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- 80% Of The People With Gantherry Got Sick, All Had Symptoms Like Kovid, No One Got Medicine, They Were Getting Treatment By Drinking And Drinking
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भिंड28 मिनट पहले
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गेंथरी गांव में बिना मास्क के बैठे युवक।
- बुखार की जांच के लिए नहीं आ रहा स्वास्थ्य अमला।
- कोविड के मरीज भी मिले फिर भी लापरवाही।
जिला मुख्यालय से करीब 90 किलोमीटर दूर स्थित गेंथरी गांव। यह गांव, आलमपुर कस्बे से पांच किलोमीटर दूर है। यहां पिछले एक महीने से बुखार फैला है। घर- घर में बुखार, सर्दी, जुखाम खांसी से लोग पीड़ित है। गांव वासियों का आरोप है कि बीमारी फैलने के बाद गांव में कोई अफसर, स्वास्थ्य की जांच करने नहीं आया और ना ही किसी को दवा मिली। लोगों ने घरों के अंदर काढ़ा पी-पीकर इलाज किया।
इन दिनों गांव में बुखार का प्रकोप इस तरह है कि घर-घर लोग बीमार है। यह लोग को सर्दी, जुकाम, खांसी और सांस लेने की तकलीफ है। इस तरह की तकलीफ से बचाव के लिए लोग काढ़ा के का सहारा ले रहे। इस गांव में अस्सी फीसदी लोगों को इस तरह के लक्षण थे जोकि कोविड से मिलते जुझते हैं। फिर भी किसी का बॉडी का तापमान भी जांचने के लिए गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम नहीं आई। वहीं, लोग कोविड के डर से जांच कराने के लिए अस्पतालों में नहीं गए। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों से गांव के लोग, सर्दी, जुकाम व खांसी बुखारी की सामान्य दवा मांगते रहे, लेकिन कोई भी दवा देने के लिए गांव नहीं पहुंचा। गांव के रामू पटेल का कहना था कि गांव में बीमारी फैली होने के बाद कोई जांच शुरू नहीं हुई। सभी अपने स्तर पर इलाज लिया।
गांव में लोगों के चेहरे से मास्क है नदारद
गांव की हकीकत जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम गेंथरी पहुंची। यहां सबसे पहले सड़क किनारे रहने वाले लोगों से बातचीत की। यहां रिजवान खान हैडपंप पर पानी भर रहे थे। उन्होंने कहा कि गांव में बीमारी फैली है। लोग खांसी, सर्दी, जुखाम व बुखार से पीड़ित है। इसके बाद जब उनसे पूछा कि आपने मास्क क्यों नहीं लगाया?
यह प्रश्न के उत्तर में युवक का कहना था कि घर के बाहर हूं। इसलिए नहीं लगाया।
मैंने कहा मुझे क्वारंटाइन करो, दो घंटे रखा स्कूल में फिर कहां काेई जरूरत नहीं घर जाओ
गेंथरी गांव में बाहर से लौटने वाले लोगों के लिए सरकारी स्कूल को क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया। यहां रहने वाले राजवीर सिंह कौरव का कहना है कि मैं बीते दिनों ग्वालियर गया था। मैंने आकर सूचना दी। इसके बाद दो घंटे क्वारंटाइन रखा फिर का आप जाओ घर। यह क्वारंटाइन सेंटर एक दिन भी नहीं खुला। जबकि गांव में सैंकड़ों लोग दूसरे शहरों से कोविड काल में वापस लौटे हैं।
पॉजिटिव मरीज निकले, परंतु सैनिटाइज नहीं हुआ
गांव के निवासी उमेश कौरव का कहना है कि गांव में बाहर से आने वाले लोगों की संख्या अच्छी खासी रही है। यहां दो से तीन पॉजिटिव मरीज निकले। परंतु गांव को सैनिटाइज नहीं कराया गया।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कहती है कोई पूछ तो बोल देना गोलियां मिल चुकी
गांव के रतिराम का कहना है कि मैंने दबोह जाकर कोविड वैक्सीन लगवाई। यहां बुखार को लेेकर कोई दवा नहीं दी गई। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कहती है कि कोई पूछे तो बोल देना की गोलियां मिल चुकीं।
मेरा भाई पॉजिटिव था अब स्वास्थ्य हो चुका
गांव के कप्तान सिंह का कहना है कि मेरा भाई पाॅजिटिव हुआ था। अब स्वास्थ्य हो चुका है। मेरे घर पर सेनेटाइजर कराया गया था। गांव में दो लोग पॉजिटिव हुए।
बुखार आने पर नहीं हो रही जांच, गोली तक नहीं दी गई
गांव के दीनदयाल का कहना है कि गांव में बुखार तेजी से फैल फैल रहा है। पिछले साल कोरोना के दौरान घर घर बुखार की जांच हुई थी। इस बार तेजी से बुखार फैला है। मैं बोल बोलकर थक गया। किसी भी सरकारी कर्मचारी अधिकारी ने एक गोली तक नहीं दी।
शासन के निर्देशानुसार पूरी व्यवस्था की जा रही है।
गांव के सचिव श्रीकांत श्रीवास्तव का कहना है कि शासन के निर्देशानुसार गांव में सेनेटाइजर कराया जा रहा है। आयुष्मान कार्ड बनवाए जा रहे है। क्वारंटाइन सेंटर में बंद इसलिए है क्योंकि इस बार बाहर से कोई नहीं आया।