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- 90% Of The Infected In The Home Isolation Beat The Corona, Their Recovery Rate Decreases And The Situation Becomes Worse
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जबलपुरकुछ ही क्षण पहले
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घर में ठीक होने वालों की संख्या पर निर्भर रही हॉस्पिटलाइज मरीजों की सेहत, अभी भी 3,498 आइसोलेट।
अप्रैल में कोरोना के 17,650 केस आए। मई के शुरुआती 4 दिनों में यह आँकड़ा बढ़कर 20,657 तक पहुँच गया। खास बात यह है कि इनमें से 18,752 संक्रमितों ने होम आइसोलेशन में रहते हुए कोरोना को हराया। मतलब साफ है कि तकरीबन 34 दिनों में आए संक्रमितों में से 90.77% मरीज घरों में रहकर ही ठीक हो गए। एक और गौर करने वाली बात यह है कि अगर रिकवरी का यही प्रतिशत 5-10 फीसदी भी कम होता तो अस्पताल और शहर के हालात और विकराल होते..!
कोरोना कमांड एंड कंट्रोल सेंटर ने ऐसे तकरीबन 20 हजार नए संक्रमितों का डाटा कलेक्ट किया और यह जानकारी जुटाई कि इनमें से कितनों को हॉस्पिटल में भर्ती किया गया और कितने होम आइसोलेशन में रहे। महीने भर से ज्यादा वक्त के डाटा जुटाए गए तो ये बात सामने आई कि होम आइसोलेशन में ठीक होने वाले मरीजों की संख्या काफी रही।
होम आइसोलेशन में आत्मविश्वास
चिकित्सकों का कहना है कि होम आइसोलेशन में मरीज का आत्मविश्वास बना रहता है। अगर पॉजिटिव में संक्रमण कम है तो वह हल्का व्यायाम भी कर सकता है। घर पर प्राणायाम और योग के भी फायदे मिल सकते हैं। लेकिन होम आइसोलेशन में लापरवाही की आशंका भी बनी रहती है। लिहाजा सावधानी बरतते हुए परिवार के दूसरे सदस्यों के सीधे संपर्क में नहीं आना चाहिए। चिकित्सक द्वारा बताई गई गाइडलाइन का सख्ती से पालन जरूरी है।
अपनों के बीच फास्ट रिकवरी
जबलपुर में बुधवार की शाम तक 5,766 एक्टिव केस रहे। जबकि होम आइसोलेशन में संक्रमितों का आँकड़ा 3,498 पहुँचता है। जानकारों का यह भी कहना है कि घर पर अपनों के बीच में रिकवरी जल्दी होती है। यही वजह है कि एसिम्टोमेटिक बुजुर्गों को भी होम आइसोलेशन में रखा जा रहा है।
ऐसे जीती जंग
नो निगेटिविटी.. क्योंकि उनकी सोच पॉजिटिव थी
- सोशल मीडिया पर चलने वाली निगेटिव सूचनाओं से खुद को बचाया।
- अच्छी किताबें, मनपसंद संगीत मन को बहलाने में मददगार साबित हुए।
- खुद को व्यस्त रखने के लिए पसंदीदा एक्टिविटी में लगाए रखा।
- मन को भ्रमित होने से रोकने के प्रयास किए, ध्यान का सहारा लिया।
- डॉक्टर के संपर्क में रहे, कंट्रोल एंड कमांड सेंटर से मार्गदर्शन लेते रहे।
- शुरुआती दौर में आने वाले डिप्रेशन को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया।
- संक्रमण का पता चलते ही जरूरी है कि प्रोटोकॉल का पालन किया जाए। होम आइसोलेट रहते हुए ठीक होने वाले मरीजों की संख्या काफी है। गंभीर लक्षण वाले मरीजों के लिए अस्पताल और चिकित्सक की सतत निगरानी जरूरी होती है। – संजय जैन, आरएमओ, विक्टोरिया हॉस्पिटल