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भोपाल5 घंटे पहले
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फाइल फोटो।
पनडुब्बी मशीन व मोटरबोट के जरिए अवैध रेत खनन के कारण अशोकनगर जिले में बेतवा नदी के बीच प्राचीन टापुओं पर बने 16वीं सदी के जैन मंदिरों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। नदी के बीच में मंदिरों वाले यह टापू नावघाट और मल्लार घाट किनारे मौजूद हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मंगलवार को तरण तारण दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र निसाईजी ट्रस्ट की याचिका पर मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अशोक नगर कलेक्टर को मशीनों से अवैध रेत खनन और टापुओं को हुए नुकसान की जांच के आदेश दिए हैं।
जस्टिस स्योकुमार सिंह और डॉ अरुण कुमार वर्मा की जूरी ने प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड और कलेक्टर को एक संयुक्त समिति गठित कर 4 सप्ताह के अंदर जांच रिपोर्ट तलब की है। गौरतलब है कि वर्ष 2019 में राज्य सरकार ने रेत खनन नीति में बदलाव करते हुए जिलावार एक ही ठेकेदार को रेत खनन के ठेके दिए हैं। अशोकनगर जिले का ठेका राजेंद्र सिंह रघुवंशी को दिया गया था।
पन्ना कलेक्टर से रिपोर्ट मांगी : एनजीटी ने पन्ना जिले में केन नदी किनारे प्राइवेट भूमि पर बिना पर्यावरणीय मंजूरी और बिना डिस्ट्रिक्ट सर्वे रिपोर्ट के किए जा रहे रेत खनन के मामलों में कलेक्टर से रिपोर्ट तलब की है। एनजीटी ने संयुक्त जांच दल बनाकर एक माह में जांच कराने के निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि पन्ना जिले का रेत खनन का ठेका रसमीत सिंह मल्होत्रा ने 31.61 करोड़ रुपए की बोली लगाकर हासिल किया था।