इनाम घोषित: फरार भूमाफिया पर 20-20 हजार का इनाम, प्रतीक संघवी के घर पहुंची थी पुलिस, पासपोर्ट जब्त

इनाम घोषित: फरार भूमाफिया पर 20-20 हजार का इनाम, प्रतीक संघवी के घर पहुंची थी पुलिस, पासपोर्ट जब्त


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इंदौर10 मिनट पहले

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फरार माफिया के घर पर पुलिस की दबिश, दीपक जैन और प्रतिक संघवी का फोटो

पांच दिन पहले काली कमाई करने वालों के घर पुलिस-प्रशासन की टीम ने देर रात 2 बजे करीब 14 जगहों पर दबिश दी और दो माफिया को दबोचा था। शहर के खजराना और MIG थानों में 14 फरार भूमाफिया पर 10000 का इनाम घोषित किया गया था। जिसे बढ़ाकर 20000 हजार कर दिया गया है। वहीं मामले में फरार प्रतीक संघवी का पासपोर्ट पुलिस ने जब्त किया है

सूत्रों की माने तो फरार भूमाफिया दीपक जैन की चल-अचल सम्पत्तियों और बैंक खातों की जब्ती की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी। पुलिस द्वारा दीपक मद्दा के बैंक खातों की जानकारी भी पुलिस निकाल रही है। इनके व्यक्तिगत खातों के अलावा जिन-जिन कम्पनियां में दीपक मद्दा डायरेक्टर हैं उसके खातों को भी सीज किया जाएगा। वहीं इनसे संबंधित नजदीकी लोगों पर भी निगाह रखी जा रही है। पुलिस ने दीपक मद्दे के किराए के मकान गुलमोहर पर भी छापा डालकर कुछ दस्तावेज जब्त किए हैं।

शुरुआत में पुलिस ने जिन भूमाफिया के ठिकाने पर छापे डाले, उनमें से अधिकांश के पते गलत भी निकले। वहीं दीपक मद्दा तो दो अलग-अलग नामों से काम करता है। दीपक जैन के अलावा दिलीप सिसौदिया के रूप में भी उसने अपनी पहचान बना रखी है। पुलिस द्वारा सुरेंद्र संघवी के घर जाकर बार-बार तलाशी ली जा रही है। सूत्रों की माने तो राजनैतिक प्रतिशोध के चलते उनके परिवार के मुखिया को जबरन फंसाया जा रहा है। राजनीति के साथ ही सुरेंद्र संघवी का गुजराती समाज में दखल है। परिजनों का कहना है कि उनकी छवि को धूमिल करने के लिए पुलिस द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं, जबकि संघवी का नाम किसी जगह नहीं है। पुलिस ने संघवी के घर में छानबीन के दौरान प्रतिक संघवी का पासपोर्ट जब्त किया है।

यह है मामला

देवी अहिल्या श्रमिक कामगार गृह निर्माण सहकारी संस्था के पदाधिकारियों द्वारा अयोध्या पुरी कॉलोनी काटी गई थी, जिसमें 306 सदस्य हैं। इसमें अधिकांश को प्लाट मिल चुके हैं। 2006 में संस्था के रणवीर सिंह सूदन ने इस संस्था की जमीन में से 5 एकड़ अन्य कंपनी को बेच दी थी। इस कंपनी के डायरेक्टर दीपक जैन मुद्दा एक अन्य द्वारा जमीन को चार करोड़ ग्रुप में बेच दिया गया था लेकिन जांच में पैसा संस्था में कोई हिसाब नहीं मिला। इसे लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था।



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