अपराध से नाता तोड़ा: पिता के सट्टा खिलाने पर स्कूल में बेटियों को महसूस होती थी शर्मिंदगी, एसपी को शपथ-पत्र देकर पिता ने कहा मैं अब सट्टा नहीं खिलाऊंगा

अपराध से नाता तोड़ा: पिता के सट्टा खिलाने पर स्कूल में बेटियों को महसूस होती थी शर्मिंदगी, एसपी को शपथ-पत्र देकर पिता ने कहा मैं अब सट्टा नहीं खिलाऊंगा


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सागर18 मिनट पहले

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दैनिक भास्कर के साथ चर्चा में अपराध छोड़ने की वजह बताते सुखराम और साथ में उनकी पत्नी।

  • पिता पर सट्टा एक्ट के तहत तीन मामले थे दर्ज, तीनों में जुर्माना भरकर केस किए खत्म।

मासूम बेटियों को स्कूल में शर्मिंदगी महसूस न हो और पत्नी मोहल्ले में सम्मान के साथ रह सकें, इसके लिए गोपालगंज क्षेत्र में रहने वाले सुखराम अहिरवार ने अपराध से अपना नाता तोड़ लिया। उसने पुलिस अधीक्षक अतुल सिंह के नाम एफिडेबिट देकर अब सट्टा न खिलाने की शपथ ली है। सुखराम को अपराध की दुनिया से बाहर निकलने की प्रेरणा उसकी दोनों बेटियों व पत्नी से मिली हैं। बीए तक पढ़े सुखराम को उसकी दोनों बेटियों ने समझाया कि सट्टा खिलाना अच्छी बात नहीं है। घर पर पुलिस के आने से हमारी सामाजिक प्रतिष्ठा खराब होती है। बेटियों ने यह भी समझाया कि हमें स्कूल में शर्मिंदगी झेलना पड़ती है। इसके बाद सुखराम का मन बदल गया और उन्होंने बेटियों की बात मानते हुए अपराध छोड़ने का दृढ़ संकल्प लिया।

नौकरी नहीं लगी तो शुरू किया सट्टा खिलाना
सुखराम अहिरवार ने बताया कि बीए तक पढ़ाई करने और शादी होने के बाद भी जब नौकरी नहीं मिली तो परिवार को चलाने के लिए वे सट्टा खिलाने लगे। शादी के बाद तो सुखराम ने सब्जी बेची, हाथ ठेला चलाकर मजदूरी की, मूंगफली का ठेला भी लगाया, लेकिन आमदनी नहीं बढ़ी। दो बेटियां होने के बाद उनकी पढ़ाई-लिखाई का खर्च व परिवार के अन्य खर्च भी ठीक तरह से नहीं चल पा रहे थे। इससे बुरी संगत में फंस गए और बुरे लोगों के कहने पर सट्टा खिलाना शुरू कर दिया। इससे उन्हें प्रत्येक बुकिंग पर कमीशन मिलता था।
मां-बाप बचपन में चल बसे, भैया-भाभी ने पाला
सुखराम ने बताया कि जब वह 8 साल का था, तब उनके माता-पिता का निधन हो गया था। इसके बाद बड़े भैया और भाभी ने ही उसे पाला, अपने साथ रखा, बीए तक पढ़ाई कराई और फिर शादी भी कराई। 10वीं पास करते ही सुखराम नौकरी की तलाश करने लगे, लेकिन किस्मत ने कभी साथ नहीं दिया और नौकरी नहीं मिली।

सट्टा एक्ट के तीन मामले हुए दर्ज
सुखराम ने बताया कि वह करीब 3 साल से सट्टे की बुकिंग ले रहे थे। इस दौरान उनके खिलाफ गोपालगंज थाने में सट्टा एक्ट के तहत तीन मामले भी दर्ज हुए। इनमें जुर्माना भरकर वे छूट गए। इस दौरान कई बार उनके घर पर भी पुलिस आई। उनकी वजह से पूरे परिवार ने शर्मिंदगी महसूस की। अब सुखराम का कहना है कि वे मेहनत-मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने घर में ही एक किराने की दुकान भी खोल ली है। मंगलवार को सुखराम ने शिवसेना उप-राज्य प्रमुख पप्पू तिवारी, हेमराज आलू, दीपक ठाकुर और विकास यादव के साथ एसपी कार्यालय पहुंच कर अपराध त्यागने के संबंध में शपथ पत्र सौंपा।



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