उपज सहेजने का जुगाड़: मंडी बंद, प्याज को सहेजने ईंट का फर्श बनाया, जाली बिछाई, ट्री-गार्ड पर एग्जास्ट फैन रखा, लहसुन की बाेरियों को 24 घंटे हवा देने लगाया पंखा

उपज सहेजने का जुगाड़: मंडी बंद, प्याज को सहेजने ईंट का फर्श बनाया, जाली बिछाई, ट्री-गार्ड पर एग्जास्ट फैन रखा, लहसुन की बाेरियों को 24 घंटे हवा देने लगाया पंखा


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उज्जैन3 मिनट पहले

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  • प्याज-लहसुन का रकबा बढ़ाया लेकिन उपज पिछले साल से कम, अब सुरक्षित रखने के कर रहे उपाय

साल की शुरुआत के साथ प्याज की नई फसल आने लगी थी। अच्छे भाव लेने के लिए किसानों ने कच्चे प्याज निकालकर उसे मंडी में पहुंचाया। दाम भी उन्हें अच्छे भी मिले। अप्रैल के दो सप्ताह तक सबकुछ ऐसा ही चल रहा था। उसके बाद अचानक कृषि मंडी परिसर की थोक सब्जी मंडी बंद हो गई। किसान अब भी प्याज की बोवनी भी कर रहे हैं। जिन्होंने गेहूं के साथ प्याज लगाए थे, उनकी उपज तैयार है। अब वे उन्हें मंडी में नहीं पहुंचा सकते।

समस्या यह है कि आखिर इसे लंबे समय तक भंडारित करके कैसे रखें। ऐसे में किसानों ने खुद का सिस्टम तैयार किया। उपलब्ध संसाधनों से घर पर ही ऐसे गोदाम बनाए ताकि लंबी अवधि तक प्याज काे सहेजकर रखा जा सके। उनका दावा है कि वे दीपावली तक इसे सहेज कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस बार प्याज-लहसुन का रकबा तो बढ़ा दिया लेकिन उपज कम हुई है। यही कारण है कि दीपावली के आसपास अच्छे भाव मिलने की उम्मीद ज्यादा है।
प्रदेश की बड़ी प्याज मंडियां
प्रदेश में इंदौर, भोपाल, रतलाम, नीमच, मंदसौर के अलावा उज्जैन बड़ी मंडियों में शामिल है। व्यापारियों के अनुसार इंदौर की थोक मंडी में रोज दस हजार क्विंटल प्याज की आवक होती है। यहां से स्थानीय खपत के अलावा इसे प्रदेश की छोटी मंडियों में पहुंचाया जाता है। उज्जैन में खाचरौद, नागदा और उन्हेल में प्याज की खेरची मंडी है।

माधवगढ़ व सोडंग के दो किसानों ने लहसुन व प्याज को सहेजने के लिए ऐसे बनाया सिस्टम

माधवगढ़ : खुले व हवादार कमरे में रखी लहसुन की बोरियां

माधवगढ़ गांव के अर्जुन सिंह ने लहसुन की बोरियों को ऐसी जगह जमाया है, जहां ऊपर पंखा है। उनका कहना है कि पहले लहसुन को सहेजने का सवाल ही नहीं उठता था। जैसे ही उपज पक कर खेत से बाहर आई उसे सीधे मंडी में पहुंचाना पड़ता था। अब ऐसा नहीं है। किसान अच्छे भाव मिलने का इंतजार कर सकते हैं। बिजली भी पर्याप्त मिलती है। ऐसे में लहसुन को ऐसे खुले और हवादार कमरे में रखा है। कोशिश करते हैं कि पंखा चौबीस घंटे चलता रहे।

