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रतलामएक घंटा पहले
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सुहास गांधी
- ढाई साल पहले मन में संसार की हताशा जान संयम मार्ग की ओर चलने का लिया प्रण
ढाई साल पहले मन में संसार की हताशा जानकर संयम मार्ग पर चलने का प्रण लेने वाले 24 वर्षीय मुमुक्षु सुहास गांधी रविवार को दीक्षा ग्रहण करने वाले हैं। लॉकडाउन के कारण सारे कार्यक्रम निरस्त कर दिए है। संभवत: यह पहली ऐसी दीक्षा है जिसमें मात्र 20 लोगों की मौजूदगी में दीक्षा लेंगे। दीक्षा के लिए गुरु जिनेंद्रमुनिजी मसा आने वाले थे, लेकिन वे भी नहीं पहुंच पाए हैं। अत: संयत मुनि जी महाराज अपने मुखारविंद से मुमुक्षु को दीक्षा ग्रहण करवाएंगे।
भगवान महावीर स्वामी जन्मोत्सव पर मुमुक्षु सुहास गांधी जैन भगवती दीक्षा ग्रहण करेंगे। लगभग दो माह से तैयारियां चल रही थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण सारी तैयारियां रह गईं। रविवार को शासन द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार गोपाल नगर में दीक्षा होगी।
कभी सोचा नहीं था इस मार्ग की ओर जाऊंगा : मुमुक्षु गांधी
मुमुक्षु सुहास गांधी ने बताया बचपन में खूब धमाल किया करता था। स्कूल व कॉलेज में लीडरशिप की। बीकॉम ऑनर्स की पढ़ाई के बाद पिता के आभूषण के व्यवसाय को आगे बढ़ाने की सोची थी कभी इस ओर सोचा नहीं कि दीक्षा के मार्ग की ओर जाऊंगा। ढाई साल पहले इस ओर जाने का मन बनाया। बचपन से स्थानक जाते थे।
पापों का वर्णन पढ़ते हुए बातों को विचार किया अपने सभी सुख चाहते हैं। सभी दूसरे जीवों को दुख देकर सुखी होना चाहते हैं जो कतई संभव नहीं। जब तक दूसरे जीवों को सुख नहीं देंगे तब तक अपने को साश्वत मोक्ष की प्राप्ति नहीं होगी, ऐसी अनुभूति हुई। उन्होंने कहा भगवान ने बताया पानी की एक बूंद में असंख्य जीव रहते हैं।
हम जितनी भी क्रिया करते हैं उसमें छह कार्यों के जीवन हत्या होती है। इन सभी चीजों से बचने के लिए संयम ही रास्ता है। जहां पुराने पाप कर्म अपनों ने कर रखें हैं उनको खत्म कर देते हैं और नए एेसे पुण्य मानते हैं जो अपना मोक्ष रूपी पक्ष मजबूत होता और शीघ्र मोक्ष को प्राप्त करते हैं। इसलिए इस मार्ग की ओर बढ़ा। गुरुदेव जिनेंद्र मुनिजी महाराज के सान्निध्य में वैराग्य लिया।
गांधी परिवार में इकलौता बेटा है सुहास
सुहास नरेंद्र कुमार व सपना गांधी का इकलौता बेटा है। बड़ी बहन ईशा चिराग कटारिया और छोटी बहन भव्यता गांधी है। मुमुक्षु गांधी ने गुरु जिनेंद्र मुनिजी के सान्निध्य में धर्म आराधना में समय व्यतीत किया। दो साल से मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम सहित खान पान पर पूरी तरह से संयम बना रखा है। उनकी दीक्षा की उत्कृष्ट भावना देखते हुए उनके माता-पिता ने अपनी वंश परंपरा का त्याग कर पुत्र की चौरासी लाख योनि के भव भ्रमण को सीमित करने के लिए संतान को जिनशासन की सेवा में समर्पित कर दिया। नरेंद्र कुमार ने बताया हमारे पूरे परिवार के लिए यह हर्ष का विषय है परिवार का एक सदस्य दीक्षा ग्रहण कर संयम के मार्ग पर चलने वाला है। हमारा यही आशीर्वाद है कि बेटा गुरु व कुल का नाम रोशन करें।