कलेक्टर पर लगाया 20 हजार रुपए का हर्जाना: ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों पर लगाई गई रासुका निरस्त, कोर्ट ने कहा NSA लगाने में नियमों का पालन नहीं किया गया

कलेक्टर पर लगाया 20 हजार रुपए का हर्जाना: ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों पर लगाई गई रासुका निरस्त, कोर्ट ने कहा NSA लगाने में नियमों का पालन नहीं किया गया


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ग्वालियर7 मिनट पहले

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फाइल फोटो- हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने कलेक्टर पर हर्जाना लगाते हुए सख्त शब्दों में कहा है कि आगे से ऐसा न हो

  • दोनों व्यवसायी जेल में थे उसके बाद लगाई गई थी रासुका
  • पीडीएस घोटाले में लगाई गई थी रासुका

पीडीएस घोटाले में ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों मुन्नालाल व राहुल अग्रवाल पर लगाई गई रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) को बुधवार को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया गया है। साथ ही कहा है कि यह रासुका लगाने में नियमों का पालन नहीं किया गया है। यह किसी की भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन है। इस कारण ग्वालियर कलेक्टर पर 20 हजार रुपए का हर्जाना भी लगाया गया है। साथ ही कहा है कि जब वह दोनों जेल में थे तो उन पर रासुका की कार्रवाई नहीं की जा सकती थी। कलेक्टर को कार्रवाई की जानकारी राज्य शासन को देनी चाहिए थी, लेकिन समय पर नहीं दी गई।

ट्रांसपोर्ट व्यवसायी मुन्नालाल व राहुल अग्रवाल पर पीडीएस घोटाले में कलेक्टर ग्वालियर द्वारा रासुका लगाई गई थी। इस मामले में जब उन पर रासुका लगाई गई थी तो वह जेल में बंद थे। इस पर दोनों ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों ने अधिवक्ता संजय कुमार बहरानी के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। उनके ऊपर की गई रासुका की कार्रवाई को चुनौती दी थी। याचिका में तर्क दिया कि कलेक्टर ने नियम विरूद्ध कार्रवाई की है।यह कार्रवाई एक व्यक्ति के अधिकारों का हनन है। इसलिए इसे निरस्त किया जाए। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए रासुका की कार्रवाई को गलत मानते हुए उसे बुधवार को निरस्त कर दिया है। साथ ही कलेक्टर ग्वालियर पर नियमों का पालन नहीं करते हुए रासुका लगाने पर 20 हजार रुपए हर्जाने की कार्रवाई की है

यह था पूरा मामला

ट्रांसपोर्ट व्यवसायी मुन्नालाल अग्रवाल व राहुल अग्रवाल के खिलाफ झांसी रोड थाने में FIR दर्ज की गई थी। उनके ऊपर आरोप है कि लाकडाउन के दौरान गरीबों के लिए जो राशन आया था, उस राशन को शासकीय उचित मूल्य की दुकानों पर नहीं पहुंचाते हुए बाजार में सप्लाई किया था। दोनों आरोपियों पर गबन, धोखाधड़ी, आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत FIR दर्ज की गई थी। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर 25 जनवरी 2021 को जेल भेज दिया था। दोनों आरोपियों को जेल भेजे जाने के एक माह बाद दोनों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई की गई थी।

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