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- Over Billing Of Hospitals, Which Surprised People, Paying Up To 50 Thousand Rupees Per Day To Save Lives From Corona
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जबलपुर4 मिनट पहले
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अलग-अलग रेट कोरोना काल की बड़ी त्रासदी बनकर सामने आ रहा है।
- मरीज से हर घण्टे 1600 से लेकर 2100 रु. तक लिए जा रहे, निर्धारित दरों से सैकड़ों गुना ज्यादा चार्ज
कोरोना संकट काल में बेड, ऑक्सीजन और इंजेक्शन की कमी से आदमी का हर दिन सामना हो रहा है तो इलाज के बाद निजी अस्पतालों की ओवर बिलिंग हैरान भी कर रही है। निजी अस्पतालों में भर्ती होने के बाद रिकवरी रेट बेहतर है इससे कोई इनकार नहीं कर सकता है, लेकिन जिस तरीके से 8 या 10 दिन बाद जो बिल थमाया जा रहा है वह गले नहीं उतरता है।
शहर के कुछ नामी हाॅस्पिटल से लेकर अभी हाल ही में आनन-फानन में खुले मझोले से अस्पताल तक पेशेंट को डिस्चार्ज के समय जो बिल दे रहे हैं वे पहली नजर में समझे जा सकते हैं कि यह मौलिक आकलन से दूर है, पर जान बचाने आदमी किसी भी तरीके से इनको जमा कर रहा है। कुछ हाॅस्पिटल में तो हालात ऐसे हैं कि हर घण्टे के 1600 से लेकर 2100 रुपए तक इलाज के एवज में कीमत अदा करनी पड़ रही है। प्रतिदिन के हिसाब से देखा जाए तो यह 50 हजार रुपए तक पड़ रहा है।
इधर जिन जिम्मेदारों ने अस्पतालों के इलाज की बेसिक दरें निर्धारित की हैं वे इस त्रासदी के समय कुछ न बोल पाने की स्थितियों में हैं। बस उत्तर यही है कि कोरोना का इलाज साधारण नहीं है, इसमें सामान्य से ज्यादा खर्च होता ही है। हाॅस्पिटल की ओवर बिलिंग और आरोपों को लेकर बीते दिन प्रशासन ने पाँच सदस्यीय कमेटी जरूर बनाई जो दावा िकया जा रहा है कि कई तरह की समस्याओं की सुनवाई कर समाधान भी करेगी।
भर्ती करने का तरीका ऐसा
अस्पतालों में जब मरीज को भर्ती किया जाता है तो पहले परिजन से कहा जाता है कि एक भी बिस्तर खाली नहीं। जब पूरी जाँच-परख हो जाती है, पेशेंट एकदम क्रिटिकल नहीं है और पेमेंट कर देने लायक है तो ही उसको भर्ती किया जाता है। एक तरह से कहा जाए तो परिवारजनों की शारीरिक भाषा को पढ़कर आकलन कर लिया जाता है बिल देते समय ये किसी तरह की परेशानी पैदा नहीं करेंगे। भर्ती करने का तरीका है जो इन दिनों एकदम प्रचलन में है।
डाउन पेमेंट 2 लाख रुपए
हाॅस्पिटल के विंडो से आपाधापी में अंदर से बोला जाता है कि आपको 2 लाख रुपए जमा करना है। अभी जमा किये जाएँ यह डाउन पेमेंट है तभी इलाज चालू हो सकता है। इसके जमा न होने पर इलाज की प्रक्रिया ही इस तरीके से अपनाई जाती है कि कुछ घण्टों में यह पेमेंट हो जाता है। इसके बाद बारी आती है असली पेमेंट की जाे पार्ट में लगातार अदा करना होता है।
अलग-अलग रेट पर फजीहत बस मरीज की
