महिला दिवस के मौके पर सीएम शिवराज ने महिलाओं के लिए ढेर सारी घोषणाएं की. (फाइल फोटो)
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महिलाओं, बेटियों के लिए इतनी छप्परफाड़ घोषणाएं कीं कि अगर वह एक साल में न सही, पूरे कार्यकाल में इन सकारात्मक घोषणाओं पर अमल कर दें, तो महिलाओं की तकदीर बदल जाएगी और वास्तव में MP की महिलाएं आत्मनिर्भर बन जाएंगीं.
भोपाल. सोमवार 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) का दिन विशेषकर मध्यप्रदेश की महिलाओं के लिए सम्मान, सपनों और उम्मीदों से भरा था. इस दिन राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महिलाओं, बेटियों के लिए इतनी छप्परफाड़ घोषणाएं कीं, कि अगर वह एक साल में न सही, पूरे कार्यकाल में इन सकारात्मक घोषणाओं पर अमल कर दें, तो महिलाओं की तकदीर बदल जाएगी और वास्तव में मप्र की महिलाएं आत्मनिर्भर बन जाएंगी. इन घोषणाओं की सराहना तो निश्चित रूप से की ही जानी चाहिए, लेकिन वास्तव में सरकार और सिस्टम को जमीनी हकीकत के आईने में झांकने की जरूरत है.
बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार का यह चौथा कार्यकाल है. डेढ़ दशक से भी ज्यादा समय से वह प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. इन 15 वर्षों में 15 बार महिला दिवस भी आया है और हर महिला दिवस पर मुख्यमंत्री की वाणी से महिलाओं के हितों वाली घोषणाओं का झरना फूटा होगा, लेकिन वास्तव में यह उनके लिए भी आकलन का समय है, कि उनकी कितनी घोषणाएं धरातल पर उतरीं हैं.
सम्मान के साथ परंपरा का निर्वहन
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को सम्मान देने की परंपरा है. लिहाजा इस महिला दिवस पर भी विधानसभा में स्पीकर की कुर्सी पर विधायक, सभापति झूमाबाई को बैठाकर, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बंगले में तैनात एक महिला पुलिस कर्मी अपनी कुर्सी पर आमंत्रित कर सम्मानित किया. झांसी रेल मंडल ने सम्मान स्वरूप झांसी से ग्वालियर तक यात्री ट्रेन बुंदेलखंड एक्सप्रेस की कमान महिलाओं के हाथ में सौंपी. अखबारों ने महिलाओं, बेटियों को एक दिन का अतिथि संपादक बनाया, संगठनों ने महिलाओं के सम्मान के कार्यक्रम किए. मध्यप्रदेश में “नारी तू नारायणी” के नाम से महिलाओं के सम्मान का सबसे बड़ा कार्यक्रम भोपाल के मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में हुआ. जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महिलाओं के लिए इतनी घोषणाओं की बौछार कर दी कि 15 सालों से उनकी घोषणाओं को सुन रहे कानों को विश्वास नहीं हुआ.
हकीकत के आईने में घोषणाओं पर एक नजर
मकान, घर सहित नई प्रापर्टी की रजिस्ट्री मां, बहन, बेटी के नाम पर खरीदने पर रजिस्ट्री में 2 फीसदी की छूट देने की घोषणा की गई, जबकि हकीकत यह है कि रजिस्ट्री में 2 फीसदी छूट की व्यवस्था मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के कार्यकाल में पहले से थी, जो कुछ समय चलाकर बंद कर दी गई.
हकीकत के आईने में घोषणाओं पर एक नजर
आगे पढ़ें
नारी अदालतें लगाने भर से नहीं सुलझेंगी समस्याएं
पंचायतों में नारी अदालतें लगाई जाएंगी, ताकि छोटे झगड़े गांवों में ही निपट जाएं. लेकिन बता दें कि देश के शीर्ष से लेकर निचले स्तर तक 5 करोड़ से ज्यादा लंबित पड़े मुकदमों में से लाखों मुकदमें मप्र में इंसाफ की बाट जोह रहे हैं. वजह जजों की कुर्सियां बड़ी संख्या में खाली पड़ी हैं. यहां हाईकोर्ट में जजों के 23 और निचली अदालतों में जजों के सैकड़ों पद खाली पड़े हैं. मप्र के हाईकोर्ट में ही 3.2 केस और निचली अदालतों में लाखों केस लंबित हैं. अदालतों में जो जज हैं, उनमें भी महिला जजों का प्रतिनिधित्व बेहद कम है. सरकार को चाहिए जल्द न्याय मिले, इसकी व्यवस्था की बात करे. नारी अदालतें लगाने की बात तदर्थ व्यवस्था करने, लोगों को भरमाने जैसी बात लगती है, इससे ज्यादा कुछ होगा, लगता नहीं.
