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इंदौर10 मिनट पहले
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रंगून गार्डन का बोर्ड इस प्रकार से टूटकर जमीन पर आ गिरा।
सन्नी सोसायटी और रजत गृह निर्माण सोसायटी से 70 हजार वर्गफीट जमीन लेकर वहां बनाए गए रंगून मैरिज गार्डन पर शुक्रवार को प्रशासन ने बुलडोजर चला दिया। संचालकों को कब्जा हटाने के लिए दी गई दो दिन की मोहलत दी गई थी, जो शुक्रवार को खत्म हुई, जिसके बाद जिला प्रशासन, नगर निगम की टीम ने अवैध निर्माण को ध्वस्त कर दिया। सुबह से ही जेसीबी लगाकर बाउंड्रीवाल व अन्य कब्जे हटाने शुरू कर दिए गए।
कलेक्टर मनीष सिंह के निर्देश पर अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेडेकर, एसडीएम अंशुल खरे, तहसीलदार सुदीप मीणा व अन्य ने कार्रवाई को अंजाम देते हुए करीब दो घंटे मे पूरे रंगून गार्डन के निर्माण को ध्वस्त कर दिया। डॉ. बेडेकर ने बताया कि इस जमीन पर श्री महालक्ष्मी नगर के 49 प्लाट धारकों का हित दबा हुआ था। अब इन लोगों को प्लाट दिलाया जाएगा। इस जमीन की वर्तमान कीमत करीब सौ करोड़ बताई जा रही है।

इस जमीन की वर्तमान कीमत करीब सौ करोड़ बताई जा रही है।
12 साल से चल राह था रंगून गार्डन
एमआर-10 पर दो सहकारी संस्थाओं की जमीन पर 12 साल से रंगून गार्डन चल रहा था। चार दिन पहले गार्डन की 70 हजार वर्गफीट जमीन संचालकों ने प्रशासन को सरेंडर कर दी थी। जमीन मूल रूप से सन्नी और रजत संस्था की है। आरोप है कि संस्था के तत्कालीन पदाधिकारी हरीश तोलानी ने रंगून गार्डन संचालक मो. सुफियन, साजेदा बानो, यासिन बानो, फातमा आदि को महज 50 लाख में बेच दी थी। इसमें 21 भूखंड सन्नी संस्था के और 28 प्लॉट रजत गृह निर्माण संस्था के थे। मौजूदा भाव से जमीन करीब 100 करोड़ रुपए की है। अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेडेकर ने बताया कि प्रशासन सन्नी और रजत संस्था में सक्रिय भूमाफियाओं की जांच करा रहा है। इसके बाद दोषियों पर एफआईआर कराई जाएगी।
दोनों ही संस्थाओं में था तोलानी का दखल
सन्नी को-ऑपरेटिव के तत्कालीन पदाधिकारी हरीश तोलानी ने 2008-09 में करीब 38 हजार और रजत संस्था ने 32 हजार वर्गफीट जमीन रंगून गार्डन संचालकों को बेची थी। दोनों ही संस्थाओं में तोलानी का खासा दखल था। प्रशासन के समक्ष तोलानी ने जमीन की बिक्री स्वीकार की है।
मूलरूप से देवी अहिल्या संस्था की जमीन
मूल रूप से यह जमीन देवी अहिल्या गृह निर्माण की थी, जिसे गृह निर्माण संस्था ने सन्नी को-ऑपरेटिव को बेच दिया गया। बताते हैं कि इसमें जिन 125 सदस्यों के नाम बताए जा रहे हैं, उनमें से कई फर्जी भी हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में प्रशासन दूसरी जगह के पीड़ितों को यहां जमीन दे सकता है।