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जबलपुर26 मिनट पहले
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- नहीं मिल रहा चावल, बेपटरी हुई राशन वितरण व्यवस्था
सिहोरा तहसील के अंतर्गत गोसलपुर क्षेत्र में संचालित राशन दुकानों में पिछले तीन माह से गरीबों के लिए मिलने वाला सस्ता मोटा अनाज पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच रहा है, जिससे गरीबों को भरपूर अनाज नहीं मिल पा रहा है। तीन माह से नहीं मिला चावल – सिहोरा एसडीएम को सौंपी लिखित शिकायत में उपभोक्ताओं ने बताया है कि पिछले तीन महीने से राशन दुकान में चावल नहीं मिल रहा है, इस कारण परिवार के उदर पोषण में परेशानी आ रही है। राशन दुकान को संचालित करने वाले विक्रेता द्वारा यह कहा जाता है कि पर्याप्त मात्रा में आवंटन ना आने के कारण चावल का वितरण नहीं हो पा रहा है।
इनका कहना है
कुछ माह से आवंटन कम मिल रहा है, लेकिन पिछले तीन महीने से कार्डधारियों को चावल न मिलने की शिकायत मिली है। इस मामले की खाद्य निरीक्षक सिहोरा से जांच करवाएंगे।
सुधीर दुबे, प्रभारी फूड कंट्रोलर जबलपुर
पिछले तीन माह से आवंटन पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल रहा है। चावल तीन माह से नहीं मिला है। मार्च माह का आवंटन प्राप्त हो चुका है, जिसमें 36 क्विंटल गेहूं, 48 क्विंटल चावल मिला है।
बीएमएस पटेल, राशन दुकान संचालक गोसलपुर
अंगूठा तो लगवाया पर दो की जगह सिर्फएक माह का ही दिया राशन
बरेला। राज्य शासन द्वारा हितग्राहियों को राशन की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए पीओएस मशीन में अंगूठा तथा आधार कार्ड लिंक अनिवार्य किया गया है। पीओएस मशीन में अंगूठा लगाने के बाद भी हितग्राहियों को राशन मिलना सेल्समैन की मनमर्जी पर निर्भर कर रहा है।
इसकी बानगी सहकारी समिति पड़वार अंतर्गत ग्राम पड़वार में संचालित राशन दुकान में देखी जा सकती है। यहां सेल्समैन ने उपभोक्ताओं से पीओएस मशीन में फरवरी माह में ही अंगूठा लगवा लिया था, लेकिन राशन का वितरण मार्च माह में किया गया। जबकि नियमानुसार उपभोक्ताओं को फरवरी और मार्च का दो महीने का राशन देना था। इससे उपभोक्ता अपने आपको ठगा महसूस कर रहे हैं।
पड़वार निवासी केशव झारिया ने बताया कि मार्च माह में केवल फरवरी माह का राशन दिया गया है। जबकि पूर्व में सेल्समैन ने दो माह का एक साथ राशन देने के लिए कहा था। यही नहीं प्रत्येक हितग्राही से 5 किलो राशन की कटौती भी की गई है।
सेल्समैन का कहना है कि ऊपर से ही राशन कम मिला है। ग्रामीणों का कहना है कि सेल्समैन द्वारा पीओएस मशीन में अंगूठा लगाने के बाद उन्हें राशन सामग्री की पावती भी नहीं दी जाती है, इससे उन्हें यह भी पता न हीं चल पाता कि उन्हें कितना खाद्यान्न दिया गया है।