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- 46 Had Lost Eyesight Due To Shrapnel, Now After 6 Months Of Training, Inder Climbs With A Jump
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भोपाल2 मिनट पहले
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इंदर को मादा तेंदुए के नजदीक वाले बाड़े में रखा गया। मादा तेंदुए की गुर्राहट और उसकी उपस्थिति से वह खुद को सुरक्षित महसूस करे।
- 9 महीने पहले शिकारियों के हमले में जख्मी हो गया था इंदर, 10 अक्टूबर को इंदौर चिड़ियाघर से वन विहार लाए थे
- प्रदेश का पहला अंधा तेंदुआ, जिसे मिला जीवन जीने का दूसरा मौका
सात साल का तेंदुआ ‘इंदर’ अब जीना सीख गया है। नौ माह पहले शिकारियों ने उसका शिकार करने की कोशिश की थी। उसके सिर में 46 छर्रे लगे थे। उसकी जान तो बच गई, लेकिन इंसानी क्रूरता ने उसे जीवनभर के लिए अंधा बना दिया। महज 6 माह में ही इंदर ने अपने कीपर्स और आसपास के वन्यप्राणियों की आवाज पहचाना सीख लिया है। उसे यहां ट्रेनिंग दी गई। इसका परिणाम है कि वह अब जंप लगाकर हाउसिंग में बने स्लैब पर चढ़ जाता है। गौरतलब है कि 10 अक्टूबर को इंदौर चिड़ियाघर से इंदर को वन विहार में लाया गया था। वन विहार के वन्यप्राणी चिकित्सक अतुल गुप्ता ने बताया कि तेंदुए के सिर में छर्रे लगने से उसका तंत्रिका तंत्र पूरी तरह डैमेज हो गया। इस कारण उसे दिखना बंद हो गया। वेटनरी डॉक्टरों ने इसके सीटी स्कैन देखने के बाद ऑपरेशन न करने का निर्णय लिया था। यह पहला ऐसा तेंदुआ है, जाे पूरी तरह से अंधा है।
कीपर की आवाज पहचानने लगा, बाड़े में भी घूमता है
डिप्टी डायरेक्टर एके जैन ने बताया कि इंदर को मादा तेंदुए के नजदीक वाले बाड़े में रखा गया। मादा तेंदुए की गुर्राहट और उसकी उपस्थिति से वह खुद को सुरक्षित महसूस करे। वह कीपर शर्मानंद गैरे की आवाज को पहचानता है। वह अब हाउसिंग से निकलकर घंटों बाड़े में घूमता रहता है।
तेंदुए के साथ कब, क्या हुआ
- 10 जुलाई 2020 को इंदौर के नयापुर में वह जख्मी मिला था।
- 21 सितंबर 2020 को उसे इंदौर से भोपाल में जांच के लिए लाया गया। इस दौरान सिर में छर्रे लगने की बात पता चली। फिर वापस इंदौर भेज दिया गया।