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- Indore DAVV Vishwavidyalaya Convocation 2021; Anandi Ben Patel Speaks On New Education Policy
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इंदौर3 मिनट पहले
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राज्यपाल आनंदी बेन पटेल डीएवीवी के दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं।
नई शिक्षा नीति में बहुत कुछ नया है। जो परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। वह अब पूरी तरह से बदलने वाली है। लंबे समय से यही चला आ रहा है कि यदि स्कूल काॅलेज में कमेस्ट्री का टीचर है ताे वह कमेस्ट्री ही पढ़ाएगा, फिजिक्स पढ़ाने को कहो तो वह मना कर देगा, कि यह उसका विषय नहीं है। नई शिक्षा नीति में अब एेसा नहीं है। आपको सबकुछ सीखना होगा और सबकुछ पढ़ाना होगा। यह बात शुक्रवार को राज्यपाल और कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल ने डीएवीवी के दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कुपोषण के साथ ही दहेज प्रथा और बाल विवाह प्रथा को खत्म करने के लिए अभियान चलाने पर भी जोर दिया।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल सीधी जिले में हुई बस दुर्घटना का जिक्र करते हुए कहा कि यह हृदय विदारक घटना है। मृतकों में छात्र-छात्राएं भी शामिल थे, जो परीक्षा देने जा रहे थे। नई शिक्षा नीति को लेकर कहा कि अब 70 फीसदी सिलेबस केंद्र से आएगा। वहीं, 30 फीसदी पाठ्यक्रम यूनिवर्सिटी और स्टेट गर्वमेंट तैयार करेगी। अब हमें यह तय करना है कि सिलेबस वही रखना है कि कुछ इसमें नया करना है। इसके लिए हमें स्टडी करना होगा।
इसमें सबसे अच्छी बात यह है कि शिक्षकों को भी अब माड्यूल कि हिसाब से तैयारी करनी होगी। युवाओं के लिए शिक्षा नीति में कई प्रावधान किए गए हैं। आत्मनिर्भर भारत के लिए हमें सीखना जरूरी है। पहली कक्षा से लेकर कॉलेज स्टूडेंट्स तक को टूर प्रोग्राम करवाना चाहिए। नई शिक्षा नीति में यह भी है कि अब कमेस्ट्री का टीचर यह नहीं कह पाएगा कि वह फिजिक्स नहीं पढ़ा पाएगा। धीरे-धीरे यह बंद हो रहा है। अब आपको सबकुछ पढ़ाना पड़ेगा। सबकुछ सीखना पड़ेगा।
राज्यपाल ने कहा कि यदि एक बेटी को गोल्ड मेडल मिला हो और विवाह के समय लड़के वाले लड़की के माता-पिता के पास गोल्ड की मांग करे तो वे कितने योग्य होंगे। यह सोचने वाली बात है। मुझे तो पता चला है कि सरकारी नौकरी मिल जाए तो वे लोग दहेज की ज्यादा मांग करते हैं। हम आज हमारे बेटे बेच रहे हैं। मप्र में ऐसा आंदोलन चले, जिसमें बाल विवाह और दहेज प्रथा खत्म हो जाए। दहेज मांगते हैं, नहीं मिला तो बेटियों को जला देते हैं।
राज्यपाल ने अपने जीवन का एक किस्सा भी सुनाया
मैंने 1966 में बीएड किया था। तब हमारे एक अध्यापक अपनी नोट लेकर अाते थे। 15 से 20 साल से वे टीचर वही नोट लेकर आया करते थे। वे पीले पड़ चुके थे। मैं और मेरी बहन तो उनका कुछ लिखते ही नहीं थे। क्योंकि हमें पता था कि इनके पास कुछ नया मिलेगा नहीं। हमारे पास इनसे ज्यादा है। उन्होंने पूछा की आप क्यों नहीं लिखते हो। इस पर मैंने कहा कि मेरी सिस्टर लिखती है। हम दोनों साथ में रहते हैं, उसी से पढ़ लेंगे। इस पर उन्होंने कहा कि बहन के नोट्स गुम हो गए तो इस पर मैंने कहा कि सर आपकी 15-20 साल की नोट गुम नहीं हुई ताे हमारी एक साल की कैसे गुम हो जाएगी। यह उदाहरण उन्होंने छात्रों को कुछ नया देने के लिए दिया। उन्होंने कहा यदि आप वही-वही पढ़ाते रहेंगे, तो छात्र नया कैसे सीख पाएगा।