मंडला. इंसानों की तरह अब जंगल के सबसे विशाल और समझदार जीव – हाथियों की भी मिलेगी एक विशिष्ट पहचान. मध्यप्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व में रहने वाले 16 पालतू हाथियों को अब मिलेगा ‘आधार कार्ड’ जैसा एक डिजिटल पहचान पत्र, जिसमें उनकी डीएनए प्रोफाइलिंग, माइक्रोचिपिंग और शारीरिक विशेषताओं की पूरी जानकारी दर्ज होगी. यह अनोखी पहल भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), देहरादून के सहयोग से की जा रही है. इसका मकसद है – हाथियों की बेहतर देखरेख, अवैध तस्करी की रोकथाम और उनकी वंशावली व स्वास्थ्य का रिकॉर्ड रखना.
हर हाथी को यूनिक नंबर, कई जानकारी हो सकेंगी ट्रैक
हर हाथी को एक विशेष यूनिक नंबर दिया जाएगा. यह सब विवरण मिलकर एक डिजिटल पहचान पत्र (आधार कार्ड जैसा) बनाएंगे जो हर हाथी की पारिवारिक पृष्ठभूमि, स्वास्थ्य इतिहास, प्रजनन डेटा और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी को ट्रैक करने में मदद करेगा.
कान्हा टाइगर रिजर्व जैसे क्षेत्रों में हाथियों की भूमिका बेहद अहम होती है. ये वन विभाग के गश्त कार्य, पर्यटकों को जंगल की सैर कराने और जंगल की जैविक विविधता को बनाए रखने में सहायक होते हैं. ऐसे में इनकी निगरानी और सुरक्षा बेहद जरूरी है.
एक कदम तकनीक और संरक्षण की ओर
यह भारत में हाथियों की पहली बार इस तरह की विस्तृत पहचान प्रक्रिया है, जो उन्हें एक अद्वितीय डिजिटल प्रोफाइल देगी. यह पहल न केवल संरक्षण में सहायक होगी बल्कि यह संदेश भी देगी कि वन्यजीव अब केवल जंगल की संपत्ति नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी से जुड़ी संरक्षित धरोहर हैं.
टाइगर ही नहीं, कान्हा हाथियों का भी है घर
कान्हा टाइगर रिजर्व न केवल बाघों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां रहने वाले हाथी और पालतू हाथी भी संरक्षित वन्यजीव तंत्र का अहम हिस्सा हैं. पालतू हाथी आमतौर पर वन विभाग के कामों में सहायता करते हैं, जैसे जंगल में गश्त, घायल जानवरों तक पहुंचना या पर्यटकों को जंगल सफारी कराना. वहीं, वन में घूमने वाले जंगली हाथी स्वतंत्र जीवन जीते हैं और आमतौर पर झुंड में रहते हैं. पालतू हाथियों की विशेष देखभाल होती है.