प्रमाणिक सरकारी या निर्धारित दर कुछ और कहती है। निजी अस्पताल की अपनी तय की गई दर कुछ और है। इसी तरह बीमा कंपनी अलग रेट तय कर रही है। इस भूल-भुलैया में उस आदमी की फजीहत है जिसका इलाज किया जा रहा है। तीन रेट में परिवार पूरे भुगतान के बाद भी आर्थिक के बाद मानसिक परेशानी भी झेलता है। कहीं कुछ तय ही नहीं है कि चार्ज कैसे लिया जाए, ओवर बिलिंग में पेमेंट कर भी दिया तो हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम का भुगतान कितना मिलेगा। अलग-अलग रेट कोरोना काल की बड़ी त्रासदी बनकर सामने आ रहा है।
इन सबकी कीमत अदा करनी पड़ रही- पीपीई किट, हर दिन का चार्ज, खाने में लंच डिनर, नाश्ता, डिस्पोजल पर बेड, ऑक्सीजन चार्ज, आईसीयू में अलग, हाई फ्लो ऑक्सीजन का अलग, एचएफएनसी,बायपेप, वेण्टिलेटर, कोविड बायो वेस्ट, रिपीट टेस्ट दिन में कई बार आदि।
तय दरों में बिल लेने के निर्देश| कोरोना काल में जाँच, इलाज की जो दरें निर्धारित हैं उनके अनुसार ही अस्पतालों को पेशेंट से इलाज का पैसा लेना है। यदि कोई ज्यादा बिल लेता है या फिर नियम का उल्लंघन कर रहा है तो उसकी जाँच की जा सकती है।
-डॉ. संजय मिश्रा, ज्वाॅइंट डायरेक्टर हेल्थ
इसलिए देना पड़ता है ज्यादा पैसा
एक्सपर्ट का मानना है कि कोरोना पेशेंट के इलाज में तीन से चार गुना ज्यादा स्टाफ लगाना पड़ता है। तीन से चार गुना ज्यादा भुगतान भी करना पड़ता है, इसलिए यह ओवर बिलिंग सामने आती है। जैसे कंसल्टेंट का विजिटिंग चार्ज, फिजीशियन, नर्सिंग, डायटीशियन, निश्चेतना, वार्ड ब्वॉय, स्वीपर पूरे सिस्टम में रूटीन से कई गुना ज्यादा पेमेंट देना पड़ रहा है। यह बात अलग है कि एक बार आने वाले कंसल्टेंट को कई बार आना दर्शाया जाता है।
प्रमाणित अस्पतालों में हेल्थ डिपार्टमेंट की निर्धारित दरें, सेवा सहित
सामान्य वार्ड 2100
आईसीयू 4100
आईसीयू वेण्टिलेटर 5100
सीटी स्कैन चेस्ट 3000
टेस्ट के रेट
एबीज 600 डी -डायमर 500 प्रोकेल किटोनिन 1000 सीआरपी 200 आरटीपीसीआर 1100 रैपिड एंटीजन टेस्ट 300 सीरम फेरेटिन 180 आईएल सिक्स 1000 (सभी दर रुपए में )
40% बढ़ाने की छूट बढ़ा दिए कई गुना
29 फरवरी 2020 तक अस्पतालों में जो इलाज की दरें निर्धारित थीं उसमें 40 फीसदी तक इजाफा करने की छूट दी गई। इस छूट के बाद जो बिलों की सीमा है वह कहा जाए तो सीमा के पार हो गई। यह छूट इसलिए दी गई थी कि कुछ क्वॉलिटी बढ़े और बेहतर इलाज मिले पर इसका कहा जाए तो गलत इस्तेमाल कर लिया गया।
हर अस्पताल की अलग दर
वैसे शहर में निर्धारित सरकारी प्रमाणित दरों से अलग हर निजी हाॅस्पिटल ने अपनी दरें निर्धारित कर रखी हैं। जैसे कोई कंसल्टेंट विजिट के 2000 रुपए लेता है तो कोई 1500 ले रहा है। इसी तरह आईसीयू के 8500 से लेकर 12000 रुपए तक लिये जा रहे हैं। इसी तरह जनरल वार्ड के 1800 से 3000 रुपए तक और वेण्टिलेटर चार्ज 5 हजार से 12 हजार रुपए तक है।