Mahashivratri 2021: यहां स्वयं श्री राम ने की थी शिवलिंग की स्थापना, जानें क्या है गुप्तेश्वर महादेव का राज

Mahashivratri 2021: यहां स्वयं श्री राम ने की थी शिवलिंग की स्थापना, जानें क्या है गुप्तेश्वर महादेव का राज


जबलपुर के गुप्तेश्वर महादेव के दर्शन करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.

Mahashivratri 2021: जबलपुर में स्थापित हैं रामेश्वरम के उपलिंग गुप्तेश्वर महादेव. किवदंती कहती है कि भगवान श्री राम ने यहां स्वयं ये शिवलिंग बनाया था. उन्होंने इस शिवलिंग का करीब 1 माह तक अभिषेक किया.



  • Last Updated:
    March 11, 2021, 7:33 AM IST

जबलपुर. जबलपुर में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है. यहां रामेश्वरम के उपलिंग स्वरूप पूज्यनीय गुप्तेश्वर महादेव का मंदिर है. कहा जाता है कि यहां भगवान श्री राम ने यहां स्वयं शिवलिंग बनाया और उसका करीब 1 माह तक अभिषेक किया. उसके बाद वे यात्रा के लिए आगे बढ़े थे. मान्यता है कि यहां आने वालों की मनोकामनाएं जल्द पूरी होती हैं.

जबाली ऋषि की तपोभूमि कहे जाने वाले संस्कारधानी जबलपुर का इतिहास कई मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के लिए प्रचलित है. ये शहर का सौभाग्य है कि मां नर्मदा ने शहर को अपना रास्ता बनाया, जिससे पूरा क्षेत्र धार्मिक दृष्टि के साथ-साथ भौगोलिक रूप से भी खासा परिपूर्ण है. अगर इतिहास की बात की जाए तो खुद मर्यादा पुरषोत्तम श्रीराम के जबलपुर आने का उल्लेख धर्म शास्त्रों मे मिलता है.

जबाली ऋषि को स्मरण हुआ भगवान का वनवास

जानकारों के मुताबिक वनवास के दौरान उत्तर से दक्षिण की ओर रास्ते पर जब भगवान श्री राम निकले तब सुद्रीक्षण ऋषि के आश्रम में उनकी मुलाकात अनेक संतों और स्वयं ऋषि जबाली से हुई. जबाली ऋषि ने जब भगवान राम के वनवास का स्मरण किया तो पता चला कि ये कि ये पूरा कुचक्र मंथरा ने कैकई के द्वारा कराया था.भगवान राम ने दिए दिव्य दर्शन

इस पर ऋषि जबाली क्रोधित होने लगे. उनके साथ-साथ अन्य ऋषिगण भी क्रोध की चपेट में आने लगे. तब भगवान श्री राम ने सभी को दिव्य दर्शन दिए और उनकी वर्षों की तपस्या का अहसास कराया. श्री राम ने संतों और ऋषियों को क्रोध से दूर रहने की सलाह दी. इसके बाद महर्षि जबाली को आत्मग्लानि हुई और वे पश्चाताप के लिए नर्मदा तट की नगरी जबलपुर पहुंचे. इसका प्रमाण शिवपुराण के कोटि रूद्र संहिता के पहले अध्याय के 37वें और 42वें श्लोक मे साफ रूप से मिलता है. वहीं रामचरितमानस और विशिष्ट रामायण मे भी इसका उल्लेख पाया जाता है. इसके बाद भगवान राम ने यहां गुप्तेश्वर महादेव शिवलिंग की स्थापना की और उसका अभिषेक किया.








Source link