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- Money In The State Budget Is ‘zero’, But Every Year There Is Mention Of ‘beggar Home’ And ‘transgender Welfare’
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भोपाल6 घंटे पहले
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सीएम शिवराज सिंह चौहान (फाइल फोटो)
- विभागों में अलग-अलग ऐसे सौ के करीब मद हैं, जिनमें कोई बजट नहीं
राज्य के बजट में पैसा ‘जीरो’ है, लेकिन हर साल वित्तमंत्री विभागवार आवंटन में यह जिक्र रखते हैं कि प्रदेश में ‘भिखारी होम’ बनेगा। ट्रांसजेंडर के कल्याण के काम होंगे। बुजुर्गों के लिए एकीकृत कार्यक्रम चलेगा। प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना रहेगी। हाल ही में इन्हीं स्कीमों में भावांतर भुगतान योजना भी जुड़ गई है, जिसमें कोई बजट नहीं है।
राज्य बजट में सौ के करीब ऐसे मद अभी भी चल रहे हैं, जिनमें बजट जीरो है। यह स्थिति भी तब है, जब 2018-19 के बजट में 250 के करीब ऐसे मदों का हटाया जा चुका है। 5 विभागों में तो भोपाल से सांसद रहे स्व. सुशीलचंद्र वर्मा के नाम से पुरस्कार चल रहे हैं, जो कुछ सालों नहीं मिल रहे। क्योंकि बजट का प्रावधान ही नहीं होता। सरकार के भाषणों में मिनी स्मार्ट सिटी का जिक्र तो है, लेकिन 2019-20 से सुपर मिनी स्मार्ट सिटी को भी बजट पुस्तिका में जगह मिल गई है। राशि का हालांकि कोई प्रावधान नहीं किया गया।
हकीकत: प्रमुख योजनाएं, जिनके मद में जीरो बजट या टोकन राशि है
- प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना
- राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना
- नर्मदा-क्षिप्रा-सिंहस्थ परियोजना
- बलराम तालाब
- मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना
- ट्रांसजेंडर का कल्याण एवं पुनर्वास
- भिक्षुक गृह की स्थापना
- बुंदेलखंड विवि की स्थापना
- स्व. सुशीलचंद्र वर्मा पुरस्कार योजना
- महिला बाल विकास, अजा कल्याण, गैस राहत, नगरीय विकास व स्कूल शिक्षा)
- आकांक्षा योजना
- हैलीकॉप्टर की खरीदी
- विक्रमादित्य नि:शुल्क शिक्षा योजना
- मेडिकल कॉलेजों में मॉड्यूलर किचन, लाउंड्री एवं ओटी की स्थापना
- नेशनल अर्बन रिनेबल मिशन
- मप्र राज्य सिलाई कला मंडल
- लोकायुक्त भवन का निर्माण
- ग्वारीघाट में केबल ब्रिज का निर्माण
- मप्र सफाई कामगार आयोग का गठन
- सुपर मिनी स्मार्ट सिटी
- प्रखर योजना (प्रारंभिक शिक्षा)
- राज्य पुस्तकालय की स्थापना
- प्रतिभाशाली एवं प्रखर बुद्धि वाले विशिष्ट छात्रों के विकास के लिए संस्थान की स्थापना
- उपभोक्ता कल्याण निधि की स्थापना
आमतौर पर अलग-अलग तरह से राज्य सरकार कुछ मदों को खुला रखती है। जब जरूरत हो तो पैसा का प्रावधान हो जाता है। वर्ष 2018-19 के बजट के दौरान काफी ऐसे मदों को कम किया गया था। यदि ऐसे मद अभी भी हैं तो इनकी समीक्षा करके जरूरी हों, उन्हें रखा जाए। बाकी को कम किया जा सकता है। विभाग अपनी राय भी दे सकते हैं।
– जयंत मलैया, पूर्व वित्तमंत्री, मप्र