9 दिन पहले एक महिला का शव पहुंचा. उनके पति और बेटा अंतिम विदाई देने पहुंचे. इस दौरान बेटा अकेले ही रोते-बिलखते हुए लकड़ी और कंडे बटोर रहा था, ताकि चिता तैयार की जा सके. इस पूरे घटनाक्रम को संजय प्रजापति, कुलदीप शर्मा, सुरेंद्र कुशवाह देख रहे थे. उन्होंने तय किया कि अब से रोज शमशान घाट आकर कोरोना संक्रमितों के शवों के दाह संस्कार में मदद करेंगे. इसमें ध्रुव चतुर्वेदी, राम शर्मा, देव आचार्य भी जुट गए.