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- In Previous Budgets, The Government Forgot The Dreams, Now The Need For A Gift, Metro Rail And Narmada expressway Can Get The Budget
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जबलपुर7 मिनट पहले
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जबलपुर में भेड़ाघाट जैसे विश्व प्रसिद्ध स्थल को पर्यटन के लिहाज से विकसित करने के लिए बजट से उम्मीदें हैं।
- सीएम के ड्रीम प्रोजक्ट में शामिल अमरकंटक, ग्वारीघाट और भेड़ाघाट जैसे धार्मिक व पर्यटन स्थलों को मिल सकती है संजीवनी
- 2018 विधानसभा चुनाव से पहले नर्मदा परिक्रमा के दौरान सीएम ने की थी ढेरों घोषणाएं
राज्य सरकार आज बजट पेश करेगी। इस बार बजट से हर वर्ग को कुछ न कुछ उम्मीद है। खासकर महाकौशल और विंध्य क्षेत्र को प्रदेश के मंत्रीमंडल में उपेक्षा को लेकर यहां के लोगों में टीस बनी हुई है। उम्मीद है कि प्रदेश सरकार के बजट में इस क्षेत्र में विकास की ढेरो घोषित योजनाओं को पैसे आवंटित कर उसे मूर्त रूप दिया जाएगा। सीएम के लिए कभी ड्रीम प्रोजेक्ट रहा नर्मदा-एक्सप्रेस-वे को इस बजट से नई संजीवनी मिल सकती है। वहीं पर्यटन और रोजगार की दिशा में महाकौशल और विंध्य को नई सौगात मिलने की दरकार है।
वर्ष 2018 विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा परिक्रमा की थी। तब उन्होंने अमरकंटक से लेकर नर्मदा किनारे के शहरों को जोड़ने के लिए नर्मदा-एक्सप्रेस-वे बनाने की घोषणा की थी। सीएम ने तब एक खाका पेश किया था कि कैसे इस एक्सप्रेस-वे के इर्द-गिर्द उद्योगों के साथ-साथ नए शहर बसेंगे।
एमपी व छग को जोड़ने वाले इस सड़क से नर्मदा पथिकों को भी सुविधा होगी। नर्मदा में मिलने वाले गंदे नालों को रोकेंगे। ट्रीटमेंट प्लांट बनाएंगे। घाटों पर बिजली से संचालित शवदाह गृह बनाएंगे। नर्मदा किनारे हरियाली बढ़ाने के साथ पाथवे बनाएंगे। जबलपुर में ग्वारीघाट से तिलवारा तक दोनों तटों पर पाथवें बनाने की घोषणा कई बार हुई, लेकिन कभी बजट आवंटित नहीं हुआ।
मेट्रो के लिए हो चुका है सर्वे, बजट की उम्मीद
कांग्रेस के 15 महीने के शासनकाल में वित्तमंत्री का दायित्व संभालने वाले पूर्व मंत्री तरुण भनोत के मुताबिक वर्तमान सरकार में महाकौशल-विंध्य को उपेक्षित किया गया है। अब बजट में सरकार इसकी भरपाई कर सकती है। पिछले बजट में जबलपुर के लिए लाइट मेट्रो रेल का सर्वे हुआ था। इसके लिए बजट आवंटित हो तो ये शहर के लिए बड़ी सौगात होगी।
इन घोषणाओं को पूरा करने के लिए बजट की दरकार
- हर तहसील क्षेत्र में एक नए महाविद्यालय की स्थापना।
- धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण नर्मदा रीव फ्रंट बनाना।
- शास्त्रीब्रिज के जर्जर हो रहे पुल की जगह एक नया फ्लाईओवर बनाना।
- शहर में डेयरी की संख्या को देखते हुए डेयरी टेक्नोलॉजी कॉलेज खोलना।
- नया सरकारी डेंटल अस्पताल खोलना।
- ग्वारीघाट के ऐतहासिक गुरुद्वारा के पास 20 करोड़ की लागत से ग्रंथालय व संग्रहालय बनाना।
- पिछले बजटों में ये किया था प्रावधान
- राज्य कैंसर इंस्टीट्यूट के लिए मेडिकल परिसर में बिल्डिंग तैयार है, लेकिन अभी तक उपकरणों के लिए कोई बजट शासन से नहीं मिला। अभी इस बिल्डिंग का उपयोग कोरोना आइसोलेशन वार्ड के लिए किया जा रहा था।
- भटौली से तिलवारा तक नर्मदा रिवर फ्रंट की घोषणा हुई थी। सरकार बदली तो योजना ठंडे बस्ते में डाल दी गई। नर्मदा के गंदे नालों को भी नहीं रोक पा रहे।
- डुमना नेचर पार्क के समीप टाइगर सफारी का प्रावधान था। मौजूदा सांसद राकेश सिंह का भी ये ड्रीम प्रोजेक्ट है। एयरपोर्ट अथॉरिटी व वन विभाग में समन्वय की कमी के चलते अभी शुरूआत नहीं हो पाई।
- ग्वारीघाट को तीर्थ स्थान और भेड़ाघाट को पयर्टन क्षेत्र घोषित किया गया था। अब तक राज्य सरकार की ओर से कोई फंड आवंटित नहीं हुआ।
- गढ़ा, रामपुर व घमापुर से रद्दी चौकी तक यातायात को पटरी पर लाने के लिए छोटे-छोटे फ्लाइओवर का प्रावधान सरकार बदलते ही ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
- विक्टोरिया जिला अस्पताल को 500 बिस्तर के रूप में उन्नयन की योजना थी। अभी 300 बिस्तर की सुविधा है। 200 बिस्तर के लिए नई बिल्डिंग का भूमिपूजन हो चुका है। बजट की दरकार है।
- यातायात के बेहतर निगरानी के लिए गोरखपुर में तीन साल से ट्रैफिक मैनेजमेंट एंड डाटा सेंटर खुला है। पर उपकरणों के अभाव में यह चालू नहीं हो पाया।
महाकौशल-विंध्य के लिए बजट से उम्मीदें-
महाकौशल के उमरिया में बांधवगढ़ और मंडला में कान्हा तो सिवनी में पेंच जैसे पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देने के लिए बजट से उम्मीदें हैं। विंध्य के शहडोल में मेडिकल कॉलेज तो खुल गया, लेकिन वहां पर्याप्त संसाधन और स्टॉफ की नियुक्ति नहीं हो पाई। सीधी बस हादसे के बाद सीएम ने यहां की छुहिया घाटी पहाड़ी के खतरनाक सड़क के लिए नई सड़क बनाने की बात कही थी। बजट में इसके लिए भी दरकार की जरूरत है।
निकाय चुनाव को देखते हुए इस बार शहरों के लिए बेहतर सड़क, पेयजल और गरीबों के लिए आवास संबंधी घोषणाओं के लिए बजट की उम्मीदें हैं। विंध्य क्षेत्र में पेयजल की एक बड़ी समस्या है। वहीं अमरकंटक को धार्मिक दृष्टि से विकसित करने के लिए बजट आवंटित होने की उम्मीद है।