ऑनलाइन ठगों का गढ़ बन रहा MP: वेब सीरीज जामताड़ा की तर्ज पर निवाड़ी में युवाओं ने फैलाया कारोबार; ट्रेनिंग सेंटर से लेकर कॉल सेंटर तक खड़ा किया, 5 साल से ठगी कर रहे

ऑनलाइन ठगों का गढ़ बन रहा MP: वेब सीरीज जामताड़ा की तर्ज पर निवाड़ी में युवाओं ने फैलाया कारोबार; ट्रेनिंग सेंटर से लेकर कॉल सेंटर तक खड़ा किया, 5 साल से ठगी कर रहे


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भोपाल9 मिनट पहले

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सायबर की टीम करीब 7 महीने बाद आरोपियों तक पहुंच पाई। हालांकि अभी भी गिरोह की मुख्य कड़ी का पता नहीं चल पाया है।

  • पुलिस से बचने मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश की बार्डर का गांव चुना
  • हर आरोपी का अपना काम और भूमिका तय थी, मकान तक बनाए

ऑन लाइन फ्रॉड पर बनी वेब सीरीज जामताड़ा की तर्ज पर ही मध्यप्रदेश में भी ठगी का यह कारोबार फल-फूलने लगा है। उत्तरप्रदेश की बॉर्डर स्थित मध्यप्रदेश के निवाड़ी जिले का गांव अस्तारी अब चर्चाओं में है। यहां के युवा पढ़ाई छोड़कर लोगों को ऑन लाइन लॉटरी और ड्रा खुलने के नाम पर करोड़ों की कमाई कर चुके हैं।

यह खुलासा सायबर क्राइम भोपाल के हत्थे चढ़े 4 ठगों ने किया। पुलिस ने उन तक एक शिकायत मिलने के बाद पहुंच पाई। 7 महीने पहले हुई इस शिकायत पर गत 26 फरवरी को सूखीसेवनिया थाने में FIR की थी। जालसाजों ने लॉटरी खुलने के नाम पर परवेज से 38 हजार रुपए से ज्याद ऐंठ लिए थे। उसने अपनी बहन की शादी के दहेज के लिए यह रकम जोड़कर रखी थी।

इस तरह पुलिस आरोपियों तक पहुंची

जानकारी के अनुसार सूखीसेवनिया पुलिस के ग्राम चौपड़ा कला में रहने वाले 17 साल के परवेज खान ने करीब 7 महीने पहले धोखाधड़ी की शिकायत सायबर क्राइम से की थी। जांच के बाद 26 फरवरी को मामला सूखीसेवनिया पुलिस को भेज दिया गया।

यहां पर पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में FIR की। सायबर एक्सपर्ट की मदद से पुलिस प्रदेश भर का चक्कर लगाते हुए निवाड़ी पहुंची। यहां से पुलिस ने गोरखास से विनोद अहिरवार, अंकित अहिरवार और अरविंद प्रजापति को पकड़ा, जबकि अस्तारी से राघवेंद्र यादव पकड़ा गया।

उनके पास से 4 मोबाइल फोन, एक एटीएम कार्ड, 1 माइक्रो एटीएम और एक थम्ब इंप्रेशन मशीन को जब्त किया। आरोपियों ने गांव में ठगी के रुपयों से पक्के मकान खड़े कर लिए। पूछताछ में आरोपियों ने यह खुलासा किया…

पकड़े गए आरोपी 10वीं और 12वीं पास हैं, जबकि एक सेकंड ईयर तक पढ़ा बताया जाता है। राघवेंद्र ने बताया कि उन्होंने ऑन लाइन फ्रॉड के बारे में टीवी और इंटरनेट के माध्यम से जाना। इसके बाद इस खेले से जुड़े लोगों के संपर्क में आए और फिर उन्होंने भी करीब 5 साल पहले इस पर काम शुरू कर दिया। वह अब तक हजारों की संख्या में लोगों को कॉल कर लकी ड्रॉ और लॉटरी खुलने का झांसा दे चुके हैं। इसी तरह वे मध्यप्रदेश ही नहीं पूरे देश में लोगों को कॉल कर धोखाधड़ी करते हैं।

इस तरह फसाते हैं जाल में

आरोपियों ने बताया कि वे ऑन लाइन मिले डॉटा के आधार पर लोगों को कॉल करते हैं। उन्हें झांसा में लेते हुए उनसे अलग-अलग खातों में रुपए फीस से लेकर अन्य तरह के टैक्स के नाम पर जमा करवाते थे। जब लगता था कि अब सामने वाला रुपए नहीं देगा, तो सिम तोड़कर फेंक देते थे। उसके बाद नए ग्राहक खोजते थे।

इस तरह चल रहा था नेटवर्क

विनोद अहिरवार – लोगों को फर्जी कॉल कर लकी ड्रा का लालच देकर धोखाधड़ी पूर्वक पैसे जमा करवाना।

अंकित अहिरवार – एटीएम कार्ड से पैसे निकालना।

अरिवंद प्रजापति – स्वयं के कियोस्क से पैसे निकालना एवं सिम की व्यवस्था करना।

राघवेंद्र यादव – मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश की सीमा पर चने की दुकान चलाना, फौन करना एवं कमशीन पर नकद पैसे मुख्य आरोपियों तक पहुंचाना तथा आरोपियों को संरक्षण देना।

गिरोह में यह भी शामिल

डाटा – इसके लिए आरोपी उत्तरप्रदेश के इस तरह के गिरोह के सदस्यों और ऑन लाइन डाटा की साइट के संपर्क में रहते थे।

सिम – इस काम के लिए सबसे महत्वपूर्ण सिम आरोपी फर्जी कागजातों की मदद से प्राप्त करते थे। पुलिस की मुख्य चुनौती इसी गिरोह को तोड़ना है।

इस तरह जमा करवाते थे रुपए

परवेज ने बताया कि कंपनी की तरफ से उसकी 3 लाख 90 हजार की लॉटरी खुलने का कॉल आया था। इसे पाने के लिए प्रोसेसिंग फीस और अन्य तरह की प्रक्रिया के लिए 44 हजार रुपए जमा कराने को कहा गया था। परवेज ने उनके कहने पर एसबीआई और पीएनबी बैंक के दो अलग-अलग खातों में कुल 38 हजार रुपए जमा कर दिए थे। एक में उसने 28 हजार और दूसरे में 10 हजार जमा किए।

इसके बाद वह 6 हजार की और मांग करने लगे थे। उसने बताया कि उसकी दो बहने हैं। एक उससे बड़ी है, जबकि एक उस से छोटी है। बड़ी बहन की शादी पक्की हो गई। ईद के बाद शादी होनी है। उसी के लिए वह दिन-रात मेहनत कर पैसे जुटा रहा था। 38 उसने जमा कर लिए थे और यहां वहां से पैसों का इंतजाम कर रहा था। यही रुपए उसने लॉटरी के नाम गंवा दिए।

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