- Hindi News
- Local
- Mp
- Opposition Charge This Law Is An Attack On Personal Liberty, Reply Of Home Minister Narottam Mishra We Are Against ‘Jihad’, Not Of ‘Love’
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
भोपाल15 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
धर्म स्वातंत्र्य विधेयक सोमवार को विधानसभा में बहुमत के आधार पर पारित हो गया है। इससे पहले सदन में इस विधेयक के प्रस्ताव पर करीब डेढ़ घंटे बहस हुई।
- गृह मंत्री सदन में बाेले- कोई रफीक, रवि बनकर किसी बेटी को धोखा दे, हम इसे बर्दाश्त कैसे कर सकते हैं
- कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक गोविंद सिंह ने कहा कि कानून में सजा का प्रावधान करने में भेदभाव किया गया है
- अध्यादेश के माध्यम से मप्र में 6 माह के लिए लागू है यह कानून, अब इसे विधानसभा की मंजूरी मिल गई है
धर्म स्वातंत्र्य विधेयक सोमवार को विधानसभा में बहुमत के आधार पर पारित हो गया है। इससे पहले सदन में इस विधेयक के प्रस्ताव पर करीब डेढ़ घंटे बहस हुई। विपक्षी दल कांग्रेस ने इस कानून के प्रावधानों को लेकर कई सवाल खड़े किए। जबकि विपक्ष ने इस कानून को आज की आवश्यकता बताते हुए कांग्रेस पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया। इस पर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का जवाब- हम ‘लव’ के नहीं, ‘जिहाद’ के खिलाफ हैं।
बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि इस कानून की जरुरत सबसे ज्यादा आदिवासी बेटियों को है, क्योंकि इन्हें बहला-फुसला कर ईसाई और मुसलमान बनाया जा रहा है। इसकी आड़ में सरकारी योजनाओं का लाभ भी लिया जा रहा है।
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा नेे धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2021 को सदन में चर्चा के लिए रखा। इस दौरान सभापति झूमा सोलंकी आसंदी पर अध्यक्ष की भूमिका में थीं। सबसे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक एवं पूर्व मंत्री डाॅ. गोविंद सिंह ने इस विधयेक पर अपनी बात रखते हुए आरोप लगाया कि यह कानून सिर्फ शिगूफा है, सरकार के पास कोई काम नहीं है, इसलिए ऐसे कानून बना रही है। उन्होंने कहा कि यह कानून व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला है। संविधान में यह स्वतंत्रता दी गई है कि कोई भी व्यक्ति स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन कर सकता है, लेकिन सरकार इस पर बंदिश लगा रही है। यदि यह विधेयक पारित होता है तो संविधान का उल्लघंन होगा।
डाॅ. सिंह के आरोपों का जवाब पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डाॅ. सीतासरन शर्मा ने दिया। उन्होंने कहा कि संविधान (आर्टिकल 25 से 28 तक) में धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है। यह कानून भी 1968 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सकलेचा विधानसभा में लेकर आए थे। उस समय भी कांग्रेस ने इसका विरोध किया था। जिसे मजबूत करने का काम शिवराज सरकार ने किया है। हालांकि उन्होंने विधेयक में कुछ बदलाव के सुझाव भी दिए। उन्होंने कहा कि इसमें दोषी पर कितना जुर्माना लगेगा, इसका उल्लेख किया जाना जाहिए। इसके बाद कांग्रेस विधायक हिना कांवरे, विनय सक्सेना और बीजेपी विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने अपनी बात रखी।
बता दें कि सरकार इस कानून को 6 माह की अवधि के लिए अध्यादेश के माध्यम से 9 जनवरी 2021 को प्रदेश में लागू कर चुकी है। इसमें प्रलोभन देकर, बहलाकर, बलपूर्वक या मतांतरण करवाकर विवाह करने या करवाने वाले को एक से लेकर दस साल के कारावास और अधिकतम एक लाख रुपये तक अर्थदंड से दंडित करने का प्रावधान है। अध्यादेश लागू करने के बाद से 11 फरवरी तक 23 प्रकरण दर्ज हुए हैं। इनमें सर्वाधिक भोपाल संभाग में सात, इंदौर संभाग में पांच, जबलपुर व रीवा संभाग में चार-चार और ग्वालियर संभाग में तीन मामले दर्ज हो चुके हैं।
गृह मंत्री बोले- कांग्रेस देश में भ्रम फैलाने का काम कर रही है
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस देश में तुष्टीकरण की राजनीति करने के लिए भ्रम फैलाने का काम कर रही है। पहले CAA और फिर धारा 370 हटाए जाने पर लोगों को गुमराह करने का काम किया। अब मप्र सरकार धर्म स्वातंत्र्य कानून बना रही है तो इसके बारे में भ्रम फैलाया जा रहा है कि एक धर्म विशेष के खिलाफ यह काूनन है। डाॅ. मिश्रा ने बताया कि इस काूनन को लागू करने की जरुरत क्यों पड़ी?
1- पूर्व से लागू कानून में शादी को शून्य करने का प्रावधान नहीं था, जो अब जोड़ा गया है।
2- पहले यह जमानती अपराध था। ऐसे में आरोपी थाने से जमानत करा लेते थे, लेकिन अब इसे गैर जमानती बनाया गया है।
3- पहले पीड़िता के भरण पोषण का कानून में कहीं भी उल्लेख नहीं था। इसकी धारा अब जोड़ी गई है।
4- पहले धर्म परिवर्तन कर शादी के मामलों में सजा सिर्फ 2 वर्ष थी, जिसे बढ़ा कर 10 साल की गई है।