- Hindi News
- Local
- Mp
- Indore
- Announcement Of Offering 6 Thousand Bottles Of Blood To The Chief Minister, 1560th Meeting On Sunday By Hukamanchand Mill Mazdur, Decision Not Yet Taken
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
इंदौरएक घंटा पहले
- कॉपी लिंक
हुकुमचंद मिल में अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते हुए
हक के लिए संघर्ष कर रहे हुकुमचंद मिल के मजदूरों ने मुख्यमंत्री को अपने खून की 6 हजार बोतलें भेंट करने की घोषणा की है। मिल मजदूरों का कहना है कि आंदोलन और ज्ञापन करके देख लिया, उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। आने वाले समय में एक शिविर लगाकर मजदूर और उनके परिवार के लोग खून देकर बताएंगे कि अब इसके सिवा हमारे पास कुछ नहीं बचा है।
12 दिसम्बर 1991 से मिल बंद होने के बाद यहां लगातार बैठक हो रही हैं और रविवार को 1560वीं बैठक थी, जिसमें मिल मजदूर आक्रोशित हो गए। बैठक में मजदूर और उनके परिवारों ने भाग लिया। उनका कहना था कि बार-बार हमें आश्वासन दिए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक इसका कोई ठोस निर्णय नहीं निकल पा रहा है। हम लोग अभी तक बार-बार ज्ञापन दे रहे हैं, लेकिन हमारी सुनी नहीं जा रही। मिल मजदूरों का नेतृत्व करने वाले हरनाम सिंह धारीवाल, नरेंद्र श्रीवंश, किशनलाल बोकरे ने बताया कि हम सरकार से 6 अगस्त 2007 से 229 करोड़ रुपए की राशि जो न्यायालय ने मंजूर की है, दिए जाने की मांग करते चले आ रहे हैं, जिसके लिए मुख्यमंत्री ने मजदूरों को कई बार आश्वासन देते हुए कहा था कि मैं मजदूरों के पैसे दूंगा। यह मेरा वचन है, लेकिन उन्होंने अपना वादा आज तक पूरा नहीं किया।
क्या है मामला
12 दिसंबर 1991 को हुकुमचंद मिल प्रबंधन ने बगैर किसी सूचना के मिल को बंद कर दिया था। इसके बाद से ही मजदूर ग्रेच्युटी, तनख्वाह और अन्य लेनदारियों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मिल की जमीन बेचकर मजदूरों का भुगतान किया जाना है। जिस वक्त मिल बंद हुई थी, उसमें 5895 मजदूर काम करते थे। 6 अगस्त 2007 को हाईकोर्ट ने मिल मजदूरों के पक्ष में 229 करोड़ रुपए का क्लेम स्वीकृत किया था। मिल की 42.5 एकड़ जमीन बेचकर मजदूरों के पैसों का भुगतान किया जाना था लेकिन मिल की जमीन पर मप्र शासन ने अपना अधिकार बताते हुए इसे बिकने से रोक दिया था। निगम और राज्य शासन दोनों इस जमीन पर अपना अधिकार बता रहे थे। मई 2018 में हाईकोर्ट ने मिल की जमीन पर मप्र सरकार के दावे को खारिज कर दिया, अब नगर निगम को मिल की जमीन बेचकर मजदूरों को उनके पैसों का भुगतान करना है।
229 करोड़ में से मात्र 50 करोड़ का भुगतान
मजदूरों को उनकी मेहनत के 229 करोड़ रुपए का भुगतान शासन को करना है। कुछ माह पहले कोर्ट के आदेश पर मजदूरों को 229 करोड़ में से 50 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था वहीं अब शेष राशि 179 करोड़ की राशि मजदूरों में बांटी जानी है। हालांकि मजदूरों की मांग है कि 229 करोड़ रुपए के अलावा साल 1991 से अब तक इस राशि पर बने ब्याज का भुगतान भी सरकार द्वारा मजदूरों काे किया जाए।
दो हजार मजदूरों की हो चुकी हैं मौत
हुकुमचंद मिल के मजदूर 26 साल से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। मिल के 5895 मजदूरों को ग्रेच्युटी, वेतन के 229 करोड़ रुपए का भुगतान होना है। कोर्ट ने मिल की जमीन को बेचकर मजदूरों को पैसा देने को कहा था। इसके बावजूद मिल की जमीन बिक नहीं पाई। अपने हक की इस लड़ाई में अब तक लगभग 2000 मजदूरों की मौत हो चुकी है।
मिल एक नजर में
- 12 दिसंबर 1991 को बंद
- 5895 मजदूर मिल में काम करते थे
- 2000 के लगभग मजदूरों की मौत
- 6 अगस्त 2007 को कोर्ट ने 229 करोड़ रुपए क्लेम स्वीकृत किया
- हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने जारी किए 50 करोड़ रुपए
- 1 मई 2018 को हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद आदेश सुरक्षित रखा
- 22 मई 2018 को हाईकोर्ट ने फैसला सुनातेे हुए मिल की जमीन पर मप्र सरकार के दावे को खारिज कर दिया