नारी अदालतें लगाने भर से नहीं सुलझेंगी समस्याएं
आगे पढ़ें
दूर हो आजीविका मिशन से भ्रष्टाचार
मुख्यमंत्री ने आजीविका मिशन से जुड़े स्व-सहायता समूहों को अब 2% ब्याज दर पर कर्ज देने की घोषणा की है, यह बहुत अच्छी और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण घोषणा हो सकती है, बशर्ते मिशन में व्याप्त भ्रष्टाचार, लेतलाली और उदासीनता से भरी कार्यप्रणाली को समाप्त करने की दिशा में सरकार ठोस कदम उठाए.
दूर हो आजीविका मिशन से भ्रष्टाचार
आगे पढ़ें
60 फीसदी थानों में महिला शौचालयों की व्यवस्था नहीं
मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी जिलों में महिला थाने खोलने की घोषणा की. यह बहुत ही सकारात्मक कदम है, लेकिन मप्र के उन 60 फीसदी थानों पर भी ध्यान दिया जाए, जहां महिलाओं पुलिसकर्मियों के लिए शौचालय की व्यवस्था तक नहीं है. बता दें कि सरकार की ओर से हर थाने में 4 महिला पुलिसकर्मियों को रखे जाने का आदेश है. थाने और मैदानी ड्यूटी में लगी महिलाओं को वॉशरूम जाने की जरूरत महसूस होने पर उन्हें घर जाना पड़ता है. वाशरूम न जाना पड़े, इसके लिए वह ड्यूटी के दौरान कम पानी पीती है और लिवर, किडनी व पेट से जुड़ी तमाम बीमारियों की शिकार हो जाती है. यह महिलाओं के सम्मान से जुड़ा बहुत महत्वपूर्ण मसला है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता.
60 फीसदी थानों में महिला शौचालयों की व्यवस्था नहीं
आगे पढ़ें
पंचायतों को सरपंच-पति से मुक्ति मिले
मप्र में पंचायतीराज व्यवस्था में कहने को तो बड़ी संख्या में पंचायतों में महिला की कमान पंचों, सरपंचों के हाथ में रही है, लेकिन वास्तविक सत्ता उनके हाथ में न होकर उनके पति के हाथ में हैं. वह आज भी घर ही संभालती है. पंचायत के काम, फैसलों में पति ही निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं. नगरीय निकाय चुनाव के बाद राज्य में होने वाले पंचायत चुनाव से इस विसंगति को दूर कर आत्मनिर्भर महिला और आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के सपने को आकार दिया जा सकता है.
पंचायतों को सरपंच-पति से मुक्ति मिले
आगे पढ़ें
बेटियों का ड्रॉपआउट रोकने के लिए हों बुनियादी इंतजाम
स्कूलों में होने वाले ड्रॉपआउट्स में सबसे बड़ी संख्या लड़कियों की होती है, वजह स्कूलों में उनके लिए जरूरी पेयजल और शौचालय की व्यवस्था न होना है. तमाम कामों को पीछे रखकर इस बुनियादी जरूरत को पूरा कर प्रदेश में बेटियों के भविष्य को गढ़कर उन्हें आत्मनिर्भरता के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया जा सकता है.
बेटियों का ड्रॉपआउट रोकने के लिए हों बुनियादी इंतजाम
आगे पढ़ें
वास्तव में ऐसे ही बनेगी ‘नारी तू नारायणी’
नारी तू नारायणी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 38 लाख लाड़ली लक्ष्मियों की आईआईटी, आईआईएम, मेडिकल और इंजीनियरिंग में पढ़ाई की फीस भरने की घोषणा अमल में लाने पर मील का पत्थर साबित हो सकता है. इसी तरह गेहूं सहित फसलों की खरीदी, मध्याह्न भोजन के लिए खरीदी अब महिला स्व-सहायता समूह के माध्यम से करने की घोषणाओं पर अगर ईमानदारी से अमल होता है, तो यह महिलाओं की आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बहुत बड़ा कदम होगा.
वास्तव में ऐसे ही बनेगी ‘नारी तू नारायणी’
आगे पढ़ें
महिला दिवस की सबसे बड़ी सफलता
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का दिन वास्तव में डेढ़ साल से अपनी नियुक्ति की बाट जोह रहीं उन चयनित शिक्षिकाओं के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि से भरा रहा, जिन्होंने सुबह प्रदर्शन किया और शाम को उनकी नियुक्ति के लिए 1 अप्रैल से वैरिफिकेशन किए जाने आदेश जारी कर दिए गए. (डिस्क्लेमर- ये लेखक के निजी विचार हैं.)
महिला दिवस की सबसे बड़ी सफलता
आगे पढ़ें