग की टीम पर हमला कर रेत से भरा ट्रक और ट्राली छीनकर ले गए थे. इसमें एक वनआरक्षक घायल हुआ था.
>>जनवरी के महीने में 24 तारीख को मुरैना में सबलगढ़ टीआई नरेन्द्र शर्मा पर हमला, 30 जनवरी को श्योपुर में वनरक्षकों पर हमला और कब्जे से रेत से भरी ट्रैक्टर-ट्राली छुड़ाना. वहीं, श्योपुर में ही रेत माफिया का हीरापुर वन चौकी पर हमला हुआ.
>>इसी तरह अनूपपुर जिले में दो कर्मचारियों के साथ रेत माफिया को पकड़ने पहुंचे सहायक वनक्षेत्र अधिकारी को माफिया ने ही तीन घंटे तक बंधक बनाकर रखा और बोले कि अगली बार सामने आए, तो जान से मार देंगे.
>>पन्ना जिले का अजयगढ़ हो या सिंगरौली पुलिस और वन विभाग की टीम पर रेत माफिया के हमले की कई घटनाएं पिछले दिनों सामने आ चुकी हैं.
रेत खनन बहुत बड़ा अवैध कारोबार
एनजीओ ‘द एशिया आन नेटवर्क आन डैम्स, रिवर्स एंड पीपुल’ की रिपोर्ट ‘भारत में रेत खनन हिंसा 2019–20 में खनन माफिया’ के बढ़े हौसलों का जिक्र किया गया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि मध्य प्रदेश ही नहीं, पूरे भारत में अवैध रेत उत्खनन एक बहुत बड़ा अवैध व्यवसाय बन गया है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि जनवरी 2019 से 15 नवंबर 2020 के बीच खनन से जुड़ी घटनाओं, गिरोहों की आपसी दुश्मनी और रेत मााफिया द्वारा अधिकारियों पर हमलों आदि के कारण देश में कम से कम 193 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस बुराई के खिलाफ व्यापक पैमाने पर अभियान चलाने वाले माफिया के सदस्यों के साथ ही उन्हें संरक्षण देने वाले नेताओं, पुलिस में मौजूद काली भेड़ों और अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है.
दिग्विजय सिंह का आरोप
बता दें कि ग्वालियर-दतिया में पुलिस टीम और टीआई पर इसी महीने रेत माफिया के गंभीर हमलों के बाद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने शिवराज सिंह सरकार पर बड़ा आरोप लगाया था. दिग्विजय सिंह ने कहा था कि अवैध गतिविधियों में शामिल लोगों का हौसला बढ़ता जा रहा है, क्योंकि वे विधायकों और मंत्रियों को कमीशन दे रहे हैं. जाहिर है इससे लोगों में कानून का कोई डर नहीं है और यह हर दिन पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों पर हमला करते हैं. ऐसे लोग यह स्वीकार नहीं कर सकते कि पैसे देने के बावजूद उन्हें रोका जाए. उन्होंने यह भी कहा था कि अगर प्रशासन गंभीरता से काम करे तो एक दिन में रेत का अवैध खनन रोका जा सकता है. (नोट- यह लेखक के अपने निजी विचार हैं.)