सोड़ंग : मकान बनाने के लिए लाए थे ईंट, बना दिया प्याज का गोदाम।

उन्हेल रोड पर सोड़ंग गांव के किसान देवीसिंह पटेल। मकान के लिए ईंट लेकर आए थे। मंडी बंद हुई तो एक हिस्से में फर्श पर ईंट जमा कर जालियां लगा दी। बीच-बीच में ट्री गार्ड लगाए। उस के ऊपरी हिस्से में एग्जास्ट फैन लगा दिया। उनका कहना है कि पहले प्याज को सीधे फर्श पर रख देते थे। इससे उसे हवा नहीं मिलती थी और वे जल्दी खराब होने लगते थे। इस तकनीक से सभी बोरियों को हवा लगेगी। कम से कम दीपावली तक इसे सहेजकर रखा जा सकता है।

यह भी जानें : जिले के इन गांवों में प्याज की बोवनी ज्यादा की जाती है
नजरपुर, सुनवानी, बाड़कुम्मेद, पाटपाला, दत्तोतर, भैरवगढ़, जवासिया, दुदरसी, मानपुर, घटि्टया, सोड़ंग, रूदाहेड़ा में प्याज की बोवनी ज्यादा की जाती है। इसके अलावा खाचरौद, नागदा, उन्हेल और बड़नगर के गांवों को प्याज बेल्ट के नाम से जाना जाता है। यहां के किसानों ने इस बार भी बहुतायत में प्याज की बोवनी की है। दूरी ज्यादा होने के बावजूद ये किसान अपनी उपज मंदसौर और नीमच की मंडियों में बेचना पसंद करते हैं।

इन हालातों से रूबरू हो चुके किसान…कभी प्याज सड़ गए तो कभी निर्यात पर रोक से भाव गिर गए, इसलिए चेते

2016 : 24 जून 2016 को कृषि उपज मंडी गेट पर किसानों ने बड़ी मात्रा में प्याज सड़क पर फेंक दिए थे। उन्होंने सुबह 11 से दोपहर 1 बजे तक चक्काजाम भी किया। वे टोकन के बावजूद प्याज खरीदी नहीं करने से नाराज थे। पुलिस, प्रशासन के साथ जनप्रतिनिधियों ने समझाया तब टोकन वाले 119 किसानों से खरीदी शुरू कराई। शाम तक 70 किसानों से प्याज खरीदे थे। तत्कालीन कलेक्टर कवींद्र कियावत ने प्याज खरीदी बंद करने के आदेश जारी कर दिए थे, जबकि इसके पूर्व सरकार ने 30 जून तक खरीदी के आदेश दिए थे।
2017 : समर्थन मूल्य पर खरीदे प्याज को सहेजने में सरकार फेल रही। पांच जून 2017 को प्रदेश में सबसे पहले प्याज की खरीदी उज्जैन कृषि मंडी में हुई थी। 30 जून तक विभिन्न केंद्रों पर 23204 किसानों ने 1.37 लाख टन प्याज बेचे। इनमें से 11348.58 टन रेलवे के रैक से, 14936 टन सड़क मार्ग से परिवहन किया। इसके बावजूद 100 टन प्याज मंडी में शेष था। अफसरों ने कहा- तीन फीसदी प्याज सड़ने लगे जबकि हकीकत में 500 क्विंटल प्याज सड़ गए थे। समर्थन मूल्य पर खरीदे 1.37 टन में से 27609 टन प्याज उज्जैन मंडी में खरीदे गए थे।
2018 : दिसंबर 2018 में सरकार ने प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी थी। नए प्याज की आवक शुरू हो गई थी। ऐसे में दाम औंधे मुंह गिर गए। नासिक प्याज का उत्पादन बंपर होने से थोक में दो से चार रुपए किलो तक बिका। व्यापारी लीलाधर आड़तिया के बताया तब लोकल के साथ नासिक, महाराष्ट्र, खंडवा, बुरहानपुर और इंदौर से रोज 1200 कट्टे नए प्याज की आवक होने लगी थी। जिन किसानों के पास पुराने प्याज थे, वे अच्छे भाव मिलने की उम्मीद में 700 से 800 कट्टे रोज लाने लगे। नए प्याज के भाव 6 से 7 और पुराने के भाव 4 से 5 रुपए किलो मिल रहे थे।

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