बढ़ती उम्र के साथ विकेटकीपिंग करना, कप्तानी में चिप की तरह दिमाग चलाना और फिर बल्लेबाजी की जिम्मेदारी संभालना आसान नहीं होता. यूं तो हरभजन सिंह भी 40 की उम्र में मैदान पर हैं, लेकिन उनकी और धोनी की भूमिका में बड़ा फर्क है. लगता है कि धोनी अगले सीजन में भी चेन्नई सुपरकिंग्स (Chennai Super Kings) के साथ बने रह सकते हैं, लेकिन शायद उनकी भूमिका बदल सकती है. इसकी बड़ी वजह अगले दिसंबर-जनवरी में होने वाला प्लेयर्स का मेगा-ऑक्शन है. सीएसके (CSK) या और टीमें इस ऑक्शन के जरिये अपनी टीमों का संतुलन और बेहतर करना चाहेंगी.
ऐसा नहीं है कि जब ये सवाल हमारे जेहन में घूम रहे हैं तो धोनी या टीम मैनेजमेंट इस बारे में सोच नहीं रहे होंगे. लेकिन इतना तय है कि कप्तानी करने या ना करने, खेलने या ना खेलने का अंतिम फैसला धोनी का ही होगा. टीम प्रबंधन का उन पर अटूट भरोसा पिछले साल रैना के साथ हुए विवाद के दौरान भी दिखाई दिया.
यह सच है कि आईपीएल का खिताब कप्तान एमएस धोनी से ज्यादा कप्तान रोहित शर्मा के नाम है. लेकिन यह मत भूलिए कि सबसे ज्यादा फाइनल में पहुंचने का कारनामा धोनी की टीम ने ही किया है. वह भी तब, जब स्पॉट फिक्सिंग विवाद के चलते चेन्नई सुपरकिंग्स पर दो साल का बैन भी लग चुका है. तब धोनी मजबूरन पुणे सुपरजाएंट्स का हिस्सा हो गए थे. लेकिन बैन हटते ही वे फिर चेन्नई सुपरकिंग्स के बॉस हो गए. उन्होंने वापसी कर अपनी टीम को खिताब भी दिलाया. और खास बात यह कि धोनी ने जिस तरह इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कहा, शायद वे आईपीएल से वैसे ही बेहतर प्रदर्शन के साथ विदा लेना चाहेंगे.