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मेवात8 मिनट पहलेलेखक: राजकिशोर
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IPL में शाहबाज अहमद रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के नए स्टार बनकर उभरे हैं। उन्होंने बुधवार को सनराइजर्स हैदराबाद के साथ मैच में 2 ओवर में 7 रन देकर 3 विकेट लिए। शाहबाज ने तीनों विकेट हैदराबाद की पारी के 17वें ओवर में लिए और यहीं से मैच का रुख बेंगलुरु की ओर पलट गया। इससे पहले उन्होंने 10 गेंदों पर 14 रन भी बनाए थे। भास्कर ने इस शानदार परफॉर्मेंस के बाद शाहबाज के परिवार वालों से उनकी सफलता और अब तक के सफर पर बात की।
शाहबाज हरियाणा के मेवात जिले के सिकरावा गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता अहमद जान हरियाणा के एसडीएम के रीडर हैं। अहमद जान बताते हैं कि जॉब और बच्चों की पढ़ाई के लिए गांव छोड़कर वे हथीन में रहने लगे थे। वे चाहते थे कि शाहबाज इंजीनियर बने। लेकिन, बेटे को क्रिकेट का शौक था और उन्होॆंने खेल में ही करियर बनाने का फैसला किया। अहमद जान बताते हैं कि उनके पिता भी क्रिकेट खेलते थे। शाहबाज को भी अपने दादा की तरह क्रिकेट खेलना पसंद था। लेकिन उनका गांव मेवात जिले में एजुकेशन की वजह से जाना जाता है। गांव में कई इंजीनियर और डॉक्टर हैं। शाहबाज की छोटी बहन फरहीन भी डॉक्टर हैं और फरीदाबाद के सरकारी अस्पताल बादशाह खान में ट्रेनिंग कर रही हैं। वे चाहते थे कि शाहबाज भी इंजीनियर बने। इसलिए 12वीं के बाद उनका एडमिशन फरीदाबाद स्थित मानव रचना यूनिवर्सिटी में सिविल इंजीनियरिंग में कराया था।

माता-पिता के साथ शाहबाज अहमद।
क्लास बंक कर जाते थे क्रिकेट खेलने
अहमद जान कहते हैं कि उन्हें नहीं पता था कि फरीदाबाद में उनके बेटे का मन इंजीनियरिंग की पढ़ाई में नहीं लग रहा था। शाहबाज क्रिकेट खेलने के लिए क्लास बंक कर रहे थे। इसकी जानकारी उन्हें तब मिली जब यूनिवर्सिटी की ओर से उनके पास मैसेज भेजा गया कि उनका बेटा क्लास नहीं कर रहा है।
क्रिकेट और पढ़ाई में से क्रिकेट को चुना
अहमद जान बताते हैं कि तब उन्होंने शाहबाज से कहा कि वे पढ़ाई या क्रिकेट में से किसी एक को चुने। लेकिन जो भी चुनें उसपर फोकस करें। तब शाहबाज ने क्रिकेट को चुना और उसी पर फोकस करने की ठान ली। इसके बाद वे गुड़गांव में तिहरी स्थित क्रिकेट एकेडमी जाने लगे। वहां कोच मंसूर अली ने उन्हें ट्रेनिंग दी। हालांकि शाहबाज ने पढ़ाई भी जारी रखी और अपनी इंजीनियरिंग पूरी की। वैसे क्रिकेट में व्यस्त होने की वजह से अब तक डिग्री लेने यूनिवर्सिटी नहीं जा पाए हैं। अहमद जान कहते हैं कि शुरुआत में उन्हें नहीं पता था कि क्रिकेट में भी करियर बनाा जा सकता है। वे कहते हैं, आज मैं खुश हूं कि शाहबाज ने जो फैसला किया, वह सही था और उसने कड़ी मेहनत कर अपने लक्ष्य को हासिल किया।’

दोस्त की सलाह पर बंगाल गए फिर बना करियर
शाहबाज के पिता ने बताया कि ग्रेजुएशन के बाद उनके दोस्त प्रमोद चंदीला उन्हें क्रिकेट खेलने के लिए बंगाल लेकर गए। चंदीला भी बंगाल में क्लब क्रिकेट खेलते हैं। शाहबाज को वहां के घरेलू टूर्नामेंट में बेहतर प्रदर्शन करने पर बंगाल 2018-19 में रणजी टीम में जगह मिली। उसके बाद 2019-20 में उनका चयन इंडिया ए टीम में हुआ। इसके बाद 2020 IPLऑक्शन में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने शाहबाज को 20 लाख में खरीदा। हालांकि उन्हें UAE में दो मैच खेलने ही का मौका मिला था।
बल्ले से भी करेंगे कमाल
शाहबाज के पिता का मानना है कि उनका बेटा गेंदबाज की तुलना में बेहतर बल्लेबाज है। जब वे क्लब स्तर पर खेलते थे, मुख्य तौर पर बल्लेबाज ही थे। हालांकि बंगाल जाने के बाद वे कोच की सलाह पर गेंदबाजी पर भी फोकस करने लगे। उन्हें विश्वास है कि शाहबाज बल्ले से भी कमाल दिखाएंगे। उन्होंने कहा कि शाहबाज रवींद्र जडेजा को अपना आदर्श मानते हैं और उनकी तरह ही ऑलराउंडर बनना चाहते हैं।