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ग्वालियर2 घंटे पहले
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नगर निगम का वर्ष 2021-22 का बजट मंगलवार काे फाइनल हाे गया। निगम आयुक्त शिवम वर्मा बुधवार काे लगभग 1290 करोड़ रुपए का बजट प्रस्ताव उनके संभागायुक्त एवं प्रशासक आशीष सक्सेना के समक्ष पेश करेंगे। प्रशासक इसे मंजूर कर 1 अप्रैल से लागू करने की सहमति देंगे। बजट में आय बढ़ाने के लिए नवाचार की तरफ ज्यादा ध्यान दिया गया है।
अब निगम टैंकर की जगह बोतल में पानी की सप्लाई करेगा। निगम इसका कम से कम पैसा लेगा। साथ ही निर्माण कार्यों में बोरिंग और तिघरा जलाशय के पानी की जगह सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में ट्रीट होने वाले पानी काे बेचने की योजना है। निगम में अभी संपत्तिकर, जलकर सहित अन्य करों को भरने के लिए अलग-अलग आईडी बनती है। प्रशासक का कहना रहा कि सभी करों की एक ही आईडी बनाई जाए। इससे शहरवासियों को सहूलियत मिलेगी।
मंगलवार को छुट्टी के दिन भी बजट काे लेकर सुबह 11 से दोपहर 3 बजे तक बैठक चली। इसमें संभागायुक्त एवं प्रशासक आशीष सक्सेना के समक्ष आयुक्त शिवम वर्मा ने प्रस्तावित बजट रखा। इसे देखकर प्रशासक संतुष्टि जताई। उन्हाेंने कुछ मामूली संशोधन कर 31 मार्च को प्रस्ताव देने के लिए कहा है।
गौशाला में गोबर से बिजली बनेगी
नगर निगम गौशाला के ऊपर 15 करोड़ रुपए की राशि हर साल खर्च करता है। वहां से कुछ आय होने लगे। इसके लिए गाय के गोबर से बिजली बनाने का प्लान तैयार किया जाएगा। इसमें इंडियन आयल कॉर्पोरेशन सहयोग कर सकता है। अभी गौशाला में दूध की बिक्री ठेकेदार से कराई जाती है। प्रशासक ने कहा कि इसका टाइअप ग्वालियर दुग्ध संघ से कराया जाएगा।
ऐसे होगी आय बढ़ाने की कोशिश
- तरण पुष्कर को थर्ड पार्टी को दिया जाए। इससे हर साल तय राशि निगम को मिलेगी।
- पेड़ों को काटने के लिए रसीद 50 की जगह 1000 रुपए की जाएगी। इसके साथ ही पहले दस पेड़ों को संबंधित से लगवाया जाए।
- सीवर ट्रीटमेंट से ट्रीट पानी निर्माण कार्यों के लिए टैंकरों के माध्यम से बेचा जाए। ठेकेदारी खत्म कर ऑनलाइन सिस्टम अपनाएंगे।
- नगर निगम के संग्रहालय और चिड़ियाघर की बुकिंग ऑनलाइन की जाएगी।
- सामुदायिक भवनों की बुकिंग भी ऑनलाइन हो।
- हॉकर्स के कार्ड बनाए जाएं, उनसे हर रोज पर्ची की जगह ऑनलाइन भुगतान लिया जाएगा।
बजट में इन कार्यों की संभावित राशि
- स्वास्थ्य संबंधी (स्वच्छता आदि – 40 लाख
- वाहनों में पेट्रोल डीजल – 18 करोड़ रुपए
- मशीनों की देखभाल – 04 करोड़ रुपए
- जनकार्य – 200 करोड़ से अधिक
- सीवर संधारण – 09 करोड़ रुपए
- पेयजल, अमृत योजना – 250 करोड़ से अधिक