उज्जैन में महाकाल मंदिर से शुरू हुई होली: महाकाल की भस्म आरती में जमकर उड़ा रंग-गुलाल, भक्तों की एंट्री नहीं पर पंडे- पुजारियों ने आरती के दौरान बाबा के साथ खेली होली

उज्जैन में महाकाल मंदिर से शुरू हुई होली: महाकाल की भस्म आरती में जमकर उड़ा रंग-गुलाल, भक्तों की एंट्री नहीं पर पंडे- पुजारियों ने आरती के दौरान बाबा के साथ खेली होली


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उज्जैन10 मिनट पहले

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महाकाल मंदिर में भस्म आरती के बाद होली का त्योहार मनाया गया।

कोरोना संक्रमण के बाद सोमवार को देशभर में धूमधाम से होली का पर्व मनाया जा रहा है। बाबा महाकाल की नगर उज्जैन में भी होली की धूम है। परंपरा अनुसार होली के त्योहार की शुरुआत शहर में सबसे पहले बाबा महाकाल मंदिर प्रांगण से हुई। बाबा महाकाल के दर पर धूमधाम से होली का उत्सव मनाया गया। सुबह 4 बजे होने वाली भस्म आती में इस बार भक्त तो शामिल नहीं हो पाए, लेकिन पंडे-पुजारियों ने महाकाल के साथ होली खेली। यहां सभी ने बाबा की भक्ति में लीन होकर अबीर गुलाल और फूलों के साथ होली मनाई। रंग-गुलाल ऐसा उड़ा की बाबा का दरबार रंगों से सराबोर हो गया।

उज्जैन में सभी त्योहारों की शुरुआत बाबा महाकाल के आंगन से होती है। परंपरा अनुसार होली का पर्व भी बाबा के साथ होली खेलकर शुरू किया गया। परंपरा अनुसार भस्म आरती में बाबा महाकाल को रंग-गुलाल लगाया गया। पंडे- पुजारियों ने आरती के दौरान बाबा की भक्ति में लीन होकर अबीर गुलाल और फूलों के साथ होली खेली। बता दें कि बाबा महाकाल के दर पर खेली जाने वाली होली में हजारों की संख्या में भक्त शामिल हुआ करते थे, लेकिन इस बार कोरोना के कारण ऐसा नहीं हो सकता। भक्तों के प्रवेश पर प्रतिबंध होने के कारण बिना भक्तों के ही मंदिर में होली मनाई गई।

सुबह 4 बजे होती है भस्मआरती
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में ही भस्म आरती की परंपरा है। रोजाना सुबह 4 बजे बाबा महाकाल को भस्म चढ़ाई जाती है। परंपरा अनुसार दिवाली हो, होली हो, गुड़ी पड़वा हो या फिर नया साल हर त्योहार बाबा की भस्माआरती के से ही शुरू होता है। इसी कड़ी में सुबह अभिषेक कर बाबा को भस्म चढ़ाई गई। इसके बाद गुलाल लगाकर होली के पर्व की शुरुआत की गई।

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