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जबलपुर3 घंटे पहले
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- इस बार का टारगेट, मानसून आने तक 412 मीटर पानी बचना चाहिए बाँध में, अभी 12 घण्टे हो रहा विद्युत का उत्पादन
- 100 घन मीटर प्रति सेकेण्ड की रफ्तार से जा रहा नर्मदा में
गर्मियों की शुरूआत होते ही लोगों की नजर बरगी बाँध पर आकर टिक जाती है। बरगी बाँध ही ऐसा है जो गर्मियों के दिनों में माँ नर्मदा के बहाव को बेहतर बनाए रखता है, कोई भी घाट इस वजह से उथला नहीं दिखाई देता। पेयजल के हिसाब से भी बाँध का पर्याप्त भरा होना बेहद जरूरी है। गर्मी की शुरूआत में अभी बाँध का जल स्तर 418.20 मीटर है।
यह बीते साल के मुकाबले 0.75 मीटर कम है। पिछले साल इन्हीं दिनों बाँध का जल स्तर 418.20 मीटर था। यह कमी उतने मायने नहीं रखती है। बाँध का जल स्तर इस बार 20 जून यानी मानसून आने तक 412 मीटर तक बनाए रखने का लक्ष्य रखा गया है। यह बाँध का न्यूनतम स्तर नहीं, लेकिन सावधानी के लिए इतनी सीमा तक पानी बचाने का लक्ष्य रखा गया है। इसको लेकर सावधानी आगे बरती जाएगी कि इतना पानी बाँध में बचा रहे।

अभी बाँध से हर दिन 100 घन मीटर प्रति सेकेण्ड की रफ्तार से जल विद्युत उत्पादन के लिए छोड़ा जा रहा है। बाँध के जल प्रबंध उपयंत्री राजा राम रोहित के अनुसार आने वाली गर्मी के करीब 83 दिनों में 20 जून तक 6 मीटर पानी को उपयोग में लाया जाएगा। इतना पानी भरपूर है और पेयजल, विद्युत उत्पादन, सिंचाई सभी तरह की जरूरतों को पूरा कर देगा। अभी बाँध में वार्षिक निर्धारित कैलेण्डर के अनुसार पर्याप्त जल है।
90 फीसदी सप्लाई नर्मदा से
शहर में पेयजल की 90 फीसदी सप्लाई नर्मदा जल से की जाती है। गर्मियों के दिनों में नर्मदा में पानी कम होने पर जल का बहाव बरगी बाँध के पानी से बरकरार रहता है। इन हालातों में पेयजल के लिए पानी बड़ी मात्रा में बाँध से ही मिलता है। बरगी बाँध में पानी होने पर किसी तरह की चिंता की जरूरत नहीं होती। अभी बाँध में वाष्पीकरण से पानी जो घट रहा है उसकी रफ्तार कम है। आमतौर पर मई, जून में पानी तेजी से घटता है। इन्हीं दो माहों में पानी को सहेज कर रखने की जरूरत पड़ती है। मानसून देरी से आने पर वाष्पीकरण का क्रम तेज हो जाता है। कई सालों से मानसून आने का समय आगे बढ़ गया है, जिससे जल को गर्मियों के आखिरी समय के लिए बचाना और कठिन भरा होता है।