अस्पताल में लापरवाही से हो रही मौत: एक अस्पताल में रेमडेसिविर इंजेक्शन होने के बाद भी नहीं लगाया, दूसरे में अस्पताल स्टाफ ने बनाया इंजेक्शन लाने के लिए दबाव

अस्पताल में लापरवाही से हो रही मौत: एक अस्पताल में रेमडेसिविर इंजेक्शन होने के बाद भी नहीं लगाया, दूसरे में अस्पताल स्टाफ ने बनाया इंजेक्शन लाने के लिए दबाव


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इंदौरएक मिनट पहले

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अस्पताल की हालत

शहर के किसी न किसी अस्पताल के खिलाफ लगातार लापरवाही के आरोप लग रहे हैं। बुधवार देर शाम चोइथराम हॉस्पिटल में इलाज करवा रहे मरीज की मौत हो गई। परिवार का आरोप है कि हॉस्पिटल वालों ने इंजेक्शन होने के बावजूद नहीं दिया गया। दूसरा मामला एमटीएस कंपाउंड में भर्ती मरीज के परिजन से इंजेक्शन के लिए फोन पर बात करने का ऑडियो सामने आया है। दोनों ही मामलों में कहीं ना कहीं अस्पताल प्रबंधन रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए मरीज के परिवार वालों पर दबाव बनाते हुए दिखाई दे रहे हैं।

पहला मामला: चार लाख का बिल भी दे दिया और इंजेक्शन भी नहीं लगाया

बुधवार देर शाम चोइथराम हॉस्पिटल में इलाज करवा रहे मरीज की मौत हो गई। परिवार का आरोप है कि हॉस्पिटल वालों ने इंजेक्शन होने के बावजूद नहीं दिया। वहीं आईसीयू में एडमिट करने के बावजूद कोई दवाई नहीं दी। साथ ही मरीज का शव परिजन को देने में भी छह घंटे लगा दिए। अब चोइथराम हॉस्पिटल के डॉक्टरों के खिलाफ लापरवाही का आरोप लगा है। मरीज जो पिछले 12 दिनों से हॉस्पिटल के आईसीयू में भर्ती था, उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। मृतक की पत्नी ने हॉस्पिटल के खिलाफ लापरवाही का आरोप लगाया है।

उन्होंने कहा कि 45 हजार रुपए का जीवनरक्षक इंजेक्शन होने के बावजूद डॉक्टरों ने मरीज को इंजेक्शन नहीं लगाया। अब उक्त इंजेक्शन हॉस्पिटल वाले रिटर्न भी नहीं कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हॉस्पिटल वालों ने शव परिजन को देने में भी छह घंटे लगा दिए, वहीं परिजन को चार लाख रुपए का बिल भी दिया गया। उन्होंने बताया कि उनकी मरीज से लगातार बात हो रही थी। मरीज ने ही उन्हें बताया कि आईसीयू में होने के बावजूद उनका इलाज नहीं हो रहा है। फिर अचानक दो घंटे बाद मरीज को वेंटिलेटर पर रख दिया गया।

दूसरा मामला: नर्सिंग स्टाफ ने कहा इंजेक्शन बुलवाओ, जांच के आदेश

एमटीएच में भर्ती कोरोना मरीज के परिजन से नर्सिंग स्टाफ द्वारा फोन पर इंजेक्शन मंगवाने का मामला सामने आया। इसका एक ऑडियो भी सामने आया। महिला स्टाफ द्वारा ऊपर से बोला गया कि इंजेक्शन मंगवाएं। इसकी शिकायत एडवोकेट अभिजीत पांडे द्वारा अस्पताल और एमवायएच प्रभारी को भी की गई। पांडे ने कहा कि जब सरकारी हॉस्पिटल में इंजेक्शन सरकार दे रही है, उसके बाद भी इस तरह से फोन कर मरीजों से इंजेक्शन की मांग करने का खेल कहीं कालाबाजारी की तरफ तो इशारा नहीं करता है। इस मामले में उन्होंने क्राइम ब्रांच को भी शिकायत की है। हालांकि एमवायएच प्रबंधन द्वारा डॉ. अरविंद शुक्ला की कमेटी बनाकर सात दिनों में जांच के आदेश दिए गए हैं।

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