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मध्यप्रदेशएक घंटा पहले
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मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार बडे जिलों की तुलना में छोटे जिलों में ज्यादा है। यही वजह है कि रीवा और धार जैसे शहरों में आईसीयू बेड फुल हो चुके हैं, जबकि बड़े शहरों के अस्पतालों में गंभीर मरीजों के लिए अब भी बेड खाली हैं। भोपाल में 88 और जबलपुर में 104 आईसीयू बेड खाली हैं। हालांकि इंदौर में एक भी आईसीयू बेड खाली नहीं है।
यह आंकड़े सरकार के स्वास्थ्य विभाग के हैं। इसके मुताबिक कोरोना संक्रमण की रफ्तार का जिलेवार 7 दिन का औसत देखें तो छोटे शहरों में पॉजिटिविटी रेट बड़े शहरों से 20% तक ज्यादा है। शिवपुरी में पॉजिटिविटी का औसत 38% तक पहुंच गया है, जबकि इंदौर में यह घट कर 18% हो गया है। ऐसे में छोटे जिलों में इलाज के पर्याप्त व्यवस्था नहीं हैं।
इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग के रिकार्ड के मुताबिक धार में एक भी वेंटिलेटर नहीं है। यहां 35 आईसीयू बेड हैं, जो फुल हो चुके हैं। ऑक्सीजन बेड सिर्फ 36 खाली हैं। कमोबेश यही स्थिति रीवा की है। यहां 223 आईसीयू बेड हैं, जो 100% भरे हैं। हालांकि ऑक्सीजन के 104 बेड खाली हैं।

छोटे शहर मिसाल भी बने
कोरोना की बेलगाम रफ्तार को धीमा करने में छोटे शहर मिसाल भी बने हैं। इसमें से आगे है बुरहानपुर। कोरोना की पहली लहर में यहां संक्रमण ने कहर बरपाया था। जब दूसरी तरह कई गुना ज्यादा कहर बनकर आई तो बुरहानपुर में इसे बहुत तेजी से कंट्रोल किया। यहां औसत पॉजिटिविटी रेट प्रदेश में सबसे कम 2% है।
सबसे पहले सौंसर में लगा था कर्फ्यू
इसी तरह छिंदवाड़ा में पॉजिटिविटी रेट 5% है। प्रदेश का यह पहला जिला है, जो दूसरी लहर के शुरुआत में ही अलर्ट मोड में आ गया था। यहां सबसे पहले सौंसर में कर्फ्यू लगाया गया था। इन दो शहरों के अलावा खंडवा में 6%, अशोकनगर में 7% और भिंड में औसत पॉजिटिविटी रेट 8% है।