.
गर्मी की छुट्टियों के बाद सोमवार से नए शिक्षा सत्र का शुभारंभ हुआ। लेकिन पहले ही दिन छात्रों की संख्या बेहद कम दिखाई दी। कहीं पर शिक्षक नहीं आए थे। लेकिन इससे भी बड़ा सवाल था, स्कूल के हालात। जिसकी पड़ताल मंे भास्कर के रिपोर्टर जिले के अलग-अलग स्कूलों में पहुंचे। नजारा अजीब था।
भैरूंदा,जावर, इछावर, आष्टा और अहमदपुर क्षेत्र के स्कूलों में छात्र किचन शेड़, पंचायत भवन में पढ़ रहे थे। तो एक जगह पटेल के घर पर कक्षाएं लगी थीं। इछावर की बात करें तो यहां पर एक प्राइमरी स्कूल किचन शेड में लग रहा है तो वहीं भैरूंदा के पांगरी टप्पर की बात करें तो यह स्कूल भी पटेल के घर से संचालित हो रहा है। पहले ही दिन तमाम अव्यवस्थाएं दिखाई दीं। हालांकि शिक्षा विभाग ने खराब भवनों की जगह नए भवन तैयार करने की कार्ययोजना पहले ही भेज दी थी लेकिन अभी तक इसे भी स्वीकृति नहीं मिल सकी है। पूरी पड़ताल में एक बात तो सामने आई है कि जर्जर भवन में ही शिक्षा सत्र लगेगा।
जर्जर स्कूल में छात्रों को न बैठाने के कलेक्टर पहले ही निर्देश दे चुके हैं। वहीं जर्जर स्कूलों की मरम्मत तक नहीं हो सकी है। जावर के गल्लाखेड़ी की प्राथमिक शाला का भवन पूरी तरह कंडम हो चुका है। स्कूल प्रभारी ओंकार सिंह ठाकुर ने बताया कि इस साल 17 बच्चे दर्ज हैं। बच्चों को किराए के भवन में बैठाने का प्रस्ताव भेजा गया है। नया भवन बनने तक पढ़ाई वहीं होगी। सतबड़ा की सरकारी प्राथमिक शाला में 25 बच्चे दर्ज हैं। सोमवार को सिर्फ 6 से 7 बच्चे पहुंचे। भवन जर्जर है। बारिश में छत से पानी टपकता है। शिक्षक ने बताया कि मजबूरी में बच्चों को इसी भवन में बैठाना पड़ रहा है। बीआरसी प्रमुख अजब सिंह राजपूत ने बताया कि जर्जर स्कूल भवनों के लिए राशि जारी हो चुकी है। कुछ स्कूलों के खातों में राशि पहुंच गई है।