खंडवा जिले में मानसून की पहली फुहारें आने ही वाली हैं और खेतों में तैयारियों ने रफ्तार पकड़ ली है. लेकिन इस बार वैज्ञानिक एक खास बात की ओर ध्यान दिला रहे हैं कि बोहनी से पहले “बीजोपचार” करें, ताकि आपकी मेहनत रंग लाए और फसल रोगमुक्त, स्वस्थ और ज्यादा उत्पादक हो.
बीजोपचार के लाभ: क्यों ज़रूरी है यह कदम?
बीज जल्दी और स्वस्थ तरीके से अंकुरित होता है
कीट प्रकोप की संभावना काफी कम हो जाती है
पूरे खेत में एकसमान और मजबूत पौधे खड़े होते हैं
चरण 1: फफूंदनाशी से बीजोपचार
बीज को रोगों से बचाने के लिए पहले फफूंदनाशी का उपयोग करें. कार्बेंडाजिम+मैनकोजेब या कार्बोक्सिन+थायराम दवा का 3 ग्राम प्रति किलो बीज की मात्रा में उपयोग करें. गुड़/गोंद के घोल में दवा मिलाकर बीजों पर समान रूप से लगाएं और छांव में सुखाएं.
चरण 2: जैविक उर्वरक से बीज की मजबूती
फफूंदनाशी से उपचारित बीज को हल्का गीला कर उसमें 10 मिली प्रति किलो के हिसाब से तरल जैव उर्वरक (NPK कंसोर्टिया) मिलाएं. सुखाकर तुरंत बोहनी के लिए तैयार करें.
विशेषज्ञ की राय: वैज्ञानिक भी दे रहे हैं इसे जरूरी
डॉ. बोबडे का स्पष्ट कहना है, “बीजोपचार फसल को रोगों से सुरक्षित करने का सबसे किफायती और सरल तरीका है. इससे रासायनिक कीटनाशकों पर निर्भरता भी घटती